वोटबैंक की राजनीति में उलझी सियासत का फायदा उठाकर भारत में रहने वाला मुस्लिम तबका दे-दनादन बच्चे पैदा करता है। अच्छे नागरिक बनाना तो दूर की बात हर तरह के अपराध, आतंकी घटनाओं और काले कारनामों में इन्हीं का नाम आता है। अल्पसंख्यक खुद को समाज में पिछड़ा भी बताता है। सारी सरकारी योजनाओं का लाभ भी लेता है और सरकार के बनाए कानूनों को तोड़ना और उसके खिलाफ धरना प्रदर्शन भी यही करता है। इतना सब करने के बाद भारत में लगातार आबादी का बोझ बढ़ाने वाला अल्पसंख्यक समुदाय गरीबी का रोना भी रोता है।
अब असम के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने अल्पसंख्यक समुदाय से गरीबी कम करने के लिए जनसंख्या नियंत्रण के लिए "सभ्य परिवार नियोजन नीति" अपनाने का आग्रह किया है। सीएम ने कहा कि समुदाय के सभी हितधारकों को आगे आना चाहिए। समुदाय में गरीबी को कम करने में सरकार का समर्थन करना चाहिए, जो मुख्य रूप से जनसंख्या में निरंतर वृद्धि के कारण है।
उन्होंने कहा कि सरकार सभी गरीब लोगों की संरक्षक है, लेकिन उसे जनसंख्या वृद्धि के मुद्दे से निपटने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय के समर्थन की जरूरत है जो गरीबी, अशिक्षा और उचित परिवार नियोजन की कमी का मूल कारण है। सरमा ने कहा कि उनकी सरकार समुदाय की महिलाओं को शिक्षित करने की दिशा में काम करेगी, ताकि गरीबी की समस्या से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।
सरमा ने कहा कि सरकार मंदिर, सतरा और वन भूमि पर अतिक्रमण नहीं होने दे सकती है। अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों ने भी सरकार को आश्वासन दिया है कि वे इन जमीनों का अतिक्रमण नहीं चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं से आत्मनिरीक्षण करने और लोगों को जनसंख्या नियंत्रण का अभ्यास करने के लिए प्रोत्साहित करने का आग्रह किया।
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा भले ही मुस्लिमों को अल्पसंख्यक कह रहे हैं, लेकिन राज्य के कई जिलों में यह समुदाय बहुसंख्यक हो चुका है। असम के बारपेटा, करीमगंज, मोरीगांव, बोंगईगांव, नागांव, ढुबरी, हैलाकंडी, गोलपारा और डारंग मुस्लिम बहुल आबादी वाले जिले हैं। बांग्लादेशी मुस्लिमों की घुसपैठ के चलते राज्य के कई क्षेत्रों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं।
इससे पहले कुछ दिनों पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने प्रस्तावित गो-संरक्षण बिल का बचाव करते हुए कहा था कि हमें उन स्थानों पर गो-मांस नहीं खाना चाहिए जहां हिंदू रहते हैं। गाय हमारी माता है। हम चाहते हैं कि पश्चिम बंगाल से मवेशी न आएं। हम चाहते हैं कि गो-मांस वहां न खाया जाए, जहां हिंदू रहते हैं। चूंकि हिंदू गायों की पूजा करते हैं, इसलिए उनकी शंकाओं का निवारण होना चाहिए।
हेमंत सरमा इससे पहले सर्वानंद सोनोवाल की सरकार में शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्री थे। सरमा ने बतौर शिक्षा मंत्री असम में मदरसों को बंद करने का अहम फैसला किया था।
वो लगातार मदरसों को सामान्य स्कूलों की तरह चलाने की वकालत करते रहे हैं। उन्होंने कहा था-आखिर मदरसा क्यों चाहिए? हम स्कूल-कॉलेज देंगे, आप बच्चों को डॉक्टर-इंजीनियर बनाओ।
टीम स्टेट टुडे
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