नई दिल्ली, 20 जनवरी 2022 : भारतीय बाल कल्याण परिषद (ICCW) द्वारा बहादुर बच्चों को 65 साल से प्रतिवर्ष दिए जा रहे राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार विवादों में घिरने के बावजूद इस बार भी दिए जाएंगे। हालांकि अबकी बार एक ही साथ तीन वर्षों के 56 बच्चों को पुरस्कृत किया जाएगा। कोरोना की वजह से लगातार दो साल यह पुरस्कार वितरण हो नहीं पाया था।
56 बच्चों को दिए जाएंगे पुरस्कार
शुक्रवार को परिषद की आजीवन संरक्षक व पूर्व अध्यक्ष गीता सिद्दार्थ ने प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी। वर्ष 2020 के लिए 22, 2021 के लिए 16 और 2022 के लिए 18 बच्चों का चयन किया गया है। दो बच्चों को यह पुरस्कार मरणोपरांत दिया जा रहा है। सभी बच्चे अलग अलग 17 राज्यों से हैं। इन सभी बच्चों को मेडल, प्रशस्ति पत्र और नगद राशि दी जाएगी। हालांकि इन बच्चों को यह पुरस्कार कब और किसके हाथों दिए जाएंगे, इसे लेकर अभी कुछ स्पष्ट नहीं है।
छह श्रेणी में होगा पुरस्कार का वितरण
गीता ने बताया कि भारत पुरस्कार के तहत परिषद की ओर से एक लाख रुपये की राशि प्रदान की जाती है। मार्कंडेय, प्रहलाद, एकलव्य, अभिमन्यु, श्रवण, ध्रुव पुरस्कार के तहत 75 हजार रुपये जबकि शेष सामान्य श्रेणी में 40 हजार रुपये की राशि दी जाएगी।
केंद्र ने खुद को किया अलग
मालूम हो कि 2018 तक परिषद द्वारा चुने गए बच्चों को यह पुरस्कार जहां प्रधानमंत्री के हाथों मिलता था। वहीं, इन्हें गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का मौका भी मिलता था, लेकिन 2019 में आइसीसीडब्ल्यू पर लगे वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपों के बाद केंद्र सरकार ने स्वयं को इन पुरस्कारों से अलग कर लिया। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अलग से अपने पुरस्कार देता है। सरकारी स्तर पर अलगाव के बाद परिषद ने अपने पुरस्कारों के नाम भी बापू गयाधनी, संजय चोपड़ा, गीता चोपड़ा की बजाय मार्कंडेय, ध्रुव एवं प्रह्लाद अवार्ड कर दिया है।
अब तक 1060 बच्चे सम्मानीत
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कारों की शुरुआत भारतीय बाल कल्याण परिषद द्वारा 1957 में बच्चों के बहादुरी और मेधावी सेवा के उत्कृष्ट कार्यों के लिए पहचानने और दूसरों के लिए उदाहरण बनने और अनुकरण करने के लिए प्रेरित करने के लिए की गई थी। आईसीसीडब्ल्यू ने अब तक 1,060 बच्चों को पुरस्कार के साथ सम्मानित किया है, जिसमें 742 लड़के और 318 लड़कियां शामिल हैं। प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक पदक, एक प्रमाण पत्र और नकद मिलता है। मालूम हो कि चयनित बच्चों को तब तक वित्तीय सहायता प्राप्त होती है, जब तक कि वे स्नातक पूरा नहीं कर लेते हैं। इंजीनियरिंग और चिकित्सा जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए चयन करने वालों को छात्रवृत्ति योजनाओं के माध्यम से वित्तीय सहायता मिलती है।
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