भारत में एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (एबीएस) को अब प्रत्येक वाहन में अनिवार्य कर दिया गया है। इस फीचर को खासतौर पर मौसम की स्थिति के दौरान वाहन के बेहतर कंट्रोल प्रदान करने और पैनिक ब्रेकिंग के खतरों से बचने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बिना एंटी-लॉक ब्रेक वाले वाहन की तुलना में ABS सिस्टम से लैस वाहनों में दुर्घटना की संभावना 35% तक कम होती है।
सबसे पहले 1978 में प्रयोग किया गया ABS
सबसे पहले ABS को विमान और रेलवे पर परीक्षण किया गया था। इस फीचर को कार में 1978 में W116 Mercedes-Benz S-Class पर पेश किया गया था। ABS (एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम) किसी वाहन की ब्रेकिंग दक्षता में सुधार करता है। वहीं एक बिना एबीएस कार को पूरी तरह से रोकने के लिए वास्तव में अधिक दूरी की आवश्यकता हो सकती है। हाई ब्रेकिंग स्थिति के दौरान पहिए लॉक हो जाते हैं, तो कार केवल एक सीधी रेखा पर चलेगी, भले ही चालक इसे नियंत्रित करने के लिए वापस चलाने की कोशिश करे। यदि ABS मौजूद है, तो भारी ब्रेक लगाने पर पहिए धीरे-धीरे घूम सकते हैं और चालक स्टीयरिंग पर अपना कंट्रोल दोबारा से प्राप्त कर सकता है। इसलिए, ABS वास्तव में कार को धीमा करने के बजाय स्टीयरिंग में अधिक मदद करता है।
कब उपयोग में आता है यह फीचर?
ABS का उपयोग करना नियमित ब्रेक का उपयोग करने से बहुत अलग है। यदि आप स्टॉप साइन, लाल बत्ती, या आपके आगे धीमी गति से चलने वाले वाहनों के लिए सामान्य रूप से ब्रेक लगा रहे हैं, तो ABS सिस्टम सक्रिय नहीं होगा। किसी भी स्थिति में जल्दी ब्रेक लगाना हमेशा सबसे अच्छा होता है, लेकिन अगर आपको जल्दी और अचानक ब्रेक लगाने की जरूरत है, तो ABS सक्रिय हो जाएगा। वहीं अगर किसी वाहन में एबीएस नहीं है, तो ड्राइवरों को धीमी सड़कों पर दुर्घटना से बचने के लिए मजबूती से ब्रेक लगाने की आवश्यकता होगी। जानकारी के लिए बता दें, पिछले 10 वर्षों में अधिकांश कार निर्माताओं ने अपने वाहनों में ABS स्टैंडर्ड बनाया है। वहीं भारत में भी इसे अब प्रत्येक वाहन में अनिवार्य कर दिया गया है।
टीम स्टेट टुडे
Comments