गोरखपुर, 23 अप्रैल 2022 : 'धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर की आवाज उतनी ही आनी चाहिए, जिससे किसी को असुविधा न हो'। यह निर्देश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश भर के लिए जारी करने के साथ बतौर गोरक्षपीठाधीश्वर पीठ और उससे जुड़े मंदिरों में लागू भी कर दिया है। गोरखनाथ मंदिर सहित उससे जुड़े सभी मंदिरों में लगे लाउडस्पीकर की आवाज कम कर दी गई है। अब गोरखनाथ मंदिर में बजने वाले भजन की आवाज मंदिर परिसर से बाहर नहीं जा रही है।
सुबह साढ़े तीन तो शाम को ढाई घंटे परिसर में गूंजते हैं भजन
सभी मंदिरों में भजनों की गूंज अब परिसर से बाहर नहीं जा रही है। उसे ध्वनि प्रदूषण के मानक स्तर से कम कर दिया गया है। मंदिर प्रबंधन के मुताबिक भजन बजाने वाले को इस बाबत सख्त निर्देश दे दिया गया है।
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद ध्वनि के मानक पर बजने लगे भजन
गोरखनाथ मंदिर और जिले में उससे जुड़े मानसरोवर मंदिर, मंगला माता मंदिर, रामजानकी मंदिर, सोनबरसा मंदिर में प्रतिदिन सुबह चार से साढ़े सात बजे यानी साढ़े तीन घंटे तक और शाम को पांच से साढ़े सात बजे यानी ढाई घंटे तक लाउडस्पीकर से भजन बजाया जाता है। माहौल में भक्ति भाव घोलने के लिए भजनों की गूंज ध्वनि प्रदूषण के मानक से काफी अधिक रहती थी।
अन्य धार्मिक स्थलों के लिए प्रस्तुत किया उदाहरण
गुरुवार को जब उन्होंने इस आवाज को कम रखने का निर्देश प्रदेश भर के धार्मिक स्थलों के लिए जारी किया तो उसे गोरक्षपीठ पर भी पूरी सख्ती से लागू करके अन्य धार्मिक स्थलों के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया। मंदिर प्रबंधन के मुताबिक अब भजनों की गूंज मंदिर परिसर से बाहर नहीं जा रही।
45 डेसीबल के आसपास ही रखा जा रहा है ध्वनि प्रदूषण
उसे ध्वनि प्रदूषण के सामान्य स्तर 45 डेसीबल के आसपास ही रखा जा रहा है। ऐसा गोरक्षपीठ से जुड़े मंदिरों में सुनिश्चित किया जा रहा है। अब किसी भी धार्मिक स्थल पर नया लाउडस्पीकर न लगने पाए, यह भी मुख्यमंत्री का निर्देश है।
सांसद रविकिशन ने की मुख्यमंत्री की सराहना
सांसद रवि किशन ने बिना अनुमति जुलूस न निकालने और धर्मस्थलों पर लाउडस्पीकर की आवाज धीमी करने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल सराहनीय बताया है। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री ने गोरखनाथ मंदिर और नाथ पीठ से जुड़े अन्य मंदिरों में लाउडस्पीकर की आवाज करवा कर समूचे प्रदेश के लिए मिसाल पेश की है। मुख्यमंत्री का यह निर्णय वर्तमान स्थित को देखते हुए अति आवश्यक था। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वह इस निर्णय को धर्म के चश्मे न देखें। लोगों की सुविधा के नजरिए से देखें। अनावश्यक तेज आवाज से बहुत से लोगों को काफी परेशानी होती है। ध्वनि प्रदूषण के मानक का भी उल्लंघन होता है।
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