लखनऊ, 8 अक्टूबर 2023 : प्रदेश में 12 लाख विद्युत उपभोक्ताओं के यहां लगाए गए स्मार्ट मीटर में तमाम खामियां मिली हैं। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की जांच टीम ने पाया है कि स्मार्ट मीटर ‘स्मार्ट’ तरीके से काम करने के बजाय मैनुअल ही काम कर रहे हैं। मंत्रालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल स्मार्ट मीटर को ठीक कराने के निर्देश दिए हैं ताकि संबंधित विद्युत उपभोक्ताओं की परेशानी दूर हो सके। दरअसल, स्मार्ट मीटर को लेकर लगातार मिल रही शिकायतों पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने पिछले महीने बिजली कंपनियों में स्मार्ट मीटर की जांच के लिए टीम भेजी थी।
जांच टीम ने उपभोक्ता संतुष्टि के मानक चेक करने के लिए कुछ उपभोक्ताओं से फीडबैक भी लिया था। टीम को मिली तमाम खामियों की रिपोर्ट ऊर्जा मंत्रालय ने पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक को भेजी है। रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि स्मार्ट मीटर जिस उद्देश्य के लिए लगाए गए थे उसमें वे फेल साबित हुए हैं। नया बिलिंग साफ्टवेयर आने के बाद छह माह से स्मार्ट मीटर मैनुअल ही काम कर रहे हैं।
बिलिंग सॉफ्टवेयर को सही तरीके से चलाने में तकनीकी बाधा के चलते स्वतः बिल बनने, बकाए पर कनेक्शन कटने व जुड़ने में भी समस्या आ रही है। दिक्कतों के चलते उपभोक्ता स्मार्ट मीटर से बेहद असंतुष्ट हैं। प्रबंध निदेशक को निर्देश दिए गए हैं कि स्मार्ट मीटर परियोजना में जो भी कमियां हैं उन्हें तत्काल ठीक कराया जाए। स्मार्ट मीटर में मिली खामियों पर ऊर्जा मंत्रालय के कड़े रुख से बिजली कंपनियों में हड़कंप मचा है।
प्रदेश में भले ही अभी 12 लाख ही स्मार्ट मीटर लगे है लेकिन निकट भविष्य में सभी 3.35 करोड़ उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर ही लगाए जाने हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार उपभोक्ताओं के परिसर पर लगाए गए चेक मीटर और मेन मीटर का मिलान नहीं किया जा रहा है। स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर(एसओपी) का उल्लंघन हो रहा है। स्मार्ट मीटर के मोबाइल एप तक काम नहीं कर रहे हैं। स्मार्ट मीटर में नेटवर्क की समस्या है।
स्मार्ट मीटर होने पर भी रीडिंग मैनुअल ही हो रही है। रिपोर्ट में इस पर आपत्ति जताई गई है कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार छह माह तक स्मार्ट मीटर में अधिक भार होने पर भी उपभोक्ता से पेनाल्टी नहीं ली जाएगी लेकिन उसे वसूला गया है। चेक मीटर लगाने का भी चार्ज लिया गया है। रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि स्मार्ट मीटर को लेकर एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड, एलएंडटी और पावर कारपोरेशन के विवाद के चलते भी उपभोक्ता सेवाएं बाधित रही हैं।
कम बैलेंस में न अलार्म बजा और न बकाए पर कटा कनेक्शन
वैसे तो स्मार्ट मीटर होने पर अगर कोई उपभोक्ता समय से बिल न जमा करे तो उसकी बिजली स्वतः कट जानी चाहिए लेकिन स्मार्ट मीटरों की जांच में केंद्रीय टीम ने पाया कि जुलाई-अगस्त के दौरान कुल 22,507 स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं का बिल बकाया होने के बावजूद 4008 (17.80 प्रतिशत) उपभोक्ताओं की बिजली गुल नहीं हुई। जांच में यह भी मिला कि स्मार्ट मीटर वाले उपभोक्ताओं द्वारा रिचार्ज धनराशि का 70, 80 व 90 प्रतिशत तक की बिजली का उपभोग करने पर भी न उन्हें एसएमएस अलर्ट मिला और न ही अलार्म बजा।
ब्लैक लिस्ट हो दोषी कंपनी
स्मार्ट मीटर में तमाम खामियों को पहले से उठाते रहे उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने रिपोर्ट आने के बाद स्मार्ट मीटर परियोजना से जुड़े मीटर निर्माता व लगाने वाली कंपनियों को ब्लैक लिस्ट करने की मांग की है। परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि जन्माष्टमी पर लाखों विद्युत उपभोक्ताओं की अचानक बत्ती गुल होने, जंपिंग मीटर की शिकायत की एसटीएफ से कराई गई जांच पर भी कड़ी कार्रवाई की जाए। स्मार्ट मीटर में नेटवर्क की समस्या सामने आने पर वर्मा ने कहा कि वह पहले ही कहते रहे हैं कि 3जी में न बदलने पर मीटर सही से काम नहीं करेंगे।
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