पीलीभीत, 3 सितंबर 2022 : राजनीतिक दलों की ओर से चुनावों में वोट हथियाने के लिए मुफ्त की रेवड़ी बांटने की घोषणाएं किए जाने के मुद्दे पर राष्ट्रव्यापीबहस चल रही हैं। जिसके बीच सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) ने शनिवार को ट्वीट किया हैं। उन्होंने ट्विटर (Twitter) पर लिखा कि किसी भी नीति के पीछे सरकार (Government) की नीयत क्या है, यह समझे बिना उसे ‘मुफ्त की रेवड़ी’ कहना उचित नहीं है।
भाजपा सांसद ने ट्वीट (Tweet) किया कि अमीर-गरीब के बीच की खाई पाटने के लिए अगर कल्याणकारी राज्य एक वर्ग को विशेष राहत दें तो गलत नहीं, पर मंशा बस वोट ‘खरीदने’ की हो तो प्रश्नचिह्न लगेंगे। इसके साथ ही सांसद ने इसी मुद्दे पर हिंदी समाचार पत्र में प्रकाशित अपने लेख ‘ क्या हमने गरीबी-असमानता से निपटना छोड़ दिया’, की छाया प्रति भी ट्विटर पर अपलोड की है।
इस लेख में सांसद ने कहा कि रेवड़ी कल्चर (Revadi Culture) के मुद्दे पर मतदाताओं के साथ भी संवाद चाहिए।मतदातानीति निर्माताओं से लंबे समय से निराश हैं कि वे जीवन में वास्तविक सुधार के बदले अल्पकालिक लाभ देने की राह पर बढ़ रहे हैं।
अपने इस लेख की शुरुआत में ही सांसद ने मार्च 2021 में तमिलनाडु के मदुरै दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार थुलुम सरवनन ने जनता के सामने असाधारण चुनावी पेशकश की। मसलन, हर घर के लिए एक करोड़ रुपये, घर की सफाई के लिए हर गृहणी को एक रोबोट, नया कारोबार शुरू करने के लिए युवाओं को एक करोड़ रुपये, हर घर-परिवार को कार खरीदने के लिए 20 लाख रुपये, चांद की 100 दिन की यात्रा जैसे और भी मेगा वादों के बावजूद वह चुनाव हार गए।
सांसद ने लेख में कहा कि थुलुम के वादे सत्ता में आने की होड़ में लगे प्रमुख राजनीतिक दलों से बहुत अलग नहीं कहे जा सकते। आज ऐसी चुनावी पेशकश के अलग-अलग संस्करण तेजी से चुनावी वास्तविकता के साथ जुड़ रहे हैं। लेख के अंतिम पैराग्राफ में सांसद ने कहा कि इस मुद्दे पर मतदाताओं के साथ भी बहस और संवाद चाहिए।
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