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पर्यावरण सुरक्षित तो सभ्यता, संस्कृति और मानवता सुरक्षित



विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर धन्वन्तरि सेवा संस्थान ने केजीएमयू मेडिकल कॉलेज में कुलपति आफिस के सामने सरस्वती माता मंदिर के परिसर और बलरामपुर हॉस्पिटल में निदेशक कार्यालय के सामने बगीचे में वृक्षारोपण करके विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया।


इस मौके पर संस्थान के अध्यक्ष डॉक्टर सूर्यकांत ने कहा कि हम लोग प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाते आ रहे हैं. पर्यावरण सुरक्षित तो हम सुरक्षित, सभ्यता सुरक्षित, संस्कृति सुरक्षित, मानवता सुरक्षित, और अगर पर्यावरण सुरक्षित नहीं रहा, तो न हम सुरक्षित रहेंगे, न सभ्यता सुरक्षित और न मानवता सुरक्षित रहेगी. हमारे जीवन की पहली शुरूआत ही सांस से होती है और जीवन का अंत भी सांस से होता है. इन्हीं सांसों के बीच में हमारा जीवनचक्र चलता रहता है. सांसों के द्वारा हम आक्सीजन लेते हैं जिसे प्राणवायु कहा गया है. मतलब प्राणों को जिंदा रखने के लिए जिस वायु की जरूरत होती है उसका नाम है आक्सीजन, क्योंकि इस प्राणवायु से शरीर में प्राण शक्ति मिलती है, इसी प्राण शक्ति से हम सभी क्रियाएं करते हैं. पूरे दिन में अगर हम सिर्फ बैठे भी रहे, तो साढे तीन सौ लीटर आक्सीजन की प्रतिदिन जरूरत है और अगर चलते-फिरते काम करेंगे तो लगभग 500 लीटर आक्सीजन की प्रतिदिन जरूरत है. जो हमें केवल पौधों, वृक्षों, और पर्यावरण से मिलता है.



क्या कभी हमने सोचा है कि जब कभी किसी पेड़ से सामने से निकले तो एक बार उन्हें धन्यवाद दे, हमे उन्हें पेड़ जी कहकर संबोधित कर सकते हैं क्या, क्योंकि आप हमें जीने के लिए आक्सीजन देते है. लेकिन पेड़ों को धन्यवाद देना तो दूर हमने पिछले 50 वर्षों में देश-दुनिया में आधे पेड काट दिए. इससे कितना बड़ा पर्यावरण हानि हुआ आने वाली संतति के लिए, वर्तमान में आपने देखा कि कोरोना महामारी क्राइसेस से दो महीने कितने भयानक गुजरे, आक्सीजन की क्या महत्ता है लोगों को समझ में आ गई.


अभी अस्पताल में क्या हाल हुआ सबने देखा एक-एक आक्सीजन सिलेंडर के लिए आप तरस गए. पेड़-पौधे जो आक्सीजन हमें फ्री में दे रहे हैं इसकी महत्ता हम नहीं समझते, जरा सोचिए अगर गलती से पेड़ों की संस्था बन जाए और जब आप रिटायर्ड होने वाले हो उनको आक्सीजन का बिल दे दिया जाए क्योंकि कल्सुलेट करने पर पता चला कि 60 साल बाद आक्सीजन का बिल लगभग 5 करोड़ रुपये आता है. तो हम सब 5 करोड़ रूपये के कर्जदार हो जाते हैं, जैसे ही हम सीनियर सिटीजन कैटेगिरी में आते हैं. विश्व पर्यावरण दिवस पर आप सबको हम इतना संदेश देना देना चाहते हैं कि पेड़ पौधों के प्रति संवेदशील बनिए, उनका अहसान मानिए, सांसे रखना है, जिंदा रहना है, मानवता को बचाना है तो पेड़-पौधे लगाना होगा इसके लिए किसी भी पर्यावरण दिवस की जरूरत नहीं है.



संस्थान के सचिव डॉक्टर नीरज मिश्रा ने बताया कि विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर धन्वन्तरि सेवा संस्थान हर वर्ष की तरह इस बार भी वृक्षारोपण का कार्यक्रम संपन्न किया है हमारे संस्थान का हमेशा लक्ष्य रहा है कि हर वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर एक पौधा लगाया जाए, सभी चिकित्सालयों के उद्यानों में, जिसकी शुरूआत किंगजार्ज विश्वविद्यालय के उद्यान से हुआ है. वहीं बलरामपुर हॉस्पिटल के निदेशक डॉक्टर संतोष कुमार जी ने विश्व पर्यावरण पर धन्वन्तरि सेवा संस्थान द्वारा किए जा रहे वृक्षारोपण को सराहनीय कार्य बताते हुए कहा कि पेड़-पौधे लगाने से प्रदूषण कम होगा. इसलिए केवल पर्यावरण दिवस पर ही नहीं हमेशा वृक्षारोपण के लिए दूसरों को प्रेरित करें और स्वयं भी लगाए. अवधेश नारायण कहा मानव जीवन के लिए आक्सीजन की भूमिका मुख्य है. इसके बिना जीवन की कल्पना ही असंभव है और आक्सीजन का स्त्रोत सिर्फ पेड़-पौधे हैं, हमारा पर्यावरण है, हर व्यक्ति को कम से कम अपने हिस्से का एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए.


धन्वन्तरि सेवा संस्थान की ओर से आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर केजीएमयू इकाई के डॉक्टर एसएन शंखवार, सीएमएस, केजीएमयू, डॉक्टर एनएस वर्मा, डॉक्टर सुनीता वर्मा, डॉक्टर विभा सिंह, डॉक्टर शैलवानी, डॉक्टर जुरैब, डॉक्टर मधुबन तिवारी, सरस्वती मंदिर के महंत पंडित मुकेश मिश्रा, एसएन त्रिपाठी और धन्वन्तरि सेवा संस्थान के कार्यकर्ता उपस्थित रहे.


टीम स्टेट टुडे


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