22 जनवरी 2024 को भव्य नव्य अयोध्या में अद्भुत अलौकिक और अविस्मरणीय क्षणों में प्रभु श्री रामलला अपने भव्य और विराट मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठित होंगे।
राम मंदिर के बनने से पहले कई पीढ़ियों ने इसकी लड़ाई लड़ी है। वर्तमान में एक पीढ़ी ऐसी भी मौजूद है जिसने करीब तीस साल पहले राममंदिर आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और आज राम मंदिर बनते हुए भी देख रही है। संकल्प से सिद्धि तक।
यही वो पीढ़ी है जिसने कहा था सौगंध राम की खाते हैं हम मंदिर वहीं बनाएंगे। सौगंध पूरी हुई। छ सौ सालों का इंतजार समाप्त हुआ।
राम मंदिर आंदोलन में भारत की नारी शक्ति ने भी अद्भुत और अदम्य साहस का परिचय दिया। नौजवान युवतियां आंदोलन में कूद पड़ीं। किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए कठिन परिश्रम किया। कड़ा प्रशिक्षण लिया। किसी भी बात की परवाह किए बगैर उस दौर में माता-पिता और परिजनों ने अपने घर की उन बच्चियों को भी आंदोलन में उतार दिया जिनकी बड़े लाड़-प्यार से वो परवरिश दे रहे थे।
राम मंदिर आंदोलन में जिस महिला संगठन ने नारी शक्ति की अगुवाई की उसका नाम है दुर्गावाहिनी।
दुर्गावाहिनी की लखनऊ नगर संयोजिका कारसेविका पूनम त्रिवेदी ने स्टेट टुडे टीवी के साथ विशेष बातचीत में उस दौर की यादें ताजा कीं।
राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर दुर्गावाहिनी को प्रणाम। आप भी सुनिए कारसेविका पूनम त्रिवेदी की कहानी - उन्हीं की जुबानी ---
भाग 1 - कैसे बनी दुर्गावाहिनी और कूद पड़ी नारी शक्ति राम मंदिर आंदोलन में
भाग दो - -
क्या किया दुर्गावाहिनी ने जब मुलायम सिंह यादव ने कहा "अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार सकता"
भाग तीन - 6 दिसंबर 1992 - लक्ष्य पर दुर्गावाहिनी
भाग चार - 22 जनवरी 2024 - दुर्गावाहनी का रामभक्तों से आह्वान
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