इजरायल दुनिया का एक ऐसा देश है जो चारों तरफ दुश्मनों से घिरा है। देशभक्त जनता, उन्नत तकनीक और हौसले के दम पर यहूदियों का यह छोटा सा साम्राज्य खुद को महफूज रखने और आगे बढ़ने के अदम्य साहस का शानदार उदाहरण पेश करता है।
हमास के आतंकियों ने जो किया उसका खामियाजा फिलीस्तीन और गाजा पट्टी भुगत रही है। मानवाधिकार से जुड़े छोटे-बड़े प्यादे त्राहिमाम मचाए हैं। अन्तर्राष्ट्रीय दबाव ऐसा है कि इजरायल का सबसे निकट सहयोगी अमेरिका भी बीच-बीच में डोलने लगता है। फिर भी, इजरायल को पता है कि उसे क्या करना है और कब तक करना है। दरअसल फिलिस्तीन की जनता दुनिया के उस रक्तबीज का हिस्सा है जिसने अपनी आबादी और आतंक के दम पर कई देशों की सभ्यताओं को नष्ट कर दिया।
दुनिया की आबादी का एक ऐसा हिस्सा जो हमेशा हर जगह खुद को गरीब, भुखमरी से जूझता हुआ, मदद की दरकार रखने वाला और खुद पर जुल्मो सितम की इंतहा का दिखाता ही रहता है। जबकि, हकीकत दोगली है। खुद के अलावा पूरी दुनिया को काफिर मानने वाला यह समुदाय हर दौर में अपनी हिंसक प्रवृतियों के कारण मानव सभ्यता को नुकसान ही पहुंचाता आया है।
इजरायल एक तरफ फिलिस्तीन से जूझ रहा था तो दूसरी तरफ ईरान ने भी उस पर कुछ पुराना उधार बताते हुए राकेट और ड्रोन से भरपूर हमला कर दिया। फिर खबर आई कि ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के हेलिकॉप्टर क्रैश में मारे गए। हेलीकाप्टर घने कोहरे के कारण क्रैश हुआ।
रईसी के हेलीकाप्टर क्रैश का सच जब सामने आएगा तब आएगा लेकिन कट्टरपंथी ईरान में रईसी को तेहरान का कसाई भी कहा जाता है।
''तेहरान का कसाई''
याई नेट न्यूज़ वेबसाइट में इब्राहिम रईसी के उभार की कहानी बताई गई है और इस रिपोर्ट को 'तेहरान का कसाई' शीर्षक दिया गया है।
एक दूसरी रिपोर्ट में वेबसाइट ने शीर्षक दिया है- ईरान के सबसे नफ़रती आदमी की मौत।
इस ओपिनियन पीस में लिखा गया है कि रईसी की मौत पर कोई सच्चा आंसू आंख से नहीं गिरेगा। ईरान-इराक़ युद्ध के दौरान मचाए क़त्ल-ए-आम के कारण पुरानी पीढ़ी के मन में रईसी को लेकर ख़ौफ है।
रिपोर्ट में लिखा गया है कि हिजाब को लेकर की गई सख़्ती के कारण महिलाएं रईसी से नफ़रत करती हैं और ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड ने भी उनसे दूरी बना रखी थी।
कहने वाले तो यहां तक कह रहे हैं कि राष्ट्रभक्त से भरे इजरायल के लोग मरने के बाद भी अपने देश की हिफाजत करते हैं। उनकी पवित्र आत्माएं दुश्मन पर घात लगाए रहती है और मौका मिलते ही दुश्मन का सफाया कर देती हैं।
फिर भी, इजरायल में एक तबका ऐसा पनप चुका है जिसे अपने ही देश की सरकार के खिलाफ विद्रोह में आनंद आ रहा है। इनका दखल इस कदर बढ़ा है कि बेन्यामिन नेतन्याहू को ना सिर्फ चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था बल्कि इजरायल की कमान एक ऐसे व्यक्ति के हाथ में चली गई थी जो अरब के इशारे पर इजरायल को चला रहा था।
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