भूमाफिया, घुसपैठियों और रोहिंग्या से पूरी तरह मुक्त कराई गई कुकरैल नदी की जमीन, अब मलबा हटाना शुरू
बुधवार तड़के आखिरी बची इमारत को भी ध्वस्त कर एलडीए ने पूरी की अपनी कार्रवाई
कुकरैल नदी के किनारे निर्मित होगा रिवर फ्रंट, क्षेत्र को ईको टूरिज्म का हब बनाएगी योगी सरकार
अभियान के दौरान अवैध बने 1169 आवास और 101 कॉमर्शियल निर्माण हुए ध्वस्त
अभियान में करीब 24.5 एकड़ जमीन पर बने 1800 से अधिक अवैध निर्माण किए गए जमींदोज
दिसंबर 2023 से शुरू हुआ था अतिक्रमण हटाने का अभियान, कोर्ट ने भी कार्रवाई को सही माना
शासन के निर्देश पर सर्वे के दौरान नदी की जमीन पर बड़ी संख्या में अवैध निर्माण की बात आई थी सामने
लखनऊ, 19 जून। कुकरैल नदी का अतिक्रमण कर अवैध कब्जों से पाट दिया गया लखनऊ का अकबरनगर इलाका अब इतिहास के पन्नों में दफन हो चुका है। इस क्षेत्र को अब इको टूरिज्म के हब के रूप में विकसित किए जाने की तैयारी हो रही है। रिवर फ्रंट के साथ ही देश की पहली नाइट सफारी के अलावा सरकार ने इस क्षेत्र को चमकाने का पूरा रोडमैप तैयार कर लिया है। इस पर जल्द अमल शुरू होगा। योगी सरकार के प्रयासों और सुप्रीम कोर्ट के आदेश से इस पूरे क्षेत्र को भूमाफिया, घुसपैठियों, रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के कब्जे से खाली करा लिया गया है। यहां कब्जा कर बनाए गए एक-एक अवैध मकान और बड़े-बड़े वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को जमींदोज कर दिया गया है। बुधवार तड़के आखिरी बची चार मंजिला इमारत को भी ध्वस्त कर एलडीए ने अपनी कार्रवाई को अंजाम दिया। 10 जून से शुरू हुई कार्रवाई के खत्म होने के बाद अब योगी सरकार इस क्षेत्र के चहुंमुखी विकास पर ध्यान देने जा रही है।
1800 से अधिक अवैध निर्माण हुए जमींदोज
पिछली सरकारों और भूमाफिया की सांठगांठ के चलते कुकरैल नदी की जमीन पर कब्जा कर यहां अवैध निर्माण कर लिए गए थे। सीएम योगी ने प्रदेश की बागडोर संभालने के बाद इस ओर ध्यान दिया। शासन के निर्देश पर सर्वे के दौरान नदी की जमीन पर बड़ी संख्या में अवैध निर्माण की बात सामने आई थी, जिसके बाद सीएम योगी ने इस अवैध निर्माण के खिलाफ बुलडोजर चलाने का निर्णय लिया। लोकसभा चुनाव के पहले दिसंबर 2023 से शुरू हुआ यह अभियान लोकसभा चुनाव के बाद भी अनवरत जारी रहा और आखिरकार 19 जून की तड़के अंतिम इमारत को ध्वस्त करने के बाद ही रुका। इस दौरान योगी के बुलडोजर ने यहां अवैध रूप से बने 1169 मकानों और 101 कॉमर्शियल निर्माण को जमींदोज कर दिया। इस अभियान में करीब 24.5 एकड़ जमीन पर बने 1800 से अधिक अवैध निर्माण ध्वस्त किए गए हैं, जो इस अभियान की व्यापकता को दर्शाता है। इस दौरान कई अड़चनें भी आईं, लेकिन सीएम योगी ने हर चुनौती का सामना करते हुए इस अभियान को पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा किया। कुकरेल नदी को पुनर्जीवित करने के अपने संकल्प को पूरा करने के लिए सीएम योगी ने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी। कोर्ट ने भी योगी सरकार की कार्रवाई को सही माना।
