जब सेना के दरवाजे महिलाओं के लिए खुल चुके हैं तो सैनिक स्कूलों के क्यों नहीं। ये सवाल लंबे समय से लोगों के जहन में था। अब देश के रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाईक ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि देश के सभी सैनिक स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2021-22 से बालिका कैडेट्स को दाखिला दिया जाएगा।
इससे पहले शैक्षणिक सत्र 2018-19 में पहली बार मिजोरम के सैनिक स्कूल छिंगछिप में छठवीं कक्षा में 54 बालकों के साथ 6 बालिका कैडेट्स को प्रवेश दिया गया था। इस पायलट परियोजना की सफलता के बाद केंद्र सरकार ने शैक्षणिक सत्र 2021-22 से सभी सैनिक विद्यालयों में बालक कैडेट्स के साथ बालिका कैडेट्स को भी प्रवेश देने का फैसला किया है। इसके साथ ही सरकार एनजीओ, निजी स्कूलों और राज्य सरकारों के साथ मिलकर देश में सैनिक स्कूलों की स्थापना के लिए एक नई योजना लाने की तैयारी कर रही है।
कब होता है दाखिला
सैनिक स्कूलों में कक्षा छह व नौवीं के दौरान ही दाखिला दिया जाता है। इस दौरान बच्चे की आयु 10 से 12 वर्ष और 13 से 15 वर्ष होनी चाहिए। सैनिक स्कूल में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा देनी होती है।
देश का पहला सैनिक स्कूल
1961 में महाराष्ट्र के सतारा में पहला सैनिक स्कूल खोला गया था। वहीं कुछ महीने बाद चार और स्कूल हरियाणा के कुंजपुरा, गुजरात के बालाचडी, पंजाब के कपूरथला और राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में खोले गए थे।
सैनिक स्कूल का उद्देश्य
सैनिक स्कूल की स्थापना करने का उद्देश्य नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) और इंडियन नेवल एकेडमी (आईएनए) के लिए छात्रों को तैयार करना था। अभी तक एनडीए और आईएनए में भी सिर्फ लड़कों को ही प्रवेश दिया जाता था, लेकिन अब वहां भी लड़कियों को प्रवेश मिलने लगा है।
आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी कानपुर रोड पर अमौसी के पास सैनिक स्कूल है। जहां से निकले कई छात्रों ने देश का मान बढ़ाया है।
कैसे मिलता है एडमिशन
फिलहाल देश में कुल 33 सैनिक स्कूल्स हैं। इन्हें रक्षा मंत्रालय के अधीन सैनिक स्कूल्स सोसायटी द्वारा संचालित किया जाता है। इनमें एडमिशन के लिए ऑल इंडिया सैनिक स्कूल्स एंट्रेंस एग्जाम (AISSEE) होता है, जिसे नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) आयोजित करती है।
टीम स्टेट टुडे
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