वाराणसी, 07 नवम्बर 2022 : शिव की काशीमें सोमवार कोभव्य देव दीपावलीमनाई जा रहीहै। उत्तर वाहिनीगंगा के 84 घाटोंपर सजी दीपोंकी शृंखला भगवानशिव की काशीके गले काकंठहार बनकर आलौकिकलग रही थी।घाटों पर आरतीऔर घण्टा घड़ियालोंसे देवताओं कास्वागत हुआ।
राम कीनगरी अयोध्या कीदीपावली के बादशिव की काशीमें भव्य देवदीपावली मनाई गई।उत्तर वाहिनी गंगाके 84 घाटों परसजी दीपों कीशृंखला भगवान शिव कीकाशी के गलेका कंठहार बनकरआलौकिक लग रहीथी। घाटों परआरती और घण्टाघड़ियालों से देवताओंका स्वागत हुआ।
देव दीपावलीका अलग-अलगरंग हर घाटपर बिखरा था।कहीं लेजर शो, तो कही इलेक्ट्रिकआतिशबाजी देखने को मिली।इंडिया गेट कीरिप्लिका पर जवानोंको श्रद्धांजलि भीदी गई। देवदीपावली पर मांगंगा की महाआरतीमें नारी शक्तिकी एक अद्भुततस्वीर भी दिखी।
सूर्य अस्त होतेहुए वाराणसी के 84 घाटों पर जगमगातेदिए ऐसे लगरहे थे मानोंतारें जमीन परउतर आए है।काशी के अर्धचंद्राकारघाटों पर 15 लाखसे अधिक दियोंका एक साथजलना एक अद्भुतनजारा था। हरघाट का अपनाअलग आकर्षण था।सभी घाटों केअपने अलग रंगथे। चेत सिंहघाट पर लेजरशो ने लोगोको मंत्र मुग्धकिया।
अध्यात्म के साथही राष्ट्रीयता कासंदेश देता हुआये धार्मिक पर्वदिखा। दशाश्वमेध घाटपर इंडिया गेटकी रेप्लिका बनीथी। यहां देशके वीर शहीदजवानों को सेनाके लोगो नेश्रद्धांजलि दी। लगभगसभी घाटों परधार्मिक आयोजन हुए, धार्मिककलाकृति देखने को मिली।घाटों पर सांस्कृतिककार्यक्रम का भीआयोजन हुआ। गंगाके उस पारभी रेत परलाखो की संख्यामें दीप जलाएगए। साथ हीकाशी के कुंडऔर तालाबों परभी दीप जलाकरदेव दीपावली मनाईगई।
दीपावली के 15 दिनोंके बाद कार्तिकपूर्णिमा पर देवताओंकी दीपावली मनाईजाती है। देवदीपावली का वर्णनशिव पुराण मेंमिलता है। कार्तिकमास में त्रिपुरासुरनामक राक्षस नेदेवताओं पर अत्याचारशुरू किया तबभगवान विष्णु नेइस क्रूर राक्षसका वध इसीदिन किया था। देवताओंने इसी दिनदीपावली मनाई थी।
एक ऐसीभी मान्यता हैकी काशी नरेशने अपने शहीदसैनिकों के लिएघाटों पर दिपप्रज्वलन की प्रथाशुरू की थी।ऐसी भी मान्यताहै की रानीअहिल्या बाई होल्करद्वारा पंच गंगाघाट से देवदीपावली की शुरुआतकी गई थी।
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