नए सिरे से विकसित होगा क्षेत्र
कुकरैल नदी का क्षेत्र खाली होने के बाद अब यहां रिवर फ्रंट विकसित किया जाएगा। बख्शी के तालाब के पास दशौली गांव को इसका उद्गम स्थल माना जाता है, इसलिए वहीं से इसका विकास किया जाएगा। साथ ही सभी यहां मौजूद सभी तालाबों को इंटरलिंक करके क्षेत्र को संवारा जाएगा। इसके अलावा भी नगर विकास विभाग के अंतर्गत कई अन्य परियोजनाओं को यहां मूर्त रूप दिया जाएगा। यही नहीं, कई अन्य विभागों को भी इस क्षेत्र के विकास की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन परियोजनाओं का लेआउट प्लान तैयार किया जा रहा है और जल्द ही सीएम योगी की मंजूरी के बाद इसकी घोषणा की जाएगी। वहीं, योगी सरकार कुकरैल वन क्षेत्र को ईको टूरिज्म का हब बनाने जा रही है। यहां देश की पहली नाइट सफारी विकसित होने जा रही है। कुकरैल नाइट सफारी पार्क देश की पहली नाइट सफारी होगी। नाइट सफारी क्षेत्र में इंडियन वॉकिंग ट्रेल, इंडियन फुटहिल, इंडियन वेटलैंड, एरिड इंडिया व अफ्रीकन वेटलैंड की थीम पर विकसित किए जाने वाले क्षेत्र मुख्य आकर्षण होंगे। नाइट सफारी में कुल 42 इनक्लोजर में 54 प्रजातियों के जानवरों को रखा जाएगा। पर्यटकों द्वारा नाइट सफारी पार्क का अवलोकन 5.5 किमी ट्राम-वे तथा 1.92 किमी का पाथ-वे के माध्यम से किया जाएगा। नाइट सफारी में एशियाटिक लॉयन, घड़ियाल, बंगाल टाइगर, उड़न गिलहरी, तेंदुआ, हायना आदि आकर्षण का केंद्र होंगे। कुकरैल नदी के दोनों तरफ सुंदर पार्क विकसित किए जाएंगे। एडवेंचर एक्टिविटी भी होंगी।
सोशल मीडिया पर भी योगी सरकार के एक्शन की चर्चा
सीएम योगी के इस एक्शन की चर्चा सोशल मीडिया में भी हो रही है। लोग अंतिम इमारत ढहाए जाने के वीडियो पोस्ट कर इस क्षेत्र को अराजकता से मुक्ति दिलाने के लिए सीएम योगी की प्रशंसा कर रहे हैं। कई सोशल मीडिया यूजर्स पहले और अब की तस्वीरें पोस्ट कर बता रहे हैं कि कैसे इस क्षेत्र का अतिक्रमण किया गया था। लोगों का दावा है कि घुसपैठियों ने यहां सरकारी जमीन पर कब्जा कर अराजकता फैला रखी थी। यहां से कानून व्यवस्था को खराब करने की साजिश रची जाती थी। एक यूजर ने लिखा कि 18 जून, 1576 को अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा गया था। संयोग देखिए कि महाराणा प्रताप के उपासक पूज्य महाराज जी के नेतृत्व में कल ही (युद्ध वाले दिन) अकबर नगर इतिहास के पन्नों में दफ्न हो गया। ऐसे संयोग ईश्वरीय इच्छा से ही बनते हैं। कुछ लोग इसे लैंड जिहाद का खात्मा भी करार दे रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में गुरुवार से शुरू होगी राज्य पक्षी सारस की गणना
योगी सरकार ने की सारस के संरक्षण की पहल, मिले सुखद परिणाम
2021 में 173279, 2022 में 19188 और 2023 में यूपी में पाए गए थे 19522 सारस
*दो दिन तक सुबह-शाम दो बार होगी गणना, प्रकृति प्रेमियों का भी लिया जाएगा सहयोग
