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कोरोना की दवा 2 डीजी मिलेगी अगले हफ्ते से, जानिए क्या हैं खूबियां, कैसे तैयार किया डीआरडीओ ने



रिपोर्ट - आदेश शुक्ला


रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के अधिकारियों ने जानकारी दी कि कोरोना की दवा 2डीजी की 10,000 खुराक का पहला बैच अगले सप्ताह बाजार में उपलब्ध हो जाएगा। ये दवा कोरोना के मरीजों को जल्द ठीक करती है और उनकी ऑक्सीजन पर निर्भरता कम करती है। डीआरडीओ के निर्माताओं ने जानकारी दी कि दवा निर्माता भविष्य में उपयोग के लिए दवा के उत्पादन पर तेजी लाने पर काम कर रहे हैं।




किसने बनाई कोविड की दवा


कोरोना के इलाज की ये दवा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की प्रतिष्ठित प्रयोगशाला नामिकीय औषिध तथा संबद्ध विज्ञान संस्थान (आईएनएमएएस) ने हैदराबाद के डॉ. रेड्डी लेबोरेटरी के साथ मिलकर विकसित किया है। इस दवा का नाम 2-डीजी है। इसका पूरा नाम 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज है। सामान्य अणु और ग्लूकोज के अनुरूप होने की वजह से इसे भारी मात्रा में देश में ही तैयार और उपलब्ध कराया जा सकता है।

इस दवा को डीआरडीओ की एक टीम ने विकसित किया है। संकट के समय में वरदान मानी जा रही इस दवा को तैयार करने के पीछे तीन वैज्ञानिकों का दिमाग रहा है। ये हैं डॉ. सुधीर चांदना, डॉ. अनंत नारायण भट्ट और डॉ. अनिल मिश्रा।


कैसी है ये दवा और कैसे खानी है


2-डीजी दवा पाउडर के रूप में पैकेट में आती है, इसे पानी में घोल कर पीना होता है। गैस और बदहजमी के लीजिए इनो पाउडर जैसे पानी में घोलकर पीते हैं, उसी तरह 2-डीजी को भी पिया जा सकेगा।


कितनी होगी दवा की कीमत


अभी इस बारे में कोई घोषणा तो नहीं हुई है लेकिन ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि एक पैकेट की कीमत 500 से 600 रुपये के बीच हो सकती है। इस दवा की बिक्री कीमत जल्द ही घोषित होगी। चूंकि इस दवा को बनाने में सैन्य संस्थान के डॉक्टर और वैज्ञानिक लगे थे इसलिए उम्मीद है कि कीमत बहुत ज्यादा ना हो।


दवा मरीजों को किस तरह मदद करती है?


यह दवा उन मरीजों की मदद करेगी जिन्हें सांस लेने में तकलीफ की समस्या होती है। क्लीनिकल टेस्ट में सामने आया कि 2-डीजी दवा अस्पताल में भर्ती मरीजों के जल्द ठीक होने में मदद करने के साथ-साथ अतिरिक्त ऑक्सीजन की निर्भरता को कम करती है।


कोरोना के खिलाफ कैसे काम करती है दवा?


कोविड-19 का सामना कर रहे मरीजों को यह दवा बहुत लाभ पहुंचाएगी। 1 मई को डीसीजीआई ने इस दवा को कोविड-19 के मध्यम एवं गंभीर लक्षण वाले मरीजों के इलाज के लिए सहायक पद्धति के रूप में आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी। सहायक पद्धति वह इलाज है जिसका इस्तेमाल प्राथमिक इलाज में मदद करने के लिए किया जाता है। 2-डीजी दवा वायरस से संक्रमित कोशिका में जमा हो जाती है और वायरस की वृद्धि को रोकती है। वायरस से संक्रमित कोशिका पर चुनिंदा तरीके से काम करना इस दवा को खास बनाता है।" दवा के असर के बारे में मंत्रालय ने बताया कि जिन लक्षण वाले मरीजों का 2डीजी से इलाज किया गया, वे मानक इलाज प्रक्रिया (एसओसी) से पहले ठीक हुए। 2डीजी से इलाज कराने वाले अधिकतर मरीज आरटी-पसीआर जांच में निगेटिव आए।



डीआरडीओ ने इस दवा पर काम कब शुरू किया था?


