हार-सिंगार-फैशन-फिल्म-शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे किसी भी क्षेत्र में पश्चिमी देशों की तरफ देखने के शौकीन लोगों के लिए ये खबर झटका हो सकती है। दरअसल जिन कृषि कानूनों पर बीते कई महीनों से आंदोलन के बाद गणतंत्र दिवस पर दिल्ली को घमासान मैदान बना दिया गया अब उन कानूनों की तारीफ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की तरफ से आई है। जाहिर है सरकार अपनी पीठ थपथपाएगी लेकिन कृषि कानूनों को लेकर ये टिप्पणी जिस मोड़ पर आई है वो दिलचस्प है।
दरअसल अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा है कि भारत के नए कृषि कानूनों में किसानों की आय बढ़ाने की क्षमता है, लेकिन साथ ही कमजोर किसानों को सामाजिक सुरक्षा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि को सुधारों की जरूरत है।
गोपीनाथ ने कहा कि बुनियादी ढांचा समेत ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां सुधारों की जरूरत है। भारत सरकार ने पिछले साल सितंबर में तीन कृषि कानूनों को लागू किया था और इन्हें कृषि क्षेत्र में बड़े सुधारों के रूप में पेश किया जो बिचौलियों को खत्म करेंगे और किसानों को देश में कहीं भी अपनी उपज बेचने की आजादी देंगे।
आईएमएफ की नजर में क्या है नए कृषि कानून
एक सवाल के जवाब में अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने नए कृषि कानूनों पर कहा कि 'ये कृषि कानून खासतौर से विपणन क्षेत्र से संबंधित हैं। इनसे किसानों के लिए बाजार बड़ा हो रहा है। अब वे बिना कर चुकाए मंडियों के अलावा विभिन्न स्थानों पर भी अपनी पैदावार बेच सकेंगे। हमारा मानना है कि इसमें किसानों की आय बढ़ाने की क्षमता है।'
उन्होंने कहा, 'जब भी कोई सुधार किया जाता है तो उससे होने वाले बदलाव की कीमत होती है। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इससे कमजोर किसानों को नुकसान न पहुंचे। यह सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराई जा सकती है। अभी एक फैसला किया गया है और देखना होगा कि इसका क्या नतीजा सामने आता है।'
आपको बता दें कि आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ भारत के केरल राज्य से ताल्लुक रखती हैं। केबीसी में अमिताभ बच्चन ने जब इनकी तस्वीर दिखा कर प्रतिभागी से इनका परिचय पूछा तो गीता अचानक लाइम-लाइट में आईं।
टीम स्टेट टुडे
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