अफगानिस्तान में तालिबानियों की जो आतंकी सरकार बनी है उसमें एक चौथाई मंत्री ऐसे हैं जो पाकिस्तानी मदरसों के न सिर्फ स्टूडेंट रहे हैं बल्कि अभी भी वहां के मदरसों में इस्लामी शिक्षा के नाम पर आतंकवादी तैयार कर रहे हैं। यही नहीं तालिबानियों की सरकार में पांच मंत्री ऐसे भी हैं जो अमेरिका की लिस्ट में खूंखार आतंकवादी है और उनके सिर पर करोड़ों रुपये का इनाम भी घोषित है। दरअसल तालिबानियों की आतंकी सरकार पाकिस्तान की शह पर बनाई गई है। यही नहीं आईएसआई ने ऐसी गणित सेट की है कि पूरे तालिबान में होने वाली गवर्नर की नियुक्ति भी उसी के इशारे पर होगी। यानी पूरे अफगानिस्तान में अब कहने को तो तालिबानियों का राज होगा लेकिन पाकिस्तान की प्रॉक्सी सरकार चलेगी।
33 मंत्रियों में से आठ पाकिस्तानी मदरसे के छात्र
अफगानिस्तान में 33 मंत्रियों की बनाई गई आतंकी सरकार में 8 मंत्री ऐसे हैं जो पाकिस्तानी मदरसे जामिया हककानिया सेमिनरी के छात्र रहे हैं। जानकारी के मुताबिक इसमें हक्कानी नेटवर्क के मुखिया और तालिबानी सरकार में नियुक्त किए गए गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी से लेकर तालिबानी सरकार के उप प्रधानमंत्री बनाए गए अब्दुल गनी बरादर समेत रहबरी शूरा काउंसिल से जुड़े कई सदस्य और छःअन्य मंत्री पाकिस्तान के इस मदरसे के स्टूडेंट रहे हैं। इसके अलावा तालिबान सरकार में बनाए गए प्रधानमंत्री और कट्टरपंथी संगठन रहबरी शूरा के मुखिया मुल्ला अखुंद, उप प्रधानमंत्री मुल्ला बरादर, दूसरे उप प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनफी, गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी को खतरनाक आतंकी घोषित किया जा चुका है। तालिबान के प्रधानमंत्री उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री समेत विदेश मंत्री को प्रतिबंधित सूची में भी डाला जा चुका है। जबकि तालिबान के नियुक्त किए गए गृहमंत्री हक्कानी पर तो अमेरिका ने पचास लाख डॉलर का इनाम भी घोषित किया है।
आईएसआई के इशारे पर बनी तालिबानी सरकार
दरअसल, अफगानिस्तान तालिबानियों की बनी सरकार पूरी तरीके से आईएसआई के इशारे पर तैयार की गई है। आईएसआई के मुखिया फ़ैज़ हामिद के पहुंचने से पहले ही तालिबान में नई सरकार के गठन का एलान होना था। लेकिन पाकिस्तान को इस बात की भनक लग चुकी थी कि तालिबानियों के बनने वाली सरकार में सबसे ज्यादा योगदान कतर में स्थित तालिबान मुख्यालय का है तो पाकिस्तान ने अपना नया खेल खेलना शुरू कर दिया। पाकिस्तान ने तालिबानियों के बीच मौजूद अपने प्यादों को सक्रिय कर के मंत्रिमंडल के गठन को रुकवा दिया। इसी दौरान आईएसआई के चीफ का काबुल में दौरा तय हुआ और तालिबानियों की सरकार का गठन रुक गया। आईएसआई के मुखिया फैज हामिद कि पाकिस्तान वापसी के बाद वहां पर जो सरकार का चेहरा सामने आया वह पूरी तरीके से पाकिस्तान के नियंत्रण वाली सरकार के चेहरों के तौर पर था। विदेशी मामलों के विशेषज्ञों का कहना है दरअसल पहले जिस सरकार का गठन किया जाना था उसमें ज्यादातर लोग वो थे या अहम पदों पर वह चेहरे सामने आ रहे थे जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तालिबान को समर्थन दिलाने के लिए अमेरिका भारत समेत दुनिया के तमाम मजबूत देशों के साथ बातचीत का सिलसिला शुरू किया था। यही बात पाकिस्तान को नागवार गुजर रही थी। इसीलिए आईएसआई चीफ के दौरे के बाद तालिबान की आतंकी सरकार का पूरा चेहरा ही बदल गया।
