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रामपुर पहुंची प्रियंका ने नवरीत के परिजनों से की मुलाकात – फिर ट्विटर पर ऐसा क्या हुआ !



अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव प्रियंका गांधी ने किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले नवरीत सिंह के अंतिम अरदास में बिलासपुर के दिदिबा गांव पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। प्रियंका ने नवरीत सिंह के परिजनों से मुलाकात करके अपनी शोक संवेदना व्यक्त की।




26 जनवरी को किसानों की ओर से निकाले गए ट्रक की रैली के दौरान दिल्ली के आईटीओ के पास पुलिस बड़ी बैरिकेटिंग को तोड़ने की कोशिश में नवरीत सिंह का ट्रैक्टर पलट गया था, जिसके कारण उनकी मौत हो गई थी।

नवरीत आस्ट्रेलिया में रहकर पढ़ाई कर रहे थे। 25 वर्षीय नवरीत सिंह की बीते साल ही शादी हुई थी।



कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी नवरीत सिंह के अंतिम अरदास में कहा कि नवरीत 25 साल के थे। मेरा बेटा 20 साल का है। आपके भी नौजवान बेटे हैं जो उत्साह में अपना उत्साह दिखाने के लिए किसानों के साथ खड़े होने के लिए वहां चले गये और उनके साथ ऐसा हादसा हुआ कि वह वापस लौटकर नहीं आये। क्यों गये थे वहां? कोई राजनैतिक साजिश नहीं थी कि वह वहां गये। वह इसलिए गये क्योंकि उनके दिल में दुख था, उनके दिल में किसानों की पीड़ा थी। उनको मालूम था कि जुल्म हो रहा है। गुरू गोविन्द सिंह जी ने कहा है कि जुल्म करना पाप है लेकिन जुल्म को सहना उससे भी बड़ा पाप है और हो सकता है कि यही सोचते हुए एक नौजवान बच्चा दिल्ली में इतनी दूर से दिल और दिमाग में इसे लेकर शामिल हुआ। इस उम्मीद में रहते हुए कि उसकी सुनवाई होगी। सब लोग इकट्ठा होंगे तो सरकार सुनेगी और जो दिल की बात है किसान की, उसके लिए सरकार भी दरवाजे खोलेगी और उसकी सुनवाई करेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और मैं ऐसा कह सकती हूं कि आज सबसे बड़ा जुल्म हो रहा है।



प्रियंका ने कहा कि ये तीन काले कृषि कानून हैं जिनको सरकार वापस लेना नहीं चाहती जबकि उसको वापस लेना चाहिए, यह बहुत बड़ा जुल्म हो रहा है किसानों के साथ, बहुत बड़ा जुल्म यह कर रहे हैं। यह मौका नहीं है कि हम राजनैतिक बात करें। लेकिन हम ऐसा जुल्म सह नहीं सकते। जो सच्चाई है वह सच्चाई है यह कोई राजनैतिक आन्दोलन नहीं है यह एक सच्चा आन्दोलन है। आपका आन्दोलन है। किसानों का आन्दोलन है। इस देश के एक-एक निवासी का आन्देालन है इसीलिए मैं आज यहां आई। प्रियंका ने कहा कि आन्दोलन को तब तक जारी रखेंगे जब तक तीन काले कानून सरकार वापस नहीं लेती।


केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने प्रियंका वाड्रा को दी नसीहत


केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने प्रियंका गांधी के रामपुर जाने पर उन्हें नसीहत दी है। गिरिराज सिंह ने कहा कि आज प्रियंका गांधी पीड़ितों के यहां राजनीति करने जा रही है। काश वह एक बार राहुल गांधी के साथ 1984 सिख नरसंहार के पीड़ितों से भी मिलने गयी होती। हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है, जब गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा को निशाने पर रखा है।



इसके पहले भी वह राहुल गांधी के इटली जाने पर ट्वीट कर कहा था कि लगता है प्रियंका गांधी अपने नानी से इतना प्यार नहीं करती जितना राहुल गांधी करते हैं। गिरिराज सिंह ने इसके पहले भी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पर निशाना साधते हुए कह चुके हैं कि उन दोनों को 1974 की इमरजेंसी याद करनी चाहिए। इसी तरह उन्होंने किसान आंदोलन को लेकर मार्च कर रही प्रियंका गांधी की गिरफ्तारी पर उन्हें इमरजेंसी याद करने की नसीहत दी थी।


2020 में हाथरस भी गईं थी प्रियंका गांधी


अक्टूबर 2020 में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी हाथरस गैंगरेप पीड़ित के परिवार से मिलने के लिए उसके गांव भी पहुंचे थे। तब प्रियंका गांधी ने सबसे पहले पीड़िता की मां को गले लगाया और फिर पीड़िता के परिवार के साथ बंद कमरे में करीब एक घंटे तक बातचीत की थी। मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा था कि हम पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं। वहीं, प्रियंका गांधी ने कहा था कि परिवार न्यायिक जांच और सुरक्षा चाहता है। प्रियंका गांधी ने यह भी कहा कि हम अन्याय के खिलाफ लड़ेंगे। जहां जहां अन्याय होगा वहां जाएंगे और लड़ेंगे। तब राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ तमाम विपक्ष के दलों ने भी इस मामले में योगी - मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की थी। लेकिन दांव तब उल्टा पड़ गया था जब प्रियंका गांधी और राहुल गांधी पर पीड़िता के घर फोटो सेशन कराने के आरोप लगने लगे थे।


गिरिराज सिंह ने क्यों की 84 सिख नरसंहार की चर्चा


पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगों में लगभग तीन हजार से अधिक निर्दोष सिखों की हत्या की गई थी। इस दंगे में कई कांग्रेसी नेताओं के नाम भी सामने आ चुके हैं। दरअसल दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में ज्यादातर किसान पंजाब के ही बताए जा रहे हैं। 26 जवनरी को जिस तरह से दिल्ली में हिंसा करने के साथ तलवारे निकाली गई थी। उसके बाद किसान आंदोलन पर कई तरह के सवाल भी उठे थे। बता दें कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगों की चपेट में उत्तर प्रदेश के ही कानपुर के भी कई सिख परिवार आए थे।


कानपुर में भी 1984 दंगों के दौरान 127 सिखों की हुई थी हत्या


1984 में कानपुर में भी दंगों के दौरान 127 सिखों की हत्या कर दी गई थी। वहां के सिखों का कहना था कि कानपुर में सिखों का कत्लेआम मामले में कई दिनों तक कोई FIR तक दर्ज नहीं की गई। काफी दिनों बाद जब एफआईआर दर्ज की गई तो स्टेटस रिपोर्ट में कोई पुख्ता सबूत न होने की बात कहकर केस को ही खत्म कर दिया गया था। लेकिन राजनीति के चक्कर में यूपी के हाथरस और रामपुर जाने वाले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी कभी कानपुर नहीं गए।


गिरिराज सिंह का यह कहना है कि हाथरस और रामपुर जाने वाले प्रियंका गांधी और राहुल गांधी को कानपुर के पीड़ित परिजन से भी मुलाकात करना चाहिए।


टीम स्टेट टुडे


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