बाबरी ढांचा विवाद मामले में सीबीआई अदालत 4 जून को भारतीय जनता पार्टी के नेताओं समेत अन्य आरोपियों के बयान दर्ज करेगी। इससे पहले विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) ने 18 मई को सीबीआई को कुछ निर्देश दिए थे। इसमें कहा गया था कि बाबरी विवाद मामले की सुनवाई करने के उद्देश्य से न्यायालय कक्ष में वीडियो कॉन्फ्रेंस की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र भेजा जाए।
अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वंस मामले में सीबीआई स्पेशल कोर्ट में अभियोजन पक्ष की गवाही पूरी होने के बाद मामले में कोर्ट ने सभी आरोपियों को आज तलब किया था। आरोपियों के वकील की ओर से लॉकडाउन का हवाला देते हुए उनकी पेशी के लिए दूसरी तारीख मांगे जाने पर कोर्ट ने उन्हें एक हफ्ते का वक्त दिया है। अब 32 आरोपियों की गवाही 4 जून को होगी ।
किन किन पर है मामला
अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले में अब 4 जून को सभी आरोपियों को सीबीआई ने अपनी गवाही दर्ज कराने के लिए कहा है । ढांचा ध्वंस मामले में राजनीति के बड़े नाम शामिल हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विश्व हिंदू परिषद के नेता और वर्तमान में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास और महामंत्री चंपत राय समेत 32 आरोपियों के बयान दर्ज किए जाने हैं. अयोध्या में स्थित विवादित ढांचा ध्वंस करने के आपराधिक मामले में सीबीआई के गवाह पूरे हो जाने के बाद अब आरोपियों की गवाही दर्ज करके उनका भी पक्ष जाना जाएगा. बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के अलावा सांसद बृजभूषण शरण सिंह, विनय कटियार, साक्षी महाराज, लल्लू सिंह, सतीश प्रधान, रामविलास वेदांती, महंत धर्मदास, आर एन श्रीवास्तव, साध्वी ऋतंभरा और पवन पाण्डेय भी आरोपी हैं.
अभियोजन की गवाही पूरी होने के बाद आज सीआरपीसी की धारा- 313 के तहत आरोपियों की गवाही लिए जाने की प्रक्रिया आज होनी थी। कोर्ट में आरोपियों के वकील की तरफ से कहा गया कि लॉक डाउन की वजह से सभी लोगों से संपर्क नहीं हो पाया है, इसलिए स्थगन आदेश दिया जाए। जिस पर कोर्ट की तरफ से 4 जून की नई तारीख दी गयी है. ये मामला सीबीआई विशेष जज अयोध्या प्रकरण की कोर्ट में चल रहा है. अयोध्या ढांचा ध्वंस मामले में सीबीआई ने कुल 49 आरोपी बनाये थे, जिनमें से 32 आरोपी इस वक्त जीवित हैं. बाकी 17 आरोपियों की मौत हो चुकी है।
14 मई तक नहीं हुआ कुछ काम
विशेष सीबीआई अदालत ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुपालन में यह जरूरी है कि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव अदालत कक्ष में वीडियो कांफ्रेंस की सुविधा उपलब्ध कराएं। हालांकि, वह पहले 14 मई तक यह काम पूरा कर लेने की बात कह चुके हैं लेकिन तय तारीख तक कुछ भी नहीं हुआ।
Comments