इससे जघन्य कुछ नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री मोदी पर कातिलाना हमने की बड़ी योजना विफल हो गई। बीस मिनट तक पूरे देश की निगाहें पंजाब के एक फ्लाईओवर पर टिकी रहीं जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफिला प्रायोजित उग्र भीड़ की गिरफ्त में आ गया।
क्या है पूरा वाकया -
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पंजाब के दौरे पर थे, लेकिन इस दौरान एक घटना ने पूरे देश को हिला दिया। जब पीएम बठिंडा से हुसैनीवाला जा रहे थे, तब उनकी सुरक्षा से पंजाब की चन्नी सरकार ने समझौता कर दिया। टॉप सीक्रेट पीएम रुट की जानकारी लीक कर दी गई और अराजक प्रदर्शनकारियों ने पीएम फ्लीट का रास्ता ब्लाक कर दिया। पीएम का काफिला एक फ्लाईओवर पर 15 से 20 मिनट तक रुका रहा।
किसान आंदोलन खत्म होने के बाद मोदी का पहला पंजाब दौरा
करीब 13 महीने चले किसान आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार पंजाब दौरे पर आए थे। उन्हें फिरोजपुर जाना था, जहां 42,750 करोड़ रुपये की विकास योजनाओं की नींव रखनी थी। मौसम विभाग ने यहां पहले ही बारिश की चेतावनी जारी की थी। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में 10 हजार जवानों की तैनाती की गई थी।
प्रधानमंत्री बठिंडा पहुंचे, लेकिन रुकना पड़ा
प्रधानमंत्री का विशेष विमान बुधवार सुबह बठिंडा के एयरफोर्स स्टेशन पर पहुंचा। यहां मौसम खराब था। यहां से उन्हें हेलिकॉप्टर के जरिए हुसैनीवाला जाना था, लेकिन कोहरे और बारिश की वजह से दृश्यता की कमी थी। करीब 20 मिनट तक प्रधानमंत्री एयरफोर्स स्टेशन पर ही रुके रहे।
सड़क मार्ग से दूरी तय करने का फैसला हुआ
जब मौसम साफ नहीं हुआ तो प्रधानमंत्री के काफिले को सड़क मार्ग के जरिए हुसैनीवाला ले जाने का फैसला हुआ। बठिंडा से हुसैनीवाला के बीच दूरी 122 किलोमीटर है। सड़क मार्ग से यह दूरी तय करने में दो से सवा दो घंटे का वक्त लगता है। पंजाब पुलिस के डीजीपी से एसपीजी और गृह मंत्रालय ने बात की। उनकी तरफ से जरूरी सुरक्षा इंतजामों की पुष्टि होने के बाद प्रधानमंत्री का सड़क मार्ग से सफर शुरू हुआ।
हुसैनीवाला के नजदीक प्रदर्शनकारी जमा थे
प्रधानमंत्री को हुसैनीवाला स्थित राष्ट्रीय शहीद स्मारक जाना था। उनका काफिला करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर था, लेकिन बीच में प्रदर्शनकारियों ने रास्ता रोक रखा था। इस वजह से प्रधानमंत्री का काफिला एक फ्लाईओवर पर 15-20 मिनट के लिए रुका रहा। फ्लाईओवर पर खड़े एसपीजी कमांडो और पंजाब पुलिस के
अधिकारियों की तस्वीरें वायरल हो गईं।
फिरोजपुर में रैली रद्द, बठिंडा लौटे प्रधानमंत्री
सुरक्षा कारणों की वजह से प्रधानमंत्री के फिरोजपुर के कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया। उनका काफिला बठिंडा एयरपोर्ट पर लौट आया। केंद्र ने पंजाब सरकार से इस घटना की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। बठिंडा एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री ने पंजाब सरकार के अफसरों से कहा, ''अपने सीएम को थैंक्स कहना कि मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया।''
आरोप क्या हैं?