लखनऊ, 19 जूनः योगी सरकार ने सारस के संरक्षण के लिए पहल की, जिसके सुखद परिणाम मिलने लगे। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश में गुरुवार से राज्य पक्षी सारस की गणना होगी। वर्ष में दो बार (ग्रीष्मकालीन-शीतकालीन) गणना होती है। वर्ष 2024 के लिए गुरुवार से दो दिन तक सारस गणना होगी। यह गणना सुबह-शाम दो बार की जाएगी। इसमें वन विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ ही विद्यार्थियों व प्रकृति प्रेमियों का भी सहयोग लिया जाएगा। 2023 में हुई गणना में उत्तर प्रदेश में 19522 सारस पाए गए थे। प्रभागीय वनाधिकारी अपने प्रभाग में पाए गए सारस की संख्या व फोटो पहली जुलाई तक मुख्य वन संरक्षक, ईको विकास, लखनऊ को उपलब्ध कराएंगे।
प्रभागीय वनाधिकारी होंगे को-ऑर्डिनेटर
सारस की गणना वर्ष में दो बार (ग्रीष्मकालीन व शीतकालीन) होती है। 20 व 21 जून 2024 को ग्रीष्मकालीन सारस गणना की जाएगी। इसके लिए प्रत्येक प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों के को-ऑर्डिनेटर होंगे। वन रक्षक गणना टीम का लीडर होगा। इनके कार्य क्षेत्र में कई वेटलैंड होने पर एक से अधिक टीम गठित की जाए। इसके लिए जनसामान्य को भी जागरूक किया जाएगा। गणना में स्कूल, कॉलेज के बच्चों, प्रकृति प्रेमियों व एनजीओ भी सारस गणना में प्रतिभाग कर सकते हैं। इन्हें प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा।
साल दर साल बढ़ती गई सारस की संख्या
वर्ष 2024 में प्रत्येक गणना स्थल पर सुबह छह से आठ और शाम चार से छह बजे तक गणना होगी। दोनों में जो भी संख्या अधिकतम होगी, उसे ही वास्तविक माना जाएगा। प्रत्येक गणना स्थल की जीपीएस रीडिंग भी होगी। वहीं साल दर साल सारस की संख्या में भी काफी बढ़ोतरी हुई। कोरोना के बाद प्रदेश में 2021 में 17329 सारस पाए गए। 2022 में यह बढ़कर 19188 हो गए। 2023 में यह संख्या बढ़कर 19522 हो गई। वहीं 2024 में गुरुवार से होने वाली गणना के उपरांत सारस के कुनबे के और बढ़ने की संभावना है।
'कैच द रेन' अभियान को तेजी से पूरा करने में जुटी योगी सरकार
- सीएम योगी के निर्देश पर वर्षा जल के अधिकाधिक संचयन के लिए चल रहा 'कैच द रेन' अभियान
- अभियान के पांचवें चरण में प्रदेश के सभी जनपदों में शीघ्रता से पूरे किये जा रहे तमाम कार्य
- छोटी नदियों के कायाकल्प से लेकर पारंपरिक जल निकायों और जलस्रोतों का हो रहा नीवनीकरण
- अमृत सरोवरों में जमी सिल्ट को साफ करने में जुटी है योगी सरकार की मशीनरी
- सरकारी भवनों की छतों पर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को किया जा रहा दुरुस्त
- अमृत सरोवरों की साफ सफाई में गोरखपुर सबसे आगे, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में पीलीभीत सबसे आगे
