रायबरेली, 26 फरवरी 2023 : कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन में शनिवार को सोनिया गांधी के एक बयान से राजनीतिक हलचल बढ़ गई। अपने राजनीतिक सफर को लेकर दिए गए बयान के अलग-अलग अर्थ निकाले जा रहे हैं। सवाल ये भी उठने लगे हैं कि क्या वह 2024 का चुनाव नहीं लड़ेंगी ? हालांकि कांग्रेस का एक बड़ा खेमा इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है। कांग्रेसियों का साफ कहना है कि अभी 2024 में लंबा समय है, अभी उनके बयान को कोई ऐसा कोई भी अर्थ निकालना गलत है। यदि ऐसी कोई संभावना बनती भी है तो रायबरेली गांधी परिवार की सीट है, इस पर चाहे प्रियंका लड़े य राहुल।
2019 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सोनिया यहां सिर्फ दो बार आई हैं। दो दशकों में पहली बार ऐसा हुआ कि वह तीन वर्षों से अपने संसदीय क्षेत्र में नहीं आई हैं। उनके न आने की वजह को लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे हैं। विरोधी इसकी वजह बताते रहे हैं कि अमेठी की हार और रायबरेली में कम अंतर से जीत ने गांधी परिवार के विश्वास को हिला दिया है। हालांकि, जो लोग कांग्रेस की राजनीति को भली भांति समझते हैं, उनका पहले से ही मानना था कि गांधी परिवार अब की बार रायबरेली में अपना चेहरा बदल सकता है। सोनिया ने इसी परिप्रेक्ष्य में रायपुर अधिवेशन में अपनी बात रखी, जिसके बाद स्थानीय कांग्रेस के रणनीतिकारों की बात सही कही जा रही है उनकी मानें तो यहां गांधी परिवार से ही राहुल या प्रियंका चुनाव मैदान में उतर सकती हैं।
पहला विकल्प- राहुल गांधी
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और 2004 से 2019 तक अमेठी के सांसद रहे राहुल गांधी के लिए रायबरेली सबसे मुफीद सीट हो सकती है। भारत जोड़ो यात्रा करने के बाद से राहुल की छवि में बड़ा बदलाव दिख रहा है। यूपी में भले ही भारत जोड़ों यात्रा महज तीन सीटों तक सीमित रही हो, पर 2024 में राहुल यदि रायबरेली से चुनाव लड़ते हैं तो पार्टी के लिए यह संजीवनी हो सकती है। ऐसा बेजोड़ काडर वाले रायबरेली संगठन का मानना है।
अच्छा विकल्प-प्रियंका गांधी
इंदिरा गांधी की छवि प्रियंका में देखने वाले कांग्रेसी उन्हें सोनिया गांधी का सबसे बेहतरीन विकल्प मान रहे हैं। 2019 से ही प्रियंका गांधी को रायबरेली से लड़ाने की मांग हो रही है। 1999 के लोकसभा चुनाव से प्रियंका रायबरेली में सक्रिय रही हैं। उनके लिए लोकसभा में जाने का रायबरेली से बेहतर कोई दूसरा संसदीय क्षेत्र नहीं होगा, ऐसा वरिष्ठ कांग्रेसियों का मानना है।
1952 से अब तक यहां सिर्फ तीन बार दूसरे दलों के नेता सांसद चुने गए। फीरोज गांधी और इंदिरा गांधी रायबरेली से जीतकर लोकसभा जाते रहे। साल 1977 में इंदिरा गांधी यहां से चुनाव हार गई थी, लेकिन वह दोबारा मैदान में उतरीं और जीती। बाद में रायबरेली की सीट छोड़ दी थी और अरुण नेहरू सांसद बने थे। 1999 में कैप्टन सतीश शर्मा रायबरेली से चुनाव जीते। 2019 में सोनिया गांधी लगातार पांचवीं बार सांसद चुनी गई हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता विनय द्विवेदी ने कहा कि रायबरेली में विकास के नाम पर जो भी कुछ हुआ, वह सिर्फ और सिर्फ गांधी परिवार की देन है। रायबरेली और अमेठी से कौन चुनाव लड़ेगा, इस बात का निर्णय हाईकमान करेगा।
सांसद प्रतिनिधि केएल शर्मा के अनुसार‘यह गांधी परिवार की सीट है। सोनिया जी का बयान रायबरेली के संदर्भ में नहीं है। बयान राष्ट्रीय राजनीति पर है। खड़गे जी ने अभी कोई टिकट तो घोषित किया नहीं। डेढ़ साल पहले यह कैसे कहा जा सकता है कि कौन लड़ेगा। बीजेपी से कौन लड़ेगा, क्या अभी से कोई कह सकता है। विपक्ष चाहे जिसे उम्मीदवार बना ले, रायबरेली की जनता कांग्रेस को ही जिताती है।
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