दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोरोनाकाल में जिस तरह सरकार चलाई उसकी कलई अब खुल रही है। लोग मरते रहे, कालाबाजारी होती रही, मुनाफाखोरी होती रही, अस्पताल लोगों को लूटते रहे, पूरी अव्यवस्था को और बढ़ा कर उसे ही व्यवस्था मानते हुए पूरी सियासत की गई।
ये स्थिति सिर्फ कोरोना संक्रमण की लहर के चरम पर होने के समय नहीं थी बल्कि वैक्सीन को लेकर भी दिल्ली की जनता के बीच ना सिर्फ भ्रम की स्थिति पैदा की गई बल्कि सरकार ने कुछ ऐसा किया जिससे लोग असमंजस में पड़ गए और अफरातफरी की स्थिति बन गई।
दरअसल दिल्ली सरकार ने वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर जितना हो-हल्ला मचाया ऐसा लगता है कि वो सब सोची समझी रणनीति के तहत किया गया। दिल्ली सरकार को पता थी कि केंद्र से उसे कब और कितनी वैक्सीन मिलेंगी लेकिन केजरीवाल सरकार ने एक के बाद एक वैक्सीन सेंटर खोल दिए। जिससे लोगों को लगा कि दिल्ली सरकार तो उनके वैक्सीनेशन को लेकर चिंतित है लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से सप्लाई ही नहीं हो रही।
अब दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार की इस चालाकी को पकड़ लिया है। दिल्ली में टीके की कमी को लेकर हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से सख्त सवाल पूछे हैं। कोर्ट ने वैक्सीन की खुराक सीमीति होने की जानकारी के बावजूद खोले गए ढेर सारे टीकाकरण केंद्रों को लेकर भी सवाल पूछे।
हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा, यदि आप कोविड वैक्सीन की दूसरी खुराक मुहैया नहीं करा सकते, तो इसने जोर-शोर से टीकाकरण केंद्र क्यों शुरू किए गए। आगे अदालत ने ये भी पूछा कि, क्या आप वैक्सीन की पहली खुराक लेने के बाद छह सप्ताह की समय सीमा समाप्त होने से पहले लोगों को दूसरी खुराक मुहैया करा सकते हैं।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि यदि दिल्ली सरकार यह सुनिश्चित नहीं कर सकती कि लोगों को निर्धारित समय सीमा में कोवाक्सीन की दोनों खुराक मिल जाएंगी, तो जोर-शोर से इतने टीकाकरण केंद्र शुरू नहीं करने चाहिए थे।
अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी में कोवाक्सीन और कोविशील्ड की दोनों खुराक उपलब्ध कराने का अनुरोध करने वाली दो याचिकाओं पर केंद्र को भी नोटिस जारी किया।
कोरोना को लेकर सुनवाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि हमें तीसरी वेब की चेतावनी को गंभीरता से लेना होगा। दूसरी वेब में जो कुछ हुआ है वह भुलाया नहीं जा सकता।
दिल्ली में कोरोना से जुड़े मामलों की सुनवाई के दौरान आज दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है जिसमें सरकार से पूछा गया कि वो यह बताएं कि द्वारका स्थित इंदिरा गांधी हॉस्पिटल को कब तक पूरी तरह से ऑपरेशनल कर पाएगी। दिल्ली सरकार को अपने हलफनामे में इंदिरा गांधी हॉस्पिटल में बेड की संख्या निर्माण कार्य और सुविधाओं की उपलब्धता को लेकर पूरी पारदर्शिता से कोर्ट को जानकारी देनी होगी।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने एक बार फिर कहा कि केंद्र सरकार उन्हें पूरा सहयोग नहीं दे रही है। अस्पताल और बेड को लेकर जिस तरह से हम से सवाल पूछे जा रहे हैं उसी तरह केंद्र सरकार से भी पूछना चाहिए।
टीम स्टेट टुडे
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