2022 के चुनावी मुहाने पर खड़े उत्तर प्रदेश में कई राजनीतिक दल मुफ्त बिजली का वादा कर रहे हैं। प्रदेश के ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री पं. श्रीकान्त शर्मा ने स्टेट टुडे टीवी से विशेष बातचीत में मुफ्त बिजली के नाम पर होने वाले धोखे से जनता को आगाह किया। ऊर्जा मंत्री का कहना है कि जिन प्रदेशों में सरकार मुफ्त बिजली जनता को दे रही है वहां की व्यवस्था निजी कंपनियों के हाथों में है। दूसरी बात तयशुदा यूनिट्स के बाद जो बिल जनता को भेजा जा रहा है वो दरअसल मूल टैरिफ से कई गुना ज्यादा है जिसके ऊपर जनता का ध्यान नहीं है।
ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि यूपी में हमने बिजली सप्लाई के लिए रोस्टर प्रणाली लागू की। लोगों को समय पर निर्बाध बिजली मिली तो अब लोग कह रहे हैं कि अगर सरकार बिजली दे रही है तो बिल भरना हमारी ड्यूटी बनती है। ऊर्जा मंत्री ने जोर देकर कहा कि हमने व्यवस्थाओं में सुधार किया और बिजली के दाम नहीं बढ़ने दिए।
ऊर्जा मंत्री पं. श्रीकान्त शर्मा ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों के कमीशन, कुशासन व करप्शन की नीतियों ने प्रदेश को अंधेरे में रखा था, वे लोगों के जीवन में उजाला चाहते ही नहीं थे। केवल चार जिलों को ही पूरा प्रदेश मान लेने वाली पूर्ववर्ती सरकारों को उत्तर प्रदेश की चिंता नहीं रही। 2017 में भाजपा सरकार बनने के बाद से प्रदेश का हर जिला बिजली आपूर्ति की दृष्टि से वीआईपी है। फर्क साफ है वे अंधेरा दूर करना नहीं चाहते थे हमें 24 करोड़ प्रदेशवासियों के जीवन में उजाला ले आना था, हमने जो कहा था उसे करके भी दिखाया। आज 1.40 करोड़ घर बिजली की रोशनी से रौशन हैं।
कहा कि आज प्रदेश के जिला मुख्यालय को 24 घण्टे, तहसील को 20 और गांव को 18 घण्टे निर्बाध बिजली मिल रही है। 2017 के पहले केवल चार जिले ही वीआईपी थे आज प्रदेश का हर जिला वीआईपी है। इससे पहले प्रदेश ने शिफ्ट वाइज बिजली की सप्लाई देखी थी। आज हम पूरे प्रदेश में सबको बिजली, निर्बाध बिजली व पर्याप्त बिजली के संकल्प को पूरा कर रहे हैं।
जानकारी देते हुए कहा कि सपा सरकार ने ₹ 5.14 से ₹ 11.09 की दर से दीर्घकालिक पीपीए किये और जनता पर मंहगी बिजली थोपी और 5 साल के कार्यकाल में हर साल दरों में बढ़ोतरी करते हुए बिजली के दाम 60.71% बढ़ाये। वहीं हमारी सरकार ने सस्ती बिजली के अभियान के तहत 2.98 रू- 4.19 रू की दर से पीपीए किये और पिछले तीन सालों से हमने बिजली के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं की।
विद्युत व्यवस्था सुधारने के लिए हमने पिछले साढ़े 4 वर्षों में हमने 673 नए 33/11 केवी के बिजली घर बनाये । 2026 तक और नये 750 बिजलीघर बनाये जायेंगे। जबकि पिछली सरकार में हर साल 33/11 केवी के केवल 29 बिजली घर की क्षमता वृद्धि की जाती थी, हमारी सरकार में हर साल 337 बिजली घर पर क्षमतावृद्धि की गयी है। इस प्रकार पिछले साढ़े 4 वर्षों में हमने कुल 1347 बिजली घरों की क्षमता बढ़ाई है। ₹12,111.75 करोड़ की लागत से 765 केवी का 01, 400 केवी के 12, 220 केवी के 34 व 132 केवी के 72 पारेषण उपकेंद्रों का निर्माण करवा चुकी है।
