परमात्मा ने सभी ध्यान-योग के माध्यम से सिमरन की शक्ति दी है। संत कहते हैं कि हमें अपने जीवन की समीक्षा करनी चाहिए। यदि अपने जीवन को देखें तो पाएंगे कि हम इस दुनिया के भोगों में पूर्ण रूप से लिप्त हो चुके हैं। किसी भी बुरी या अच्छी बातों का फ़ैसला करने में लगे हैं। यदि हमारा मन दुनिया भर की चिंताओं में लगा हुआ है तो हम तो मन में चिंताएं ही बसी रहेंगीं लेकिन अगर यही मन प्रभु के सिमरन में लगा है तो हम अपने अंदर असीम शान्ति का अनुभव करेंगे।
जीवन में चिंताओं से मुक्ति का मार्ग बताते हुए आध्यात्मिक गुरु देवेंद्र मोहन भैयाजी ने कहा कि गुरु का सानिध्य और उसके सत्संग को सुनना, उसे अपने जीवन में धारण करना ही हमारे जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। गुरूकृपा से हमें अपने पूर्व कर्मों से छुटकारा मिल सकता है लेकिन गुरु हमारे जीवन में हो रहे नवीन कर्मों में सुधार करने का रास्ता भी बताता है। संत महापुरुष हमें मार्गदर्शन देते हैं ताकि हम अपने जीवन में सुधार कर सकें, हम अपने जीवन सकारात्मक सोच से आगे बढ़ सकें।
मढ़ीनाथ में सत्संग सुनने पहुंची संगत से भैयाजी ने कहा कि हमें यह विश्वास होना चाहिए कि कोई भी हमारा गलत नहीं कर सकता। गलत सोच - विचार एवं धारणाओं से हम खुद ही गलत मार्ग पर चल पड़ते हैं। इसलिए सबसे पहले हमें अपने ऊपर कार्य करने की आवश्यकता है। हमे अपने अंदर छुपी सभी गलत आदतों को बदलने की जरूरत है।
हमारा लक्ष्य हमेशा ऊँचा होना चाहिए। जो लोग हमें छोटी छोटी चीज़ों में उलझाते हैं उनसे हमें अपना रास्ता अलग करना चाहिए। दूसरों की कही बातों में अपना कीमती समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए। प्रतिदिन हमारा जीवन सुधार की तरफ होना चाहिए। हमारा जीवन गुरू की याद में बीतना चाहिए। यदि सुख चाहिए तो गुरु द्वारा दिये गए नाम की कमाई करनी होगी।
सत्संग को सफल बनाने में समस्त संगत का बड़ा योगदान रहा।
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