लखनऊ, 19 जून। अधिकाधिक वर्षा जल संचयन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश में चल रहा 'कैच द रेन' अभियान तेज गति से आगे बढ़ रहा है। 2019 से प्रतिवर्ष मार्च-अप्रैल से नवंबर तक चलने वाला ये अभियान इस वर्ष अपने पांचवें चरण में पहुंच चुका है। इसके अंतर्गत पारंपरिक जल निकायों, जलस्रोतों का नीवनीकरण और पुन: उपयोग, बोरवेल पुनर्भरण, वाटरशेड का विकास, गहन वनारोपण, छोटी नदियों के कायाकल्प के साथ ही 'नारी शक्ति से जल शक्ति' के थीम पर जन जागरूकता कार्यक्रम, जिलों की हाइड्रो जियोलॉजिकल परिस्थिति के अनुसार जल संचयन संबंधी अन्य कार्य कराए जा रहे हैं। इसके अलावा जिलों के सभी शासकीय, अर्द्धशासकीय भवनों पर अनिवार्य रूप से रूफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली (RTRWH) की स्थापना कराने के निर्देश हैं। साथ ही यह भी निर्देश हैं कि जिलों के सभी अमृत सरोवरों के जल प्रवाह में रुकावट को ठीक किया जाए।
क्रियान्वयन के मामले में ये हैं टॉप फाइव जिले
18 जून तक की रिपोर्ट के अनुसार जिलों के शासकीय और अर्द्धशासकीय भवनों पर अनिवार्य रूप से रेनवॉटर हार्वेस्टिंग प्रणाली (RTRWH) की स्थापना कराने के मामले में पीलीभीत, अयोध्या, अंबेडकरनगर, बाराबंकी और गोंडा क्रमश: टॉप फाइव में हैं। यहां शत प्रतिशत कार्य पूरा किया जा चुका है। वहीं अमृत सरोवरों के रखरखाव में गोरखपुर, महाराजगंज, प्रयागराज, आजमगढ़ और बाराबंकी क्रमश: टॉप फाइव जनपद हैं। यहां अमृत सरोवरों में सिल्ट और वनस्पतियों को साफ कराने का कार्य पूरा कर लिया गया है। साथ ही निर्माणाधीन अमृत सरोवरों के कार्य को भी पूरा कर लिया गया है।
जल निकाय की हो डिसिल्टिंग
प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने हाल ही में 'कैच द रेन अभियान 2024' की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को इस बात से अवगत करा दिया है कि यह केंद्र और योगी सरकार के सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। इसके अंतर्गत प्रदेश के सभी जिलों में मानसून के प्रारंभ से पहले प्राथमिकता के आधार पर जल स्रोतों यथा तालाब, कृत्रिम पुनर्भरण संरचना, छोटी नदियां, चेकडैम, जल निकाय के डिसिल्टिंग और पुनरुद्धार के कार्य पूर्ण कर लिए जाएं, जिससे कि वर्षा ऋतु में अधिकाधिक वर्षा जल का संचयन करते हुए जल शक्ति अभियान को सार्थकता प्रदान की जाए।
जिलों में सीडीओ बनाए गये हैं नोडल अफसर
इस बात के भी निर्देश हैं कि जनपदों के सभी शासकीय, अर्द्धशासकीय भवनों यथा कार्यालय भवन, प्राथमिक विद्यालय, आंगनवाड़ी केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, पंचायत भवन आदि पर अनिवार्य रूप से रूफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना सुनिश्चित करा ली जाए। साथ ही नगरीय क्षेत्रों में आने वाले समस्त पार्क और सार्वजनिक स्थलों में वर्षा जल संचयन के प्रभावी उपाय किये जाएं। इसके अलावा 'कैच द रेन 2024' विषय पर जन जागरूकता के लिए स्कूली बच्चों एवं समाज में विशेष अभियान, रैलियां, गोष्ठियां, वार्ता आदि का भी आयोजन कराया जाए, जिससे जल संरक्षण एक जन आंदोलन का रूप ले सके। इसके लिए सभी जिलों के मुख्य विकास अधिकारी को नोडल अधिकारी नामित किया गया है।
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