गृह मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम और ट्रेवल प्लान के बारे में पंजाब सरकार को पहले ही बता दिया गया था। उन्हें इससे जुड़े इंतजाम करने थे, जो नहीं किए गए।
गृह मंत्रालय ने कहा कि जब यात्रा मार्ग बदल गया तो पंजाब सरकार को अतिरिक्त सुरक्षा तैनाती करनी थी ताकि सड़क मार्ग से यात्रा सुरक्षित रहे, लेकिन अतिरिक्त इंतजाम नहीं किए गए।
क्यों गहराया कांग्रेस पर साजिश का शक
पीएम सिक्योरिटी कॉम्प्रोमाइज़ होने के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री समेत कई कांग्रेसी नेताओं ने ऐसे बयान और ट्वीट किए जो कांग्रेस की एक बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहे हैं। पंजाब के सीएम चन्नी ने तो यहां तक कह दिया कि पीएम की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले प्रदर्शनकारियों पर वो लाठियां भी नहीं चलवा सकते क्यों कि वो सब पंजाब के हैं और उनके अपने हैं। चन्नी ने पीएम को ही कठघरे में खड़ा कर कहा कि पीएम को हेलीकाप्टर से रैली स्थल जाना था जबकि उन्होंने आखिरी क्षणों में सड़क मार्ग से जाना चुना। चन्नी ने ये नहीं बताया कि मौसम खराब था विजबिलटी ना के बराबर थी और हेलीकाप्टर नहीं उड़ सकता था।
यूथ कांग्रेस अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री मोदी से सवाल किया कि "मोदीजी हाउज द जोश।" बाद में यूथ कांग्रेस ने भी ट्वीट किया और सुरक्षा में चूक को 'कर्मों का फल' बताया। यूथ कांग्रेस ने लिखा- जब आपने किसानों को दिल्ली बॉर्डर में घुसने से रोका तो उन्होंने आपको रैली करने से रोक दिया।
सिर्फ इतना ही नहीं प्रधानमंत्री जब किसी प्रदेश के दौरे पर होते हैं तो वहां के मुख्यमंत्री , मुख्य सचिव और डीजीपी पीएम की अगुवानी के लिए एयरपोर्ट पर मौजूद होने का प्रोटोकाल है। लेकिन पंजाब में सीएम के साथ साथ दोनों अधिकारी भी पीएम को रिसीव करने नहीं गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिरोजपुर रैली के दौरे के दौरान सुरक्षा में सेंध का एक वीडियो वायरल हुआ है। इसमें प्रदर्शनकारियों के साथ पंजाब पुलिस के जवान चाय पीते दिख रहे हैं। साथ ही प्रधानमंत्री के रूट वाली सड़क पर प्रदर्शन कर रहे लोग लाउडस्पीकर पर अन्य को एकत्र करने के लिए मुनादी कर रहे हैं। इस दौरान भी पंजाब पुलिस के कुछ जवान मूकदर्शक बने दिख रहे हैं।
पीएम के कार्यक्रम पर वहां की सरकार संभालती है जिम्मेदारी
देश के प्रधानमंत्री के सुरक्षा की मुख्य जिम्मेदारी एसपीजी संभालती है। लेकिन अक्सर प्रधानमंत्री को राज्यों में भी विभिन्न कार्यक्रमों और राजनीतिक रैलियों में अक्सर शामिल होना पड़ता है। ऐसे में जब प्रधानमंत्री किसी राज्य में दौरे पर जाते हैं तो संबंधित राज्य प्रशासन को एसपीजी और पीएमओ के समन्वय से सुरक्षा की जिम्मेदारियां संभालनी होती है। यानी इस स्थिति में प्रधानमंत्री के सुरक्षा की मुख्य जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकार की होती है।
त्रिस्तरीय होती है सुरक्षा व्यवस्था
प्रधानमंत्री जब किसी भी कार्यक्रम में शामिल होते हैं तो एसपीजी से लेकर राज्य पुलिस और स्थानीय खुफिया विभाग की भारी भरकम टीमों की तैनाती होती है। एसपीजी की टीम पहले ही संबंधित राज्य में जाकर कार्यक्रम स्थल का मुआयना करती है। इसमें केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के लोग भी शामिल होते हैं। यही नहीं केंद्रीय टीमों और एसपीजी के उच्चाधिकारियों की स्थानीय पुलिस के साथ पूरी बैठक होती है जिसे एएसएल का नाम दिया जाता है। इसे एडवांस सिक्योरिटी लाइजनिंग कहते हैं।
कार्यक्रम को लेकर तय होती है रणनीति
केंद्रीय अधिकारियों के समन्व से प्रधानमंत्री के आगमन और प्रस्थान को लेकर एक आपात रणनीति भी तय की जाती है। कार्यक्रम स्थल पर प्रधानमंत्री को हेलीकाप्टर से जाना है तो कैसे जाएंगे और आकस्मिक परिस्थितियों में यदि सड़क से जाना पड़ा तो उनका काफिला कैसे जाएगा। इसका पूरा खाका पहले से ही तैयार होता है। प्रधानमंत्री के काफिले की रवानगी से लगभग 10 मिनट पहले आरओपी यानी रोड ओपनिंग टीम संबंधित रूप पर जाती है। इसमें स्थानीय पुलिस के जवान और उच्च अधिकारी भी होते हैं।
पूरे रूट की जानकारी होती है गोपनीय
इसके बाद तय रूट से जब प्रधानमंत्री का काफिला गुजरता है तो स्थानीय पुलिस के जवान भी जगह-जगह मुस्तैद रहते हैं। पूरे रूट की जानकारी बेहद गोपनीय रखी जाती है। एसपीजी और स्थानीय पुलिस के उच्चाधिकारियों को ही इस रास्ते और गतिविधि की जानकारी होती है। रास्ते में पड़ने वाले नालों, जंगलों और फ्लाईओवर के आसपास सुरक्षा बलों और पुलिस के जवान तैनात रहते हैं और इनकी विशेष निगरानी रखी जाती है।
ऐसे में बड़ा सवाल यही कि प्रदर्शनकारियों को यह कैसे पता चला कि प्रधानमंत्री का काफिला इस रास्ते से होकर गुजरने वाला है।
जाहिर है ये एक सोची समझी साजिश थी जिससे ना सिर्फ बीजेपी के कार्यक्रम को फ्लाप बताकर चुनावी माइलेज बटोरना था बल्कि मकसद मोदी का रास्ता रोक कर उन्हें रास्ते से हटाने तक का था।
यही मंशा पड़ोसी पाकिस्तान की भी है।
टीम स्टेट टुडे
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