रायबरेली से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने अपनी ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की पोल पट्टी खोल कर दी है। अदिति सिंह ने कांग्रेस पर बसों के बहाने कोरोनाकाल में मजदूरों के नाम पर सियासत करने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कांग्रेस द्वारा दी जा रही 1000 बसें चलाने की अनुमति मांगी तो योगी सरकार ने बसों का ब्यौरा मांग लिया। कांग्रेस ने ब्योरा दिया तो उसमें तमाम नंबर ऑटो और बाइक के निकले। कांग्रेस के इस फर्जीवाड़े पर योगी सरकार ने प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू पर मामला दर्ज करा दिया। इसके बाद कांग्रेस पार्टी की विधायक अदिति सिंह ने भी कांग्रेस पार्टी की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए।
अदिति सिंह का पहला ट्वीट
रायबरेली जिले की सदर विधानसभा सीट से विधायक अदिति सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि "आपदा के वक्त ऐसी निम्न सियासत की क्या जरूरत,एक हजार बसों की सूची भेजी, उसमें भी आधी से ज्यादा बसों का फर्जीवाड़ा, 297 कबाड़ बसें, 98 आटो रिक्शा व एबुंलेंस जैसी गाड़ियां, 68 वाहन बिना कागजात के, ये कैसा क्रूर मजाक है, अगर बसें थीं तो राजस्थान,पंजाब, महाराष्ट्र में क्यूं नहीं लगाई।"
अदिति सिंह का दूसरा ट्वीट
"कोटा में जब UP के हजारों बच्चे फंसे थे तब कहां थीं ये तथाकथित बसें, तब कांग्रेस सरकार इन बच्चों को घर तक तो छोड़िए,बार्डर तक ना छोड़ पाई,तब श्री योगी जी ने रातों रात बसें लगाकर इन बच्चों को घर पहुंचाया, खुद राजस्थान के सीएम ने भी इसकी तारीफ की थी।" अदिति के इन ट्वीट ने एक बार फिर कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व और पार्टी के अनुशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सीएम योगी की तारीफ से अदिति नहीं चूकीं
एक और ट्वीट में अदिति ने लिखा, "कोटा में जब यूपी के हजारों बच्चे फंसे थे तब कहां थीं ये तथाकथित बसें, तब कांग्रेस सरकार इन बच्चों को घर तक तो छोड़िए,बार्डर तक ना छोड़ पाई, तब योगी आदित्यनाथ ने रातों रात बसें लगाकर इन बच्चों को घर पहुंचाया, खुद राजस्थान के सीएम ने भी इसकी तारीफ की थी।"
विशेष विधानसभा सत्र में भाग लेने के तुरंत बाद, यूपी सरकार ने उनकी सुरक्षा बढ़ा दी थी। इसके बाद अदिति सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात की, जिससे कांग्रेस के भीतर हडकंप मच गया था। ऐसी चर्चा जोरों पर थीं कि वे बीजेपी जॉइन कर सकती हैं मगर ऐसा हुआ नहीं।
राहुल प्रियंका की खास अदिति के बागी तेवर
कांग्रेस विधायक अदिति सिंह पहले भी पार्टी के खिलाफ बागी रूख दिखा चुकी हैं। दो अक्टूबर 2019 को भाजपा की यूपी सरकार ने सदन का विशेष सत्र आहूत किया था। जिसका कांग्रेस ने पूर्ण बहिष्कार किया और किसी भी विधायक को सत्र में शामिल न होने के लिए व्हिप जारी किया था।
जिस दिन राज्य सरकार ने विशेष सत्र बुलाया था, उस दिन कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने लखनऊ में शांति यात्रा का नेतृत्व किया था। उससे अदिति नदारद रहीं। अदिति ने पार्टी व्हिप तोड़कर बैठक में हिस्सा लेकर सबको चौंका दिया। सदन कि चर्चा में भी उन्होंने भाग लिया। तब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने उनको कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के संदर्भ में स्पष्टीकरण देने को कहा, जिसका उन्होंने जवाब नहीं दिया।
इसके बाद कांग्रेस ने सिंह की सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को याचिका दी थी। इतना सब होने के बावजूद अदिति सिंह की इलाकाई पकड़, लोकप्रियता और रायबरेली से एकमात्र कांग्रेसी विधायक होने के नाते पार्टी उन पर किसी तरह की कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा सकी।
कुछ माह पूर्व भाजपा की तरफ से यूपी में आयोजित की गई गंगा यात्रा के दौरान भी कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने कार्यक्रम में यूपी डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा के साथ मंच साझा कर भाजपा से बढ़ती नजदीकियां जाहिर कर दी थी।
आर्टिकल 370 हटाने का भी किया था सपोर्ट
अदिति सिंह ने कई बार पार्टी लाइन से हटकर कदम उठाए हैं। उन्होंने अनुच्छेद 370 हटाए जाने का समर्थन किया था।
गांधी परिवार से हैं करीबी रिश्ते
पिछले साल अगस्त में उनके पिता अखिलेश सिंह का निधन हुआ था। अखिलेश रायबरेली सदर सीट से पांच बार विधायक रह चुके थे। रायबरेली में उनकी अच्छी-खासी पैठ थी और गांधी परिवार से नजदीकियां भी। 21 नवंबर 2019 को अदिति सिंह ने पंजाब के कांग्रेस विधायक अंगद सिंह संग शादी कर ली थी।
अदिति सिंह रायबरेली के तेजतर्रार और बाहुबली दिवंगत अखिलेश सिंह की बेटी हैं। अखिलेश सिंह किसी जमाने से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए लेकिन बाद में लंबे समय तक निर्दलीय विधायक चुने जाते रहे। बीते विधानसभा चुनाव में रायबरेली सदर की सीट पर अदिति सिंह ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। रायबरेली सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र है जहां किसी विधानसभा सीट पर उसे जीत नहीं हासिल हुई। अदिति सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जरुर लड़ी लेकिन उनके पिता अखिलेश सिंह की राबिनहुड छवि और उनकी अपनी लोकप्रियता के चलते उन्हें सीट निकालने में कोई खास परेशानी नहीं हुई।
टीम स्टेट टुडे
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