2012 से 17 तक केवल 47.75 लाख घरों में ही बिजली पहुंची जबकि 2017-21 के बीच 195% की वृद्धि के साथ 1.40 करोड़ घरों को नए बिजली के कनेक्शन मिले हैं। पूर्ववर्ती सरकार में विद्युतीकरण की प्रगति 9.55 लाख घर प्रतिवर्ष की थी, हमारी सरकार में यह गति 269% बढ़कर 35.20 लाख घर प्रतिवर्ष की रही है। पूर्ववर्ती सरकार में मजरा विद्युतीकरण की दर 14,175 मजरा प्रतिवर्ष थी जो हमारी सरकार में 328% की वृद्धि के साथ 60,662 मजरा प्रतिवर्ष रही है। पिछली सरकार ने जहां केवल 70877 मजरे में ही बिजली पहुंची थी। हमने 2019 तक छूटे हुए सभी 1,21,324 मजरों में बिजली पहुंचाने का काम किया है। 61.94 लाख घरों को निःशुल्क कनेक्शन दिया गया है। 47,337 लोगों को सोलर पावर पैक भी दिए हैं।
जानकारी दी कि आज प्रदेश में सभी विधाओं की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 26,937 मेगावाट है जो कि पिछली सरकार के मुकाबले 4000 मेगावाट अधिक है। वर्ष 2022 तक ऊर्जा विभाग के राज्य तापीय विद्युतगृहों का उत्पादन 7,260 मेगावॉट बढ़कर 12734 मेगावॉट हो जाएगा और 34,500 मेगावॉट बिजली की उपलब्धता रहेगी। 2016-17 में बिजली की अधिकतम मांग 16,110 मेगावॉट ही पूरी हो पाई थी। 16 जुलाई 2021 को हमने 25,032 मेगावॉट की अधिकतम मांग को पूरा किया जो कि एक रिकॉर्ड है। 2024-25 में इसके बढ़कर 31,500 मेगावॉट तक होने का अनुमान है। 2016-17 में जहां ग्रिड की ट्रांसमिशन क्षमता 16,348 मेगावॉट थी जो मौजूदा समय में 28000 मेगावॉट है और 2024-25 में बढ़कर 32,400 मेगावॉट हो जाएगी। 2016-17 में ग्रिड की आयत क्षमता केवल 7,800 मेगावॉट थी, जो अभी बढ़कर 14,000 मेगावॉट है और 2024-25 में इसे बढ़ाकर 16,000 मेगावॉट किये जाने का लक्ष्य है।
सौभाग्य योजना के तहत पश्चिमांचल व दक्षिणांचल डिस्कॉम के ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक 26,426.27 किमी लाइनें एबी केबलिंग से बदली जा चुकी हैं। मध्यांचल व पूर्वांचल के 1000 से अधिक की आबादी वाले 26 हजार मजरों में पुराने जर्जर तारों के स्थान पर 31 मार्च 2023 तक एबी केबलिंग की जाएगी। वहीं 636 नगरीय क्षेत्रों में 10,203.97 किमी जर्जर लाइनों को एबी केबलिंग से बदला गया है। अन्य योजनाओं में भी 1,100 किमी लाइनें बदली गई हैं।
2012-17 के बीच हर साल केवल 19,880 निजी ट्यूबवेल कनेक्शन ही दिए गए। हमारी सरकार में यह दर 72% ज्यादा रही और 39395 कनेक्शन प्रतिवर्ष दिए गए। हमने सर्वाधिक 1,36,775 कनेक्शन दिए। पिछली सरकार ने डार्क जोन के नाम पर ब्रज व पश्चिम के 17 जिलों में ट्यूबवेल कनेक्शन पर रोक लगाई। हमने इसे खत्म किया।
टीम स्टेट टुडे
Bình luận