पाकिस्तान का अगला दांव
आईएसआई चीफ ने अफगानिस्तान में ऐसी गोटियां सेट की कि अब वहां के सभी 34 प्रांतों में बनने वाले गवर्नर और आंतरिक सुरक्षा के प्रमुखों की नियुक्ति पाकिस्तान के इशारे पर ही होगी। दरअसल पाकिस्तान ने अपने सबसे चहेते हक्कानी नेटवर्क के मुखिया और भारत को अपना दुश्मन मानने वाला सिराजुद्दीन हक्कानी तो गृहमंत्री बनाकर पूरे देश की सुरक्षा और नियुक्तियों को अपने कब्जे में कर लिया। बतौर गृहमंत्री हक्कानी ही सभी 34 प्रांतों में बनने वाले गवर्नर की नियुक्ति करेगा। विदेशी मामलों के जानकार और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमएस वाडिया कहते हैं कि हक्कानी हमेशा से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर ही काम करता रहा है। ऐसे में अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार में उसको मिले अहम मंत्रालय में पाकिस्तान का न सिर्फ़ पूरा दखल होगा बल्कि वहां होने वाली नियुक्ति में पाकिस्तान की चलेगी। प्रोफेसर वाडिया कहते हैं अगर अफगानिस्तान में पाकिस्तान की प्रॉक्सी सरकार का नाम दिया जाए तो गलत नहीं होगा। क्योंकि जिस तरीके से पाकिस्तान का दखल आतंकियों की बनाई गई सरकार में है उससे पाकिस्तान की मंशा पूरी तरीके से साफ दिख रही है।
दुनिया की प्रतिक्रिया और अफगानिस्तान सरकार
अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद दुनियाभर से तमाम मुल्कों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। इस अस्थायी सरकार के गठन के लिए चीन और जापान ने तालिबान का स्वागत किया है। वहीं अमेरिका ने कहा है कि वह तालिबान की नई सरकार को आंक रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम सरकार में शामिल कुछ व्यक्तियों के पिछले के रिकॉर्ड को लेकर चिंतित हैं। हम तालिबान को उसके उसके शब्दों से नहीं उसके कार्यों से आंकेंगे। हमने अपनी अपेक्षा स्पष्ट कर दी है कि अफगान लोग एक समावेशी सरकार चाहते हैं।
अमेरिकी रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों ने अफगानिस्तान में तालिबान की अंतरिम सरकार बनाने की घोषणा पर करारा हमला बोला है। रिपब्लिकन अध्ययन समिति ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि मूर्ख मत बनिए। तालिबान सरकार में कुछ भी ज्यादा उदारवादी नहीं है। अफगानिस्तान में आतंकवादियों की, आतंकवादियों के द्वारा और आतंकवादियों के लिए सरकार बनाई गई है। सांसद टिम बुचेट ने कहा कि तालिबान के मंत्रिमंडल में आतंकी और अलकायदा एवं हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी संगठनों के लोग शामिल हैं।
पत्रकारों को तालीबान की धमकी
इस बीच प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने पाकिस्तानी मीडिया और पत्रकारों को उन्हें आतंकी संगठन कहने को लेकर चेतावनी दी है। टीटीपी ने कहा है कि ऐसा करने वालों को हम दुश्मन मानेंगे। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का कहना है कि तालिबान से सबसे अधिक समस्या चीन को है जिसके लिए वह तालिबान के साथ समझौता करने की कोशिशें कर रहा है। वहीं व्हाइट हाउस ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि अमेरिका तालिबान सरकार को मान्यता देने की जल्दी में नहीं है।
टीम स्टेट टुडे
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