वाराणसी, 19 मई 2022 : श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रांगण में ज्ञानवापी मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट गुरुवार को विशेष एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह ने सिविल जज (सीनियर डिविजन) की कोर्ट को सौंप दी है। इस रिपोर्ट से भी जो बात सामने आई है उसमें दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद के बेसमेंट की दीवारों पर सनातन संस्कृति के चिन्ह मौजूद हैं।
ज्ञानवापी मस्जिद तथा शृंगार गौरी मंदिर प्रांगण के विवाद को लेकर सर्वे में यह भी सामने आया है कि वहां पर मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि मस्जिद में लगा फव्वारा करीब बीस वर्ष से बंद पड़ा है। विशेष एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह ज्ञानवापी मस्जिद में अब तक हुए सर्वे की रिपोर्ट सिविल जज (सीनियर डिविजन) की अदालत में सौंपी। अब इस पर सुनवाई होनी है। इस प्रकरण में दायर दो अन्य लंबित प्रार्थना पत्रों पर भी सुनवाई होगी। पहले प्रार्थना पत्र में तीन महिला पक्षकारों ने मस्जिद के तहखाने में रखे मलबे व कमरेनुमा संरचना की दीवार हटाकर सर्वे कराने मांग की है। दूसरे प्रार्थना पत्र में जिला शासकीय अधिवक्ता महेंद्र प्रसाद पांडेय ने वजूखाने की मछलियों को स्थानांतरित करने का आदेश देने की मांग अदालत से की है।
पूर्व एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने कार्यवाही के दौरान वादी से यह जानने की कोशिश भी की थी कि मस्जिद परिसर की पश्चिमी दीवार की बैरिकेडिंग के बाहर सिंदूर लगी तीन से चार कलाकृतियां व शिलापट्ट शृंगार गौरी हैं या नहीं। उन्हें बताया गया कि यह शृंगार गौरी मंदिर की चौखट का अवशेष है। बैरिकेडिंग के अंदर मुख्य मंदिर या उसके अवशेष तक जाना प्रतिबंधित है, इसलिए उनकी कलाकृति के प्रतीक को फिलहाल शृंगार गौरी मानकर पूजते हैं।
वाराणसी में 18 अगस्त, 2021 को पांच महिलाओं राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास व रेखा पाठक ने सिविल जज (सीनियर डिविजन) की अदालत में वाद दायर कर मां शृंगार गौरी के दैनिक दर्शन-पूजन की अनुमति देने व अन्य विग्रहों को संरक्षित करने की अपील की थी। वाद में कहा गया था कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मस्जिद की पश्चिमी दीवार के पीछे प्राचीन काल से मौजूद देवी मां शृंगार गौरी की छवि है। आठ अप्रैल 2022 को सिविल जज ने अजय कुमार मिश्र को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करते हुए कार्यवाही की रिपोर्ट देने को कहा था। एडवोकेट कमिश्नर ने कमीशन की कार्यवाही के लिए छह व सात मई की तिथि निर्धारित की थी। छह मई को दिन में 3.30 से 5.45 तक सर्वे हुआ था। सात मई को मस्जिद पक्ष के विरोध और बड़ी संख्या में नमाजियों के जुट जाने की वजह से कार्यवाही नहीं हो पाई थी।
सर्वे रिपोर्ट की बड़ी बातें : मस्जिद के भीतर हाथी के सूंड़, त्रिशूल, पान, घंटियां दिखीं। मुख्य गुंबद के नीचे दक्षिणी खंभे पर स्वास्तिक का चिन्ह मिला। मस्जिद के प्रथम गेट के पास तीन डमरू के चिन्ह मिले। उत्तर-पश्चिम दिशा में 15 गुणे 15 फीट का एक तहखाना दिखा, जिसके ऊपर मलबा पड़ा था, वहां पड़े पत्थरों पर मन्दिर जैसी कलाकृतियां दिखीं। 3 फीट गहरा कुंड मिला। कुंड के चौतरफा 30 टोटियां लगी थीं। कुंड के बीच में लगभग 6 फीट गहरा कुआं दिखा। कुआं के बीचोबीच गोल पत्थरनुमा आकृति दिखी। बाहर विराजमान नंदी और अंदर मिले कुंड (जिसके बीचोबीच एक पक्ष द्वारा शिवलिंग स्थापित बताया गया) के बीच की दूरी 8 फीट 3 इंच है। कुंड के बीचोबीच स्थित पत्थर की गोलाकार आकृति (जिसे एक पक्ष द्वारा शिवलिंग कहा गया है) में सींक डालने पर 63 सेंटीमीटर गहराई पाई गई। पत्थर की गोलाकार आकृति के बेस का व्यास 4 फीट पाया गया।
ज्ञानवापी शृंगार गौरी प्रकरण में मुकदमे की वादी रेखा पाठक, मंजू व्यास, सीता साहू ने मस्जिद के तहखाने में रखे मलबे व कमरेनुमा संरचना की दीवार हटाकर सर्वे कराने मांग की है। वहीं शासकीय अधिवक्ता महेंद्र प्रसाद पांडेय की ओर से वजूखाने में मौजूद मछलियों को स्थानांतरित करने समेत अन्य मांग संबंधित प्रार्थना पत्र पर भी सुनवाई नहीं हुई।
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