अयोध्या में श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण में एक ग्राम भी लोहा इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। मंदिर को तांबे की पट्टियों से जोड़ा जाएगा। इसमें दस हजार से ऊपर तांबे की पट्टियां इस्तेमाल होंगी, जिसे दान में लिया जाएगा।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की नई दिल्ली में बैठक हुई। जिसके बाद ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय बंसल ने बताया कि मंदिर की निर्माण तिथि से हम यह विचार करके इसको इतनी मजबूती देंगे कि इसकी आयु एक हजार वर्ष से भी अधिक रहे। इसका निर्माण हवा, धूप और पानी से क्षरण की मार को पत्थर के सहने की क्षमता पर आधारित होगा। इसके निर्माण में हम आईआईटी चेन्नई व रुड़की के साथ सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट की मदद ले रहे हैं। लार्सन एंड टूब्रो कंपनी इस काम में आईआईटी के इंजीनियरों की तकनीकी सहायता भी ले रहे है। इसमें 60 मीटर तक साइल टेस्टिंग और भूकंप रोधी मापन भी किया गया है। मंदिर का निर्माण भारत की प्राचीन निर्माण पद्धति से किया जा रहा है ताकि वह सहस्त्रों वर्षों तक न केवल खड़ा रहे, अपितु भूकम्प, झंझावात अथवा अन्य किसी प्रकार की आपदा में भी उसे किसी प्रकार की क्षति न हो।
मंदिर निर्माण से जुड़ी 5 खास बातें
1. भूकंप-तूफान से बचाने के लिए परंपरागत तकनीकों से निर्माण होगा।
2. पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की 1. हजार पत्तियां काम में ली जाएंगी।
3. तांबे की पत्तियां देने वाले उन पर अपने परिवार, इलाके या मंदिरों के नाम गुदवा सकेंगे।
4. मंदिर निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
5. 3 से4 साल में निर्माण का काम पूरा होने की उम्मीद।
ट्रस्ट ने तांबे की पत्तियां दाने करने की अपील की
ट्रस्ट का कहना है कि मंदिर निर्माण में देश की प्राचीन और परंपरागत तकनीकें काम में ली जाएगी। ताकि भूकंप, तूफान और दूसरी आपदाओं से कोई नुकसान नहीं हो। कंस्ट्रक्शन में लगने वाले पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए 18 इंच लंबी, 3 मिलीमीटर गहरी और 30 मिलीमीटर चौड़ाई की 10 हजार पत्तियों की जरूरत पड़ेगी।
ट्रस्ट के मुताबिक भक्तों से तांबे की पत्तियां दान करने की अपील की गई है। दान देने वाले इन पत्तियों अपने परिवार, इलाके या मंदिरों का नाम गुदवा सकते हैं। इस तरह तांबे की पत्तियां न सिर्फ देश की एकता का उदाहरण बनेंगी, बल्कि मन्दिर निर्माण में पूरे देश के योगदान का सबूत भी देंगी।
श्रीराम मंदिर निर्माण पीसीसी टेक्नोलॉजी पर आधारित रहेगा। राम मंदिर का एरिया करीब तीन एकड़ का होगा। लोड के हिसाब से 60, 40 और 20 मीटर गहरे पिलर लगाए जाएंगे। मंदिर से जुड़े सभी काम एक्सपर्ट के हाथ में है। उन्होंने कहा कि हमको 30 से 35 मीटर गहराई से नींव लानी पड़ेगी और एक मीटर व्यास के गोल आकार में लानी पड़ेगी। तीन एकड़ में ऐसे कम से कम 1200 खंभे होंगे। इस काम में तो जल्दीबाजी नहीं की जा सकती। इसमें आईआईटी चेन्नई ने 263 फिट गहराई की मिट्टी के सैंपल लिए हैं। इसके साथ ही भूकंप का असर जानने के लिए 60 मीटर तक साइल टेस्टिंग की गई है। भूकंप रोधी मापन भी किया गया है। सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट और आईआईटी चेन्नई मिलकर टेस्टिंग रहे हैं।
टीम स्टेट टुडे
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