दीपावली पर पटाखों का खास क्रेज़ रहता है। पटाखे कौन से खरीदे जाएं, कहां से खरीदे जाएं इसे लेकर हर बार उधेड़बुन रहती है। सबसे बड़ी बात सही दाम पर पटाखों की क्वालिटी होती है। अगर आप लखनऊ में रहते हैं तो इस बार पटाखों के लिए आप पहुंचिये काकोरी क्रैकर्स मार्केट। राजधानी ही नहीं प्रदेश के सबसे बड़े पटाखा व्यवसायियों का अब यही ठिकाना है। शहर की घनी आबादी से दूर कड़े सुरक्षा नियमों के पालन के साथ इस बाजार में गुणवत्तापूर्ण पटाखे मिलते हैं।
हरदोई रोड पर बाजनगर चौराहे के पास अमेठिया सलेमपुर में लखनऊ की सबसे बड़ी पटाखा मंडी है। यूं तो यहां साल भर पटाखों का कारोबार होता रहता है लेकिन दीपावली के मौके पर इस बाजार की रौनक देखते ही बनती है। सिर्फ लखनऊ ही नहीं आसपास के जिलों के पटाखा व्यवसायी भी यहां से पटाखे ले जाते हैं।
आपको बताते चलें कि इस बाजार में बिकने वाले पटाखे ब्रांडेड होते हैं। फायर वर्क्स डीलर्स वेलफेयर एसोसिएशन के महामंत्री अखिलेश चंद्र गुप्ता ने स्टेट टुडे टीवी से विशेष बातचीत में बताया कि पूरे प्रदेश में इस बात को लेकर लगातार जागरुकता पैदा की गई है कि देसी पटाखे ना बेचिये और ही ग्राहक उन्हें खरीदें। देसी पटाखों का बॉयकॉट करने से प्रदूषण भी कम फैलेगा और हादसों में भी कमी आएगी। इस बाजार में सभी दुकानों पर शिवाकाशी से बनकर आने वाले ब्रांडेड पटाखों को ही बेचा जाता है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के मुताबिक संस्था द्वारा पटाखों के तय फार्मूले के अनुसार चेन्नई के पास शिवाकाशी की करीब 800 से ज्यादा पटाखा यूनिट्स देश की अस्सी फीसदी डिमांड को पूरा करती हैं। यहां पर बने पटाखे इको फ्रेंडली या ग्रीन क्रैकर्स भी कहे जाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व की तारीफ करते हुए अखिलेश गुप्ता कहते हैं कि कोरोना के दौर से निकलकर जिस प्रकार दोनों सरकारों की जुगलबंदी से कारोबार जिस तेजी से वापस पटरी पर लौटा है उसकी जितनी तारीफ की जाए कम है।
पटाखा व्यवसायी सतीश चंद्र मिश्रा का कहना है कि ऐसे पटाखे ही खरीदने चाहिए जो चलें। सस्ते और देसी पटाखों के फेर में कई बार दुर्घटनाएं हो जाती है।
इस बाजार में दो रुपए से लेकर दो-तीन हजार तक के पटाखों की रेंज मौजूद है। बाजार में सुरक्षा के मानकों का भी विशेष ध्यान रखा गया है। सभी दुकानों पर अग्निशमन यंत्रों के साथ साथ बाजार में प्रवेश करने वाले ग्राहकों की चेकिंग भी की जाती है ताकि कोई बीड़ी-सिगरेट या माचिस के साथ प्रवेश ना करे।
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