महर्षि सूचना एवं तकनीकी विश्वविद्यालय की ओर से पारिवारिक कानून: समकालीन चुनौतियाँ और समाधान विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में पारिवारिक मामलों के विशेषज्ञों ने खूब विचार-विमर्श किया।
अमेरिका से लेकर नीदरलैंड और श्रीलंका से लेकर भारत के विशेषज्ञों ने पूरी दुनिया में बढ़ते पारिवारिक विवादों को कम करने पर जोर देते हुए अपनी पुरातन संस्कृति एवं इतिहास को ध्यान में रखने की वकालत की।
दो दिवसीय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संयुक्त राष्ट्र संघ में श्रीलंका के प्रतिनिधि,श्रीलंका सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, पूर्व अटॉर्नी जनरल जस्टिस मोहन पिरिस पी. सी. ने अपने उद्घाटन भाषण में श्रीलंका में हो रहे पारिवारिक मामलों में बदलाव के ऊपर अपनी बात रखी। उन्होंने इंटरनेशनल एडॉप्शन को हेग कन्वेंशन के तहत सुलझाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि आये दिन नए-नए पारिवारिक विवाद सामने आते हैं। विशेष कर उनके जो इंटरनेशनल माइग्रेंट्स के परिवारों से संबंधित हैं।
ज्ञात हो कि हेग कन्वेंशन पूरी दुनिया में पारिवारिक विवादों को सुलझाने की एक नयी अंतरराष्ट्रीय पहल है, जिसका अनुभव हम अपने संविधान के समान नागरिक संहिता, आर्टिकल 44 की तरह कर सकते हैं। इसलिए कानून के सभी जानकारों को अब पारिवारिक विवादों को सुलझाने के लिए नयी पहल करनी होगी क्योंकि यह केवल भारत या श्रीलंका की नहीं, अपितु पूरी दुनिया की समस्या बनती जा रही है। यूनाइटेड नेशन भी इस बात को लेकर चिंतित है।
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री अजय प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि कोविड-19 संकट में बहुत सारे घरेलू उत्पीड़न के मामले प्रकाश में आये, जिससे कि कई परिवार टूट गये और इस समय कोई भी ऐसा सिस्टम नहीं था कि ऐसे मामलों में मध्यस्थता द्वारा या कोर्ट द्वारा फौरी हल निकाला जा सके। यह समय ऐसी शिक्षा देता है कि पारिवारिक मुद्दों पर ऐसी चर्चाएं, गोष्ठियाँ विश्वविद्यालय एवं अन्य शैक्षणिक संस्थान करते रहें, जिसमें कानून के जानकार समाज की मदद से ऐसी पहल करें कि परिवार टूटने से पहले उचित समाधान निकल सके।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता भारत सरकार के लेबर लॉ कमेटी के सदस्य एवं पारिवारिक मामलों के कानूनी विशेषज्ञ प्रो. एससी श्रीवास्तव ने लिव-इन-रिलेशनशिप के संभावित उलझनों और इस रिश्ते से जन्म लेने वाले बच्चों की कानूनी सुरक्षा पर अपनी चिंता जताई और कहा कि चूँकि अभी हमारा कानून इस मसले पर कोई समाधान देने की स्थिति में नहीं है, ऐसे में युवाओं को खुद इस तरह के रिश्तों से बचना होगा, जब तक कोई इस संदर्भ में नयी व्यवस्था नहीं बन जाती। क्योंकि अगर यह रिश्ते बढ़ते हैं तो पारिवारिक दिक्कतें भी बढनी तय हैं। इससे न केवल अदालतों में बोझ बढ़ेगा बल्कि समाज में तनाव भी बढ़ेगा।
फीमेल वेब ऑफ़ चेंज अमेरिका की फाउंडर प्रेजिडेंट सुश्री इंगुन बॉल डी बॉक ने अमेरिका समेत पूरी दुनिया में महिला अधिकारों पर और काम करने की जरूरत पर बल देते हुए अश्वेत महिलाओं के अधिकारों की रक्षा पर बल दिया। नीदरलैंड की ग्लोबल गुडविल एंबेसडर सुश्री डॉ ससकिया हरकेम ने अपने देश की महिलाओं की बेहतर स्थिति बताई और इस बात पर जोर दिया कि अन्य देश भी महिलाओं को नीदरलैंड की तरह सुरक्षा, संरक्षा प्रदान करें।
सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता सुश्री सुमित्रा चौधरी ने घरेलू हिंसा पर चिंता जताते हुए कोर्ट तथा नीति निर्धारकों, दोनों से कहा कि यह एक गंभीर समस्या है। इस पर दोनों को ही विशेष ध्यान देने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट के एक और अधिवक्ता श्री विक्रम श्रीवास्तव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी को और बेहतर तरीके से काम करना पड़ेगा जो कि पारिवारिक मामलों से संबंधित मुकदमे को सस्ते और सरल तरीके से निपटाया जा सके, ऐसी नयी नीति बनायी जाए।
विश्वविद्यालय के संस्थापक महानिदेशक प्रोफेसर एडवोकेट ग्रुप कैप्टन ओपी शर्मा ने भी प्राइवेट इंटरनेशनल लॉ में हेग संधि की भूमिका पर बल देते हुए उसे पूरे विश्व में लागू करने की बात रखी। एडवाइजर प्रो भीमसेन सिंह ने गीता, कुरआन, बाइबल का उदाहरण देते हुए पर्सनल लॉ में इनकी महत्ता तथा इतिहास को ध्यान में रखते हुए पारिवारिक मसलों को देखने की बात की। युवाओं में कानून और इतिहास, दोनों की महत्ता तथा उनके प्रभाव को समझाते हुए प्रो सिंह ने अपनी बात को आगे बढ़ाया।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बीपी सिंह ने सभी का स्वागत करते हुए आज के विषय को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह उनके लिए सौभाग्यपूर्ण मौका है कि आज पारिवारिक मसलों पर अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को सुनने जा रहे हैं। डीन एकेडमिक्स डॉ अजय कुमार ने भारत में कमर्शियल सरोगेसी के बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जताई।
महर्षि स्कूल ऑफ लॉ के अधिष्ठाता डॉ के. वी. अस्थाना ने सभी देशी-विदेशी मेहमानों का आभार व्यक्त किया और उम्मीद जताई कि अगले दो दिन तक होने वाली चर्चा निश्चित मुकाम तक पहुँचेगी। क्योंकि पूरे देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के 80 शोधार्थी अगले दो दिन तक अपने पेपर प्रस्तुत करेंगे।
कार्यक्रम में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मुदिता अग्रवाल एवं तृप्ति अग्रवाल, डिप्टी डीन डॉ अनु बहल मेहरा, राखी त्यागी, अंतिमा महाजन, विशाल शर्मा, कामसाद मोहसिन आदि ने अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई।
टीम स्टेट टुडे
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