रिपोर्ट - आदेश शुक्ला
कोरोना वैक्सीन की एक खुराक भी कमाल कर रही है। वैक्सीन को लेकर जितनी सियासत हुई अगर वो ना होती तो भारत में कोरोना संक्रमण को काबू करना और भी आसान हो जता है। रिसर्च बता रही है कि जिन लोगों ने कोरोना वैक्सीन का एक भी टीका लगवाया है उनमें 98 फीसदी संक्रमण होने का खतरा नहीं है।
ये फैक्ट चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टरों की इस रिसर्च से सामने आया है। इस रिसर्च ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के देश में चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान में एक नई जान फूंक दी है।
चंडीगढ़ पीजीआई की रिसर्च के नतीजों के बाद अन्य चिकित्सा संस्थानों और कार्पोरेट अस्पतालों में भी स्वास्थ्य मंत्रालय ने शोध करने को कहा है।
रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार चंडीगढ़ पीजीआई ने, जिन मरीजों में टीके की एक डोज लगाई और जिन मरीजों में टीके की दोनों डोज लगीं, उन पर शोध किया। शोध के दौरान पाया गया कि जिन मरीजों में टीके की एक डोज़ लगाई गई उनमें संक्रमण का खतरा महज दो फीसदी था और जिन मरीजों में टीके की दोनों डोज़ लगाई गईं उनमें भी संक्रमण का खतरा महज दो फीसदी ही था। यानी शोध के बाद यह पाया गया कि टीके की पहली खुराक के लगने के साथ ही कोरोना संक्रमण से बचने की संभावनाएं 98 फीसदी ज्यादा हो जाती हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में देश के टीकाकरण पर नजर रखने वाली कमेटी के प्रमुख डॉ एनके अरोड़ा कहते हैं कि पीजीआई का यह शोध बताता है कि टीकाकरण की पहली डोज से ही लोग कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षित होने लगते हैं।
हांलाकि डाक्टरों ने ये भी स्पष्ट किया है कि इस शोध का इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि देश में टीकाकरण की डोज का शेड्यूल बदला जाएगा। यानी दो डोज की जगह पर एक डोज का इस्तेमाल होगा। डाक्टरों का कहना है कि इस शोध के जरिए ये तय हो गया कि पहले टीके से ही संक्रमण से बचाव शुरु हो जाता है। दूसरा टीका लगने के बाद इम्यूनिटी और मजबूत हो जाती है और एंटीबॉडी वायरस के खिलाफ पूरी तरीके से लड़ने में सक्षम हो जाती हैं।
टीम स्टेट टुडे
Comments