एक नहीं दो-दो कोरोना वैक्सीन। भारत में कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों का वैक्सीनेशन अभियान मोड में अभी भी जारी है। बहुत सारे लोगों को वैक्सीन की दो डोज़ लग चुकी है। बहुत सारे लोग हैं जिन्हें दूसरी डोज़ लगनी है। 1 अप्रैल से 45 पार वालों के लिए वैक्सीनेशन का दौर शुरु हुआ तो थोड़ी और तेजी आई लेकिन साथ साथ संक्रमण के बढ़ते मामलों ने किए कराए पर पानी फेरने का काम किया।
आज भारत में एक ही दिन में दो -दो लाख से ज्यादा केस सामने आ रहे हैं। एक तरफ संक्रमण की जांच में तेजी लाई जा रही है तो दूसरी तरफ टीकाकरण अभियान भी चल रहा है। सवाल इस बात का है कि वैक्सीनेशन के बाद भी संक्रमण के मामले क्यों बढ़े। सिर्फ मामले ही नहीं बढ़े बल्कि जान का नुकसान बीते साल से कहीं ज्यादा हुआ है। देश में कोरोना की दूसरी लहर क्यों आई। क्या वैक्सीन काम नहीं कर रही। ऐसे सवालों का जवाब देने के लिए एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया सामने आए और लोगों को जागरुक किया –
कोरोना की सेकेंड वेव का मुख्य कारण क्या है
इस सवाल के जवाब में डॉक्टर गुलेरिया कहते हैं कि कोरोना के मामलों में उछाल के लिए कई कारण हो सकते हैं लेकिन दो प्रमुख हैं।
पहला - जब जनवरी-फरवरी में वैक्सीनेशन शुरू हुआ और नए मामले काफी नीचे चले गए तब लोगों ने कोरोना से जुड़े नियमों का पालन बंद कर दिया।
दूसरा - वायरस म्यूटेट हुआ और ज्यादा तेजी से फैलने लगा।
क्या वैक्सीन कोरोना ना होने की गारंटी नहीं है
एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कई मर्ज ऐसे हैं जिनकी वैक्सीन ही नहीं दवाएं भी मौजूद हैं लेकिन वो हमेशा सौ फीसदी कारगर हों ऐसा जरुरी नहीं।
फिलहाल दुनिया के बाकी देशों के साथ साथ भारत में जो वैक्सीन लोगों को लग रही है और कई लोग जो दोनों डोज़ ले चुके हैं बावजूद इसके संक्रमण का शिकार हो रहे हैं तो इसका मतलब ये कतई नहीं है कि वैक्सीन संक्रमण से बचाव करने में नाकाम है। अगर नाकाम है तो फिर इसकी उपयोगिता क्या है, कोई क्यों लगवाए।
डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने वैक्सीन को लेकर इस चिंता को भी दूर किया।
डाक्टर ने कहा –
- हमें यह याद रखना होगा कि कोई भी वैक्सीन शत प्रतिशत कारगर नहीं है।
- आप संक्रमित हो सकते हैं लेकिन हमारे शरीर के ऐंटीबॉडी वायरस को बढ़ने नहीं देंगे और आप गंभीर रूप से बीमार नहीं होंगे।
क्या बोले गुलेरिया हेल्थकेयर सिस्टम पर
डॉक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि हेल्थकेयर सिस्टम पर जबरदस्त दबाव है। जिस तरह से केस बढ़ रहे हैं, उससे निपटने के लिए हमें अपने अस्पतालों में बेड और बाकी सुविधाएं बढ़ानी होंगी। इसके अलावा हमें जल्द से जल्द कोरोना केसों में कमी लानी होगी।
संक्रमण का बड़ा कारण यह भी है कि कई लोग बीमारी के लक्षण होने के बावजूद जानकारी सामने नहीं आने देते हैं। जिससे वो दूसरों के लिए खतरा बनते हैं। सरकार कांटेक्ट ट्रेसिंग पर लगातार जोर दे रही थी तब मामले संभले थे लेकिन अब इसमें भी ढिलाई हो रही है।
कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने या कोरोना के लक्षणों पर दी जाने वाली दवाएं
उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग की तरफ से ये पत्र जारी किया गया है। अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।
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टीम स्टेट टुडे
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