कोरोना की तीसरी लहर के खतरे के बीच दिल्ली एम्स के निदेशक डाक्टर रणदीप गुलेरिया ने बड़ी बात कही है। डॉक्टर गुलेरिया ने कहा है कि अगर लोग सावधान रहें साथ ही भारत बड़ी संख्या में आबादी का टीकाकरण हो गया तो संभव है कि भारत में कोरोना महामारी की तीसरी लहर न आए।
टीकों के मिश्रण पर एम्स निदेशक ने कहा कि टीकों के मिश्रण पर अधिक डेटा की आवश्यकता है। इसे लेकर अध्ययन आए हैं, जो कहते हैं कि यह प्रभावी हो सकता है, लेकिन सामान्य से अधिक दुष्प्रभावों देखने को मिल सकता है। हम यह कहने के लिए और डेटा चाहिए कि यह एक ऐसी नीति है जिसे आजमाया जाना चाहिए।
डॉ गुलेरिया ने सुझाव दिया कि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां पॉजिटिविटी अधिक है। इन क्षेत्रों में अधिक प्रसार को रोकने के लिए आक्रामक रवैया अपनाने की आवश्यकता है। ऐसे इलाकों को हॉटस्पॉट नहीं बनने देना चाहिए, जिससे कि अन्य क्षेत्रों में वायरस फैल सकता है।
फिलहाल भारत में कोरोना के मामलों में गिरावट जारी है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आज सुबह आठ बजे जारी आंकड़ों के अनुसार बीते 24 घंटे में कोरोना के 48,786 मामले सामने आए और 1,005 लोगों की मौत हो गई। 61,588 लोग डिस्चार्ज हुए। एक्टिव केस में गिरावट जारी है। वर्तमान में देश में पांच लाख 23 हजार एक्टिव केस हैं।
ब्रिटेन में फिर हालात खराब
अप्रैल में ब्रिटेन में दुनिया का सबसे लंबा चला लॉकडाउन खत्म हुआ था, तब देश में आम भरोसा देखने को मिला कि बुरा दौर अब गुजर गया है। लेकिन अब जिस तरह वहां फिर से कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़े हैं, उससे साफ है कि अभी ब्रिटेन को राहत की सांस लेने में लंबा इंतजार करना पड़ेगा। ब्रिटेन उन देशों में है, जहां सबसे ज्यादा टीकाकरण हुआ है। इसके बावजूद अब देश पर कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर का खतरा मंडराने लगा है।
पिछले हफ्ते देश में नए संक्रमण के एक लाख 20 हजार मामले सामने आए। इस बार सबसे ज्यादा और तेजी से संक्रमण ने स्कूलों को अपनी चपेट में लिया है। संक्रमण के बढ़ते मामलों के साथ लोगों के अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु की संख्या भी बढ़ रही है।
ब्रिटेन में ताजा लहर कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट की वजह से आई है। अब जो नए मामले सामने आ रहे हैं, उनमें लगभग सबके लिए यही वैरिएंट जिम्मेदार है। अब दुनिया भर में ब्रिटेन को एक टेस्ट केस के रूप में देखा जा रहा है। ब्रिटेन दुनिया का पहला देश बना है, जहां टीकाकरण की दर ऊंची है, फिर भी जहां कोरोना वायरस का सबसे अधिक संक्रामक वैरिएंट तेजी से फैल रहा है। इस कारण यहां रोजमर्रा की जिंदगी पर नई पाबंदियां लगाने पर विचार किया जा रहा है।
आपको याद दिला दें कि भारत में दूसरी लहर का प्रकोप मार्च,अप्रैल,मई में चरम पर था। जून के महीने में लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू के चलते ना सिर्फ कोरोना चेन टूटी बल्कि संक्रमण दर में भी कमी आई। ठीक होने वालों की संख्या बढ़ने लगी। इन महीनों से ठीक पहले जनवरी,फरवरी और मार्च में कोरोना की दूसरी लहर ने ब्रिटेन में कहर बरपाया था। इस लिहाज से अगर आज ब्रिटेन में तीसरी लहर का प्रकोप दिख रहा है तो भारत को सावधान रहने की जरुरत है। क्योंकि कई विशेषज्ञ इस बात का इशारा लगातार कर रहे हैं कि अगस्त के आस पास या इससे आगे सिंतबर अक्टूबर के महीने में अगर सावधान ना रहे तो खामियाजा उठाना पड़ सकता है।
टीम स्टेट टुडे
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