श्री विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम की आज जयंती है। क्या आप जानते हैं कि भगवान परशुराम की जन्मस्थली कहां है।
उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में रसूलाबाद स्थित परसौरा क्षेत्र भगवान परशुराम की जन्मस्थली के रुप में जाना जाता है। भले ही ये स्थल अब तक आपके संज्ञान में ना रहा हो और पर्यटन के लिहाज से भी विशेष स्थान ना मिला हो लेकिन ऐतिहासिक दृष्टि से इस क्षेत्र बड़ी महात्म्य है। परसौरा गांव भगवान परशुराम के नाम पर ही पड़ा है। पास में ही भगवान परशुराम के पिता महर्षि जमदग्नि के नाम से जमथरखेड़ा क्षेत्र भी है जहां बने मंदिर में भगवान परशुराम और उनके पिता की भी मूर्ति है। यहां लोग बड़ी आस्था से शीश झुकाने आते हैं।
जमदग्नि ऋषि का यह आश्रम राजस्व अभिलेखों में जमथरखेड़ा के रूप में दर्ज है। जमदग्नि आश्रम के अपभ्रंश रूप में ग्रामीण इसे जमथरखेड़ा कहते हैं। जमदग्नि ऋषि आश्रम पर बने शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग के पूजन का बहुत महत्व है।
बताते हैं भगवान परशुराम के समकालीन बाणासुर शिवजी से प्रसाद रूप में तीन शिवलिंग प्राप्त कर उन्हें पृथ्वी पर स्थापित करने के लिए लाए थे। भगवान शिव ने उन्हें इस शर्त पर यह शिवलिंग दिए थे कि यह उन्हें जहां स्थापित करना है वहीं पृथ्वी पर रखें। यदि बीच में इन्हें पृथ्वी पर रख देंगे तो फिर यह वहीं स्थापित हो जाएंगे।
जमदग्नि ऋषि के आश्रम के समीप उन्होंने वहां खेल रहे किशोर परशुराम को वह शिवलिंग दिए तो उन्होंने शिवलिंग ले लिए जाने पर प्रसन्न होकर यहीं स्थापित करवा दिया। दूसरा शिवलिंग कहिंजरी के महाकालेश्वर मंदिर में स्थापित है।
परसौरा में परशुराम की मां रेणुका ने उन्हें जन्म दिया था। इस मंदिर में अक्षय तृतीया को भगवान परशुराम की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है।
भगवान परशुराम के इस मंदिर तक पहुंचने के लिए रसूलाबाद से बिसधन मार्ग पर लगभग पांच किलोमीटर चलने के बाद पश्चिम की ओर निचली रामगंगा नहर पर बने डामरीकृत मार्ग पर लगभग तीन किलोमीटर के बाद परसौरा ग्राम पड़ता है जो नहर से एक किलोमीटर दूर है। गांव तक पक्का मार्ग बना हुआ है।
टीम स्टेट टुडे
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