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Nishad Party की संवैधानिक अधिकार यात्रा पहुँची ग़ाज़ियाबाद



ग़ाज़ियाबाद के ट्रोनिका सिटी से लेकर टीला गाँव तक भव्य स्वागत

प्रदेश की 200 विधानसभा से होकर निकलेगी यात्रा

राहुल गांधी, मायावती और अखिलेश को जनगणना पर बहस की खुली चुनौती


05 दिसम्बर 2024। निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल “निषाद पार्टी” के तत्वावधान में निकाली जा रही संवैधानिक अधिकार यात्रा का आज पाँचवे दिन जनपद ग़ाज़ियाबाद में पहुँची। यात्रा आज जनपद ग़ाज़ियाबाद की ट्रोनिका सिटी से पूजा कॉलोनी से लोनी तिराहा से बंथला फ़्लाइओवर से टीला कोठी से टीला गाँव में जनसभा से ऑक्सी सोसाइटी से ज़िला कार्यालय भोपुरा से भोपुरा तिराहा से राजेंद्र नगर से मोहन नगर से अर्थाला से नया बस अड्डा ग़ाज़ियाबाद तक भव्य स्वागत हुआ।

निषाद पार्टी द्वारा माँ शाकुंभरी देवी शक्तिपीठ, जनपद सहारनपुर से संवैधानिक अधिकार यात्रा की शुरुआत की गई है। निषाद पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ संजय कुमार निषाद के नेतृत्व में यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं। डॉ संजय कुमार निषाद ने कहा की निषाद पार्टी की स्थापना देश व प्रदेश के मछुआ समाज को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए की गई थी। उन्होंने कहा कि संवैधानिक अधिकार यात्रा प्रदेश के सभी 18 मण्डल, 200 विधानसभा में जाएगी, तीन चरणों में यात्रा अपने अंतिम पड़ाव नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंदौर स्टेडियम में समापन किया जाएगा।



डॉ संजय कुमार निषाद ने बताया कि टीला गाँव में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि संवैधानिक अधिकार रथ यात्रा को मिल रहे अपर प्रेम और समर्थन से ये तो निश्चित है कि मछुआ समाज के हक़-हक़ूक़ की लड़ाई में वो अकेले नहीं है, आज गुर्जर समाज द्वारा जो यात्रा का स्वागत और सम्मान किया है उससे लग रहा है कि मछुआ समाज की लड़ाई में अब दूसरे समाज भी निषाद पार्टी का साथ दे रहे हैं और जल्द ही आरक्षण के लिए संघर्ष कर रहे मछुआ समाज को ख़ुशख़बरी मिलने वाली है, उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी मछुआ समाज के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक हिस्सा नहीं मिलने के कारण बनाई थी किंतु आज दूसरे समाज के युवाओं का पार्टी से जुड़ना बता रहा है कि निषाद पार्टी में केवल मछुआ समाज के ही युवा नहीं है बल्कि अन्य पिछड़ी जातियाँ भी निषाद समाज के हक़ अधिकार के लिए निषाद पार्टी के साथ खड़ी हैं।

डॉ संजय कुमार निषाद ने “महाराजा मिहिर भोज” की जयकार के नारे से अपनी जनसभा की शुरुआत करते हुए कहा की मछुआ समाज की हक़ अधिकार की लड़ाई के लिए उन्होंने जब 07 जून 2016 को कसरवल आंदोलन में उन्होंने ट्रेन रोको आंदोलन किया था। उसकी प्रेरणा के पीछे राजस्थान राज्य में 2015 में गुर्जर आंदोलन से ही ली थी, उन्होंने कहा कि गुर्जर समाज हमेशा अपने हक़-हक़ूक़ की लड़ाई पर परचम और विजयी पाने के लिए जाना जाता रहा है ऐसे में आज उनका इस यात्रा को समर्थन मिलना बता रहा है मछुआ समाज के आरक्षण की लड़ाई में केवल मछुआ समाज ही नहीं है गुर्जर समाज के भाई भी कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार हैं।




उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों में मछुआ समाज ही नहीं अन्य पिछड़ी और अनुसूचित जातियों की अनदेखी की हैं, अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे से मिलने वाला लाभ पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी सरकार के स्वजातीय लोगों को मिलता रहा है और ठीक उसी प्रकार बहुजन समाज पार्टी की सरकार में अनुसूचित जाति का लाभ भी पूर्ववर्ती बसपा सरकार की मुखिया की स्वजाति लोगो को मिलता रहा है। आज भी अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जातीय पाइपलाइन में हैं और आज भी संवैधानिक अधिकारों से वंचित हैं। आज रथ यात्रा निकालने का उनका एक मात्र लक्ष्य है कि संविधान में सूचीबद्ध अन्य सभी पिछड़ी, अति पिछड़ी, अनुसूचित और अनुसूचित जनजाति को उनका संपूर्ण अधिकार मिले। उन्होंने कहा कि प्रदेश में निषाद समाज की दिशा-दशा अनुसूचित जातियों से भी बदतर थी, और पूर्ववर्ती सरकारों ने अपने समाज की जातियों को खुश करने के लिए निषाद समाज को फुटबॉल समझकर मछुआ समय को अनुसूचितजाति में होने का बाद भी कभी अनुसूचित जाति को मिलने वाले से वंचित रखा गया है और ऐसे में निषाद पार्टी के गठन से बाद से उत्तर प्रदेश की बहुसंख्यक आबादी को निषाद पार्टी के बैनर तले लामबंद करके, केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना का लाभ मछुआ समय को दिलवाने के लिए किया रहा है।

उन्होंने कहा कि उन्हें ज्ञात हुआ है जल्द ही देश में जनगणना होने वाली है, मछुआ समाज से अपील करते हुए कहा कि केवट, मल्लाह, बिंद, कहार, धीवर, रायकवार, कश्यप, बाथम, तुरैहा, भर, राजभर समेत सभी अन्य 17 उपजातियों को अपनी गिनती संविधान में सूचीबद्ध अनुसूचितजाति मझवार और तुरैहा में करवाये। उन्होंने कहा कि 1961 की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश में 70 लाख मझवार की आबादी अंकित थी किंतु धीरे-धीरे वो गिनती बढ़ने की बजाय घटती चली गई और 2011 की जनगणना के अनुसार मझवार की आबादी 7 हज़ार रह गई है। (नोट:- मझवार सेंसस मैन्युअल 1961 एपेंडिक्स फॉर उत्तरप्रदेश के अनुसार अनुसूचितजाति के क्रमांक 53 नंबर पर अंकित है)

उन्होंने कहा कि आख़िर किस अधिकार के तहत पूर्ववर्ती सरकारों ने मझवार की संख्या को कम करने का कार्य किया है, आज विपक्ष में बैठे पूर्व के सत्ताधीश लोग जातीय जनगणना को लेकर घड़ियाली आंसू बहाते है उन्होंने कहा कि वो राहुल गांधी, अखिलेश यादव और मायावती को चैलेंज देते है आये और मझवार व तुरैहा की आबादी की में हुए हेर-फेर व कम होने के मामले पर खुली बहस करें, आख़िर 1961 के अनुसार 70 लाख मझवार की आबादी थी तो 2011 की जनगणना के अनुसार मझवार की आबादी 7 हज़ार कैसे रह गई, आख़िर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की बैसाखी पर चल रही 2011 में केंद्र की कांग्रेस सरकार ने कौन सी जनगणना करवाई थी कि आबादी कम हो गई। ऐसे में मछुआ समाज की सभी उपजातियों को मझवार और तुरैहा में गिनती करवाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार से भी बात करेंगे ताकि स्पष्ट हो सके उत्तर प्रदेश में मछुआ समाज (मझवार और तुरैहा) की कितनी आबादी है और पूर्व की सरकारों द्वारा किए गये अत्याचार और भ्रष्टाचार को भी जगज़ाहिर किया जाये।

डॉ संजय कुमार निषाद स्पष्ट किया आगामी विधानसभा सत्र में निषाद पार्टी मछुआ आरक्षण के मुद्दे पर सदन में आवाज़ उठाएगी। कहा की संवैधानिक रथ यात्रा के माध्यम से मछुआ समाज को जोड़ने और उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने का काम किया जा रहा है, और प्रदेश के कश्यप, निषाद, केवट, बिंद, मल्लाह, कहार, धीवर, बाथम समेत अन्य 17 उपजातियों का अनुसूचितजाति का लाभ नहीं मिल जाने तक समाज को एकजुटता दिखानी होगी।


इस अवसर पूर्व सांसद ई० प्रवीण निषाद , सुमित प्रताप सिंह, संजीव गुर्जर, पुरन कश्यप, महेंद्र कश्यप, मंजु कश्यप, सतीश कश्यप, घनश्याम गुर्जर, दिलीप बिंद्रा, राजीव कुमार गुर्जर, सूबेदार परशुराम, कुलसी भाटी, शिव कुमार प्रधान, राजेंद्र पार्षद टीला गाँव, व्यास मुनि निषाद, जनकन्दनी निषाद, गुंजा निषाद एवं अन्य गणमान्य मौजूद रहे।


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