अजीत डोभाल सिर्फ नाम ही काफी है पाकिस्तान के लिए।
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने तजाकिस्तान में शंघाई कोऑपरेशन आर्गनाइजेशन की बैठक में पाकिस्तान की पोल-पट्टी खोल कर रख दी। हालात ऐसे थे कि डोभाल एक एक कर पाकिस्तान की करतूतें भरी सभा में रखते रहे और पाकिस्तान के एनएसए मोईद यूसुफ पसीना पोंछते रहे।
डोभाल ने एससीओ यानी शंघाई कोऑपरेशन आर्गनाइजेशन से पाकिस्तान की जमीन से ऑपरेट किए जा रहे आतंकी संगठनों- लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ ऐक्शन प्लान लाने की अपील की है। उन्होंने इसे शंघाई कोऑपरेशन आर्गनाइजेशन के फ्रेमवर्क में शामिल किए जाने की मांग उठाई है। इससे एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की किरकिरी हुई है।
अजित डोभाल ने आतंकी सगंठनों पर नकेल कसने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों का इस्तेमाल किए जाने पर जोर दिया है। इस प्रकार उनकी फंडिंग रोकी जा सकती है। डोभाल ने इसके लिए SCO और FATF (फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स) के बीच समझौते की मांग भी की है। बड़ी बात ये है कि डोभाल ने जिस बैठक में यह मांग उठाई है उसमें उनके पाकिस्तानी समकक्ष मोईद यूसुफ भी शामिल थे और उनसे महज तीन से चार फिट की दूरी पर बैठे थे।
तिलमिलाया पाकिस्तान
दरअसल कुछ दिन पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इंटरनेशनल मीडिया के सामने कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश की थी। इसके बाद भारत ने अपने तेवर और सख्त कर लिए हैं।
डोभाल ने एससीओ संगठन के जरिए ही जैश ए मुहम्मद व लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करने का प्रस्ताव रखा है।
डोभाल के तेवर से तिलमिलाए पाकिस्तानी एनएसए यूसुफ ने भी कश्मीर और अफगानिस्तान के मुद्दे पर भारत पर परोक्ष तौर पर हमला किया, लेकिन भारतीय एनएसए अजित डोभाल की बातें सुन कर उनके पसीने छूट गए।
डोभाल ने अपने भाषण में कहा कि भारत हर तरह की आतंकी गतिविधियों के खिलाफ है। भारत की मांग है कि सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले संगठनों के खिलाफ शीघ्रता से कानूनी कार्रवाई करने की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र की तरफ से पारित प्रस्ताव को लागू किया जाना चाहिए ताकि संयुक्त राष्ट्र की तरफ से जिन लोगों और संगठनों को आतंकी घोषित किया गया है उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई हो सके। डोभाल ने कहा कि पाकिस्तान परस्त आतंकी जिस टेक्नॉलजी और हथियार का इस्तेमाल कर रहे हैं, उसे मॉनिटर करने की जरूरत है।
एससीओ की तरफ से इस बैठक के बाद जारी बयान में सभी देशों ने आतंकवाद के खिलाफ आपस में सहयोग बढ़ाने पर सहमति दी। सभी सदस्य देश अंतररराष्ट्रीय आतंकवाद, अलगाववाद, उग्रवाद और धार्मिक कट्टरता के खिलाफ सहयोग करेंगे।
क्या है शंघाई कोऑपरेशन आर्गनाइजेशन
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की उत्पत्ति वर्ष 2001 में तत्कालीन शंघाई-5 से हुई थी। शंघाई फ़ाइव समूह का अस्तित्व वर्ष 1996 में चीन के इसरार पर आया था। उससे पहले, 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद चीन और चार अन्य देश, रूस, क़ज़ाख़िस्तान, किर्गीज़िस्तान और ताजिकिस्तान एक साथ आए थे। इन देशों के साथ चीन की सीमा सुनिश्चित नहीं थी। चीन ने पांच देशों का समूह इसीलिए बनाया था, जिससे कि इन देशों के बीच सीमा को लेकर विवाद का शांतिपूर्ण ढंग से निपटारा किया जा सके। जब इन देशों के बीच सीमा के विवाद सुलझा लिए गए, तो ये तय किया गया कि ये सभी पांच देश मिलकर शंघाई फ़ाइव का गठन करें, जिससे कि आपस में राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक और सांस्कृतिक मामलों में सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके। वर्ष 2001 में इस समूह में उज़्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद, शंघाई फ़ाइव का नाम बदलकर शंघाई सहयोग संगठन कर दिया गया।
टीम स्टेट टुडे
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