मोदी सरकार ने कृषि कानून बनाया। आंदोलन हुआ। कई दौर की बातचीत हुई। किसान के नाम पर आंदोलनकारी अड़े रहे। फिर एक दिन पीएम मोदी ने कानून वापस लेने का ऐलान किया। आंदोलनकारियों से वापस लौटने की अपील की। बावजूद इसके आंदोलन जारी है। ऐसे में किसी का माथा ठनकना स्वाभाविक है। नई मांगों के साथ आंदोलनकारियों ने महापंचायत बुलाई। लखनऊ की महापंचायत में लाल झंडे खूब दिखे। चिर परिचित वामपंथी नेता अतुल अंजान तीखे सवाल-जवाब के बीच आंदोलन का ऐसा सच बोल गए कि फिर अपने ही सच पर बौखला गए।
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