उत्तर प्रदेश के विकास को रफ्तार देने के लिए वाणिज्य कर विभाग दिनरात एक कर रहा है। कोरोनाकाल में आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं। अब अनलॉक 6 का दौर चल रहा है। कामधंधे पटरी पर लौट रहे हैं। त्यौहारी मौसम में खरीद-फरोख्त भी रफ्तार पकड़ रही है। ऐसे में हर बिक्री पर टैक्स रेवेन्यू जेनरेशन भी हो रहा है।
उत्तर प्रदेश वाणिज्य कर विभाग के अनुसार वर्तमान में प्रदेश में 18 लाख व्यावसायिक प्रतिष्ठान हैं जो टैक्स के दायरे में आते हैं। चालू वित्तीय वर्ष में विभाग 16 लाख 30 हजार व्यवसायिक प्रतिष्ठानों का पंजीकरण कर चुका है। साल 2020-21 में विभाग का टैक्स रेवेन्यू टारगेट 91668 करोड़ रुपए हैं। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि पंजीकरण की संख्या 25 लाख तक पहुंचे लेकिन विभाग के सामने यक्ष प्रश्न है कि प्रदेश की वस्तुस्थिति से सीएम साहब को अवगत कैसे कराया जाए। दरअसल जीएसटी प्रावधानों में स्पष्ट है कि सालाना चालीस लाख के टर्नओवर वाले व्यवसायिक प्रतिष्ठान ही वाणिज्य कर विभाग के दायरे में आते हैं। ऐसे में अगर प्रदेश के कारोबारियों को अपने व्यवसायिक कौशल को और धार देने की जरुरत है तो दूसरी तरफ सरकार को भी कुछ ऐसे उपाय करने होंगें जिससे प्रदेश के व्यवसाइयों का कारोबार थोड़ा और फले फूले।
कमिश्नर वाणिज्य कर श्रीमती अमृता सोनी की अगुवाई में विभाग अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए तत्पर है। विभाग के सचल दस्ते अगर पूरी सजगता बरत रहे हैं तो दूसरी तरफ विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी अपने अधीनस्थों के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आकांक्षाओं के मुताबिक कारोबारियों को टैक्स जमा करन के लिए प्रेरित करने में भी पीछे नहीं हैं। सीएम योगी ने वाणिज्य कर विभाग से अपेक्षा की है कि विभाग द्वारा व्यापारियों को रिटर्न भरने के लिए प्रेरित किया जाए। साथ ही 10 लाख रुपए की बीमा सुरक्षा और भविष्य में लागू होने वाली पेंशन योजना के बारे में भी व्यापारियों को जरुर बताया जाए। इससे ना सिर्फ सरकार की शानदार योजना का लाभ व्यापारियों को मिलेगा, पंजीकरण बढ़ेगा बल्कि व्यापारियों के बीच विभाग के बारे में अच्छा संदेश भी जाएगा।
बीमा योजना के विषय में जब स्टेट टुडे ने विभाग से जानकारी ली तो संयुक्त निदेशक सांख्यिकी मनोज तिवारी ने बताया चालू वित्तीय वर्ष में 56 व्यवसायियों को इस योजना का लाभ दिया गया है जबकि गत वर्ष यह संख्या 154 थी।
कर विभाग के लिए अक्सर कहा जाता है कि आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया लेकिन कमिश्नर अमृता सोनी की अगुवाई में विभाग ने इस कहावत को भी पलटा है। कोरोनाकाल के बावजूद विभाग रेवेन्यू कलेक्शन में अपने टार्गेट के नजदीक पहुंच रहा है जबकि सरकार की तरफ से विभाग का कुल बजट 760 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है जिसमें 90 प्रतिशत व्यय तनख्वाह पर जबकि 10 प्रतिशत अन्य आफिस खर्चों के लिए निर्धारित है। विभाग की ये उपलब्धियां तब हैं जब विभाग के अधिकारी वाहनों की कमी से जूझ रहे हैं। जिस विभाग के अधिकारी रात में चेकिंग और दिन में रिपोर्ट तैयार करते हैं वो कई बार उधार की सरकारी गाड़ियों से प्रदेश के विकास को गति देने का प्रयास करते हुए नजर आते हैं।
टीम स्टेट टुडे
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