डीआरडीओ ने अप्रैल 2020 में महामारी की पहली लहर के दौरान आईएनएमएएस-डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेल्यूलर ऐंड मॉलिक्यूल बायोलॉजी के साथ मिलकर प्रयोशाला में प्रयोग किया और पाया कि ये अणु सार्स कोव-2 वायरस के खिलाफ कारगर हैं और वायरस के संक्रमण को बढ़ने से रोकते हैं।


क्या रहा नतीजा क्लीनिकल ट्रायल में


मंत्रालय के मुताबिक इन नतीजों के बाद डीसीजीआई के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने मई 2020 में 2-डीजी के कोविड-19 मरीजों पर दूसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल करने की मंजूरी दी। प्रभाव एवं सुरक्षा की जांच करने के बाद मई से अक्टूबर 2020 तक दूसरे चरण का परीक्षण किया गया और पाया गया कि सुरक्षित होने के साथ-साथ कोविड-19 मरीजों के ठीक होने भी मदद करता है। दूसरे चरण के पहले हिस्से में छह अस्पतालों में और द्वितीय चरण के दूसरे हिस्से में देश के 11 अस्पतालों में 110 मरीजों पर परीक्षण किया गया।सफल नतीजों के बाद डीसीजीआई ने नवंबर 2020 में तीसरे चरण के परीक्षण को मंजूरी दी। तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच देशभर के 27 अस्पतालों के 220 मरीजों पर किया गया। ये अस्पताल दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के हैं। तीसरे चरण के ट्रायल के आंकड़े डीसीजीआई को दिए गए। नतीजों के मुताबिक 2-डीजी दवा से लक्षण वाले मरीजों में उल्लेखनीय सुधार हुआ और तीसरे दिन से ही एसओसी के मुकाबले इस दवा से ऑक्सीजन निर्भरता (31 प्रतिशत के मुकाबले 42 प्रतिशत) खत्म हो गई। इसी तरह का सुधार 65 साल से अधिक उम्र के मरीजों में भी देखने को मिला।


क्या कहा है रक्षा मंत्रालय ने


रक्षा मंत्रालय का इस दवा के संबंध में कहना है कि 2-डीजी के साथ जिन मरीजों का इलाज हुआ, उनमें से अधिकांश की आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आई और उनमें तेजी से रोग के लक्षणों में कमी देखी गई। मुंह के जरिये ली जाने वाली इस दवा का अब कोरोना के मध्यम से गंभीर लक्षण वाले मरीजों के इलाज में इस्तेमाल किया जा सकेगा। यह दवा पाउडर के रूप में एक पैकेट में आती है, जिसे पानी में घोलकर मरीज को दिया जाता है। परीक्षण में डीआरडीओ की इस दवा के काफी अच्छे नतीजे सामने आए हैं और इसके क्लीनिकल ट्रायल सफल साबित हुए हैं। डीआरडीओ का दावा है कि जिन मरीजों पर इस दवा का ट्रायल किया गया, उनमें तेजी से रिकवरी देखी गई। यही नहीं, ऐसे मरीजों की आक्सीजन पर निर्भरता भी कम हो गई। डीआरडीओ के विज्ञानियों के अनुसार यह दवा अस्पताल में भर्ती मरीजों को तेजी से ठीक होने में मदद करने के साथ-साथ अतिरिक्त आक्सीजन की निर्भरता को भी कम करती है। इसकी पुष्टि दवा के तीसरे चरण के ट्रायल में हुई है, जिसके अच्छे नतीजे आए हैं, उसी के बाद इसके इस्तेमाल की स्वीकृति दी गई है।


किसकी प्रेरणा से शुरु हुआ काम


पिछले साल कोरोना महामारी शुरू होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तैयारियों करने का आह्वान किया गया, जिसके बाद डीआरडीओ ने इस दवा पर काम शुरू किया।


टीम स्टेट टुडे


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