google.com, pub-3470501544538190, DIRECT, f08c47fec0942fa0
top of page

मतांतरण गंभीर मुद्दा है, इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए-SC

chandrapratapsingh

नई दिल्ली, 09 जनवरी 2023 : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को धोखा, दबाव या लालच में मतांतरण को गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने मतांतरण का मुद्दा उठाने वाली याचिका को राजनीति से प्रेरित बताते हुए आपत्ति उठाए जाने पर तमिलनाडु को फटकार लगाई और कहा कि यह गंभीर मुद्दा है। इसे राजनीतिक रंग न दें।

अटार्नी जनरल से मदद करने का अनुरोध

कोर्ट ने अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी से मामले की सुनवाई में मदद करने का अनुरोध करते हुए कहा कि याचिका में धोखा, लालच और दबाव में मतांतरण की बात कही गई है। अगर यह सच है, तो इसे रोकने के लिए क्या किया जाना चाहिए? इस बारे में क्या सुधारात्मक कदम हो सकते हैं?

सात फरवरी को होगी अगली सुनवाई

कोर्ट ने तमिलनाडु और केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का समय देते हुए मामले की सुनवाई सात फरवरी तक के लिए टाल दी। भाजपा नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर धोखा, लालच व दबाव में जबरन मतांतरण का आरोप लगाते हुए इसे रोकने के लिए कड़े उपाय किए जाने की मांग की है। सोमवार को यह याचिका न्यायमूर्ति एमआर शाह व सीटी रवि कुमार की पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगी थी।

''राजनीति से प्रेरित है याचिका''

तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पी. विल्सन ने कहा कि कोर्ट को यह मामला विधायिका पर छोड़ देना चाहिए। उन्होंने याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह राजनीति से प्रेरित है। याचिकाकर्ता भाजपा नेता हैं। तमिलनाडु में ऐसा कोई मतांतरण नहीं हो रहा है।

पीठ ने विल्सन के बयान पर जताई आपत्ति

याचिका को राजनीति से प्रेरित बताने पर पीठ ने आपत्ति जताते हुए विल्सन से कहा कि आपके ऐसा कहने के पीछे कोई और कारण हो सकता है। कोर्ट की सुनवाई को दूसरी चीजों में न बदलें। आप इस मामले को एक राज्य को निशाना बनाने की नजर से न देखें। कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में अटार्नी जनरल को सुनना चाहता है।

''धोखा, लालच और दबाव में न हो मतांतरण''

अटार्नी जनरल के आने पर पीठ ने उनसे मामले की सुनवाई में मदद करने का अनुरोध किया। जस्टिस शाह ने कहा कि सभी को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है। सभी को मतांतरण का अधिकार है, लेकिन अगर ऐसा धोखा, लालच व दबाव में हो रहा है, तो इसे रोकने के लिए क्या किया जाना चाहिए? आप अगली सुनवाई पर इस बारे में कोर्ट की मदद करें।

तुषार मेहता को बुलाने पर अड़ा रहा कोर्ट

केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील कानू अग्रवाल ने शुरू में कोर्ट से सुनवाई टालने का आग्रह किया, लेकिन, कोर्ट लगातार सालिसिटर जनरल तुषार मेहता को बुलाने और उनका पक्ष सुनने पर अड़ा रहा। जब तुषार मेहता आए तो पीठ ने उनसे कहा कि पिछली सुनवाई पर आप नहीं थे। आज भी नहीं थे। यह गंभीर मामला है। आप इसे कैसे ले रहे हैं? मेहता ने कहा कि वे दूसरे केस में फंस गए थे। अश्वनी उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अरविंद दत्तार ने कहा कि मतांतरण के बारे में अभी कोई कानून नहीं है। मामले को विधि आयोग के पास भेजा जाना चाहिए।

''कोर्ट इस मुद्दे पर व्यापक रूप से विचार करेगा''

पीठ ने कहा कि यह सरकार के विचार करने की बात है। कोर्ट इस मुद्दे पर व्यापक रूप से विचार करेगा। वकील संजय हेगड़े ने कहा कि जनहित का मुद्दा है, तो इसे धार्मिक मतांतरण के नाम से लिस्ट किया जाए। इसमें से याचिकाकर्ता का नाम हटा दिया जाना चाहिए। पीठ ने कहा- हां, इसमें कोई हर्ज नहीं है। बता दें, पिछली सुनवाई पर भी कोर्ट ने धोखा, लालच और दबाव में मतांतरण को गंभीर मामला बताते हुए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा कहा था।

11 views0 comments

Comments


bottom of page
google.com, pub-3470501544538190, DIRECT, f08c47fec0942fa0