माता पिता का चरण वंदन और बच्चों को प्यार देना प्रतिदिन का संकल्प होना चाहिए – देवेंद्र मोहन भैयाजी
1जनवरी 2025। अपने संकल्पों को निरंतरता से पूरा करना ही नए साल का सबसे बड़ा संकल्प है। नए साल के पहले दिन सफलता का मंत्र देते हुए आध्यात्मिक गुरु देवेन्द्र मोहन भैय्या जी ने कहा कि अपने जीवन के प्रति हमें अपनी आंखें खोलने की जरुरत है। हमें सकारात्मक विचारों को अपने जीवन में स्थान देना होगा। अपने संकल्पों को नित-प्रतिदिन के प्रयासों से ही पूरा किया जा सकता है इसलिए संत कहते हैं कि भक्ति आंखें बंद करके नहीं आंखें खोल कर कीजिए। हमें अपने प्रयासों के प्रति सजग रहना चाहिए।
नववर्ष के पहले दिन भैयाजी ने कहा कि संत हमे अपने जीवन को आध्यात्मिक तरीके से कैसे जीना है वो बताने आते हैं । हमे सबसे पहले अपने मन को समझने की आवश्यकता है । हमें अपनी नकारात्मकता दूर करने के लिए अपना नज़रिया बदलने की आवश्यकता है। हमें इस पर ध्यान देना होगा कि किसी का जीवन शुरुआत से सुखी या अच्छा नहीं होता बल्कि हमें अपने जीवन को अच्छाई की तरफ़ ढालना होगा ।
अपने गुरु स्वामी दिव्यानंद जी महाराज को याद करते हुए भैयाजी ने कहा कि कुछ पाने के लिए उसके योग्य बनना होगा। हमें उस ईश्वर की दया पाने के लिए खुद को उस पात्र बनाना होगा । इसके साथ ही हमें स्वयं में देने की प्रवृति विकसित करनी होगी। यह तभी संभव होगा जब हमारा ह्रदय बड़ा होगा। जीवन में विनम्रता का गुण धारण करना आवश्यक है। यदि हम किसी को कुछ दे पाने की स्थिति में ना भी हों तो भी हम अपने मधुर वचनों से उसे स्नेह और प्रेम दे सकते हैं।
नया वर्ष में ईश्वर से जुड़ने के लिए हमें हर २४ घंटें में कुछ न कुछ नया और सुंदर करना चाहिए। ये एक लक्ष्य प्रतिदिन का होना चाहिए। माता पिता के पैर छूना और बच्चों से प्यार से बात करना भी हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
राजधानी लखनऊ के विक्रम नगर स्थित स्वामी दिव्यानंद आश्रम में उत्तर प्रदेश के बरेली ,पीलीभीत, देवरिया, उन्नाव, कानपुर, सीतापुर आदि जिलों के अलावा राजस्थान और दिल्ली से भी बड़ी संख्या में संगत नववर्ष पर अपने गुरु के दर्शन और सत्संग के लिए पहुंची। इस मौके पर विशाल भंडारे का भी आयोजन हुआ। स्थानीय सभासद देवेंद्र यादव जीतू ने भी क्षेत्रीय जनता के साथ इस मौके पर सेवा की।
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