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देश के नामी डाक्टरों ने आम लोगों की कोरोना से जुड़ी परेशानियों को कुछ कम करने की कोशिश की है। घबराहट और अलग अलग प्रकार से जो जानकारियां मिल रही हैं कई बार उससे भी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
देश के दिग्गज चिकित्सा विशेषज्ञों ने इस महामारी से निपटने के उपाय साझा किए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संक्रमण अब अनजान बीमारी नहीं है। ये एक संक्रमण है और इससे बचाव सबसे मजबूत उपाय है। सही समय पर संक्रमण की पहचान होने और तुरंत इलाज मिलने से खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।
डाक्टर नरेश त्रेहन ने जो कहा -
डॉ. नरेश त्रेहन का कहना है कि कोरोना के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत खुद को आइसोलेट करें। घरेलू उपचार शुरू कर दें। रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने पर फौरन अस्पताल न जाएं। मध्यम लक्षण दिखने पर क्वारंटीन सेंटर जा सकते हैं। अगर ऑक्सीजन लेवल में उतार-चढ़ाव हो रहा है तो अस्पताल में भर्ती हो सकते हैं।
अस्पतालों के ऐप से जानकारी ली जा सकती है। कम संख्या में लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है। साथ ही डाक्टर त्रेहन ने कहा कि अस्पताल के बेड्स का उपयोग जिम्मेदारी के साथ होना चाहिए और यह जिम्मेदारी हम सभी की है।
डाक्टर देवी शेट्टी ने जो कहा -
नारायणा हेल्थ के चेयरमैन डॉ. देवी शेट्टी का कहना है कि अगर बदन दर्द, सर्दी, खांसी, अपच, उल्टी जैसे लक्षण हैं तो भी कोविड-19 की जांच करा लेनी चाहिए। यह बीमारी के इलाज में सबसे महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। अगर आप एसिम्टोमेटिक हैं तो डॉक्टर आपको घर पर आइसोलेशन में रहने, मास्क पहनने औरअपना ऑक्सीजन सैचुरेशन हर छह घंटे में चेक करने के लिए कहेंगे।
डाक्टर शेट्टी का कहना है कि संक्रमित व्यक्ति में अगर ऑक्सीजन का सैचुरेशन 94 फीसदी से ऊपर है तो कोई समस्या नहीं है। अगर एक्सरसाइज के बाद यह गिर रहा है तो आपको डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है। आक्सीजन लेविल गिरने पर बेहद जरूरी है कि मरीज को सही समय पर इलाज उपलब्ध कराया जाए।
रेमडेसिविर अचूक उपाय नहीं
भारत के लोगों में अक्सर पैनिक या भेड़चाल आदतन होता है। रेमडेसिविर की कालाबाजारी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। कुछ लोगों को इस इंजेक्शन से लाभ जरुर हुआ लेकिन कोरोना के इलाज के लिए रेमडेसिविर अचूक या कारगर इलाज नहीं है। ये कहना है मेदांता अस्पताल के विशेषज्ञ डॉ. नरेश त्रेहन का। डाक्टर त्रेहन के मुताबिक रेमडेसिविर इंजेक्शन कोरोना के इलाज की रामबाण दवा नहीं है। यह केवल वायरल लोड को कम करने में मदद करती है। हर मरीज के लिए इसका इस्तेमाल जरूरी नहीं है। यह मृत्यु दर घटने वाली दवा भी नहीं है।
एम्स के निदेशक डाक्टर रणदीप गुलेरिया ने जो कहा -
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि एक देश के रूप में हम यदि एक साथ काम करते हैं तो हमें ऑक्सीजन और रेमेडिसवियर का विवेकपूर्ण इस्तेमाल करना होगा। ऐसा करने से कहीं भी किसी भी जरूरी दवा की कमी नहीं आने पाएगी। ऑक्सीजन एक उपचार है, यह एक दवा की तरह है। ऑक्सीजन को रुक रुक कर या असंगत रूप से लेना ऑक्सीजन का एक अपव्यय है। ऐसा कोई डेटा नहीं है जिससे पता चलता है कि यह आपकी किसी भी मदद का होगा। कोरोना संकट काल में आपको ऐसा नहीं करना चाहिए।
टीकाकरण है कारगर तरीका
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कोरोना के खिलाफ टीकाकरण काफी मददगार है। वैक्सीन आपको बीमारी को गंभीर बीमारी के रूप में लेने से रोकता है। हालांकि वैक्सीन लेने के बाद भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना बेहद जरूरी है। यह आपको संक्रमण होने से नहीं रोक सकता है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि कोविड वैक्सीन लेने के बाद भी हम संक्रमण के शिकार हो सकते हैं इसलिए वैक्सीन के बाद भी मास्क पहनना और दो गज की दूरी को बनाए रखना बहुत जरूरी है।
कोवाक्सीन की प्रभावकारिता 78 फीसदी
भारत बायोटेक का कहना है कि कोवाक्सीन ने लोगों पर 78 फीसदी प्रभावकारिता दिखाई है।
जहां मिलेगी मुफ्त वैक्सीन
स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा कि भारत सरकार द्वारा आपूर्ति किए गए वैक्सीन के आधार पर संचालित वैक्सीनेशन सेंटर निशुल्क वैक्सीन उपलब्ध कराएंगे। इन केंद्रों में आयु की सीमा 45 साल रहेगी। इसमें स्वास्थ्यकर्मी और फ्रंट लाइन वर्कर्स भी शामिल होंगे।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा कि देश में 13 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज दी जा चुकी हैं। पिछले 24 घंटों में लगभग 30 लाख वैक्सीन डोज़ दी गई हैं। देश में लगभग 87% स्वास्थ्यकर्मियों को उनकी पहली डोज़ दी जा चुकी है। देश में 79% फ्रंट लाइन वर्कर्स को पहली डोज मिल चुकी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा कि पिछले साल औसत सबसे ज्यादा मामले 94,000 प्रतिदिन के पास दर्ज किए गए थे। इस बार पिछले 24 घंटों में 2,95,000 मामले दर्ज किए गए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 308 जिलों में कोरेाना काबू में है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने बताया कि देश में 146 जिले ऐसे हैं जहां पॉजिटिविटी रेट 15 फीसदी से अधिक है जो चिंता का विषय है।
देश में सक्रिय मामलों की संख्या 21,57,000 है। यह संख्या पिछले साल के हमारे अधिकतम संख्या की दोगुणी है। रिकवरी दर 85 फीसदी है । मृत्यु दर 1.17 फीसदी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देशभर में 21 लाख से ज्यादा एक्टिव केस बने हुए हैं जो कि चिंताजनक हैं।
टीम स्टेट टुडे
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