उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दशहरे के दिन अलग ही स्वरुप नजर आया। योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठाधीश्वर भी हैं। विजयादशमी के दिन सुबह से ही नाथ परंपरा के मुताबिक होने वाली विजयादशमी आराधना की उन्होंने शुरुआत की। शुरुआत श्रीनाथ जी के विशिष्ट पूजन से हुई।
नाथ पंथ के विशिष्ट वाद्ययंत्र नागफनी, डमरू और शंख की गूंज के बीच विधि-विधान के साथ उन्होंने पहले श्रीनाथ जी और फिर मंदिर में मौजूद सभी देव-विग्रहों की पूजा-अर्चना कर आरती उतारी और भोग लगाया।
विशिष्ट पूजन की परंपरा
योगी आदित्यनाथ ने विजयादशमी का पूजन उसी स्थल से शुरु किया जहां नवरा़त्र के दौरान पूरे नौ दिन मां भगवती यानी आदिशक्ति की आराधना हुई थी। मुख्यमंत्री ने शक्तिपीठ मां आदिशक्ति के दरबार में दर्जन किया और फिर गाजे-बाजे की धुन की गूंज के बीच विशिष्ट पूजन के लिए श्रीनाथ जी के दरबार में पहुंचे। आधे घंटे से ज्यादा समय तक लगातार उन्होंने परंपरागत शैली में मोरपंख हिलाकर और घंटी बजाकर श्रीनाथ जी की पूजा की।
विजयादशमी के पावन मौके पर वैदिक मंत्रोच्चार के के साथ सभी देव विग्रहों को भोग लगाकर उन्होंने श्रीनाथ जी की विशिष्ट पूजा सम्पन्न की।
गौशाला में गौ सेवा
विजयादशमी पर गोरखपुर के गोरक्षधाम में स्थित गौशाला में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गो-सेवा की। गोशाला में उन्होंने गाय और बछड़ों की पूजा की और उन्हें भी भोग लगाया। इस दौरान नागफनी, शंख और डमरू की धुन से पूरा मंदिर परिसर गुंजायमान रहा।
तिलकोत्सव के बाद विजयशोभा यात्रा
विजयादशमी के पर्व पर गोरखनाथ मंदिर में तिलकोत्सव का आयोजन हुआ। जिसमें संत, योगी और भक्त गोरक्षपीठाधीश्वर को तिलक लगाकर उनका आशीर्वाद लेंगे। इसके बाद शस्त्र पूजन का कार्यक्रम हुआ।
परंपार के अनुसार गोरक्षपीठाधीश्वर और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शााम चार बजे शस्त्र पूजन के बाद भव्य विजयशोभा यात्रा पर सवार हुए। शहर के मुख्य मार्गो से निकलती ये शोभायात्रा मानसरोवर मंदिर पहुंची जहां शक्ति आराधना करने के बाद योगी आदित्यनाथ रामलीला मैदान में भगवान राम का तिलक करने पहुंचे। रामलीला के मंच से मुख्यमंत्री ने विजयादशमी का महत्व बताया और प्रदेशवासियों की पर्व की बधाई दी। देर शाम मंदिर परिसर में सामाजिक समरसता कायम रखने के लिए सहभोज का कार्यक्रम में भी सीएम शामिल हुए।
टीम स्टेट टुडे
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