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अल्पसंख्यक का चोला पहने पहने देश की लगभग एक चौथाई आबादी बन चुका भारत में रहने वाला मुस्लिम तबका जिस थाली में खा रहा है उसी में छेद कर रहा है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से गिरफ्तार अलकायदा के आतंकियों की मदद के लिए अब ऐसे संगठन आगे आ रहे हैं जो सफेदपोश रहकर भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के देवबंद में जमीयत उलमा-ए-हिंद ने लखनऊ से गिरफ्तार किए गए अलकायदा के दो आतंकियों मुसीरुद्दीन और मिनहाज का केस लड़ने का एलान किया है। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने गिरफ्तार किए गए दोनों आतंकियों के दिल्ली में रह रहे परिवारों से संपर्क साधा है।
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जमीयत उलेमा कानूनी इमदाद कमेटी के अध्यक्ष गुलज़ार आज़मी के मुताबिक आरोपियों के परिजनों की तरफ से कानूनी सहायता मांगी गई है। जमीयत उलमा-ए-हिंद अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के आदेश पर आरोपियों को कानूनी सहायता दी जाएगी।
यहां आपको बताते चलें कि भारत के कानून के मुताबिक बड़े से बड़ा गुनाह करने वाला भी अगर अपनी कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए सक्षम नहीं है तो सरकार की तरफ से उसे वकील मुहैया कराया जाता है। लेकिन इस मामले में जिस तरह जमीयत उलमा ए हिंद से मदद मांगी गई और जमीयत तुरंत मुकदमा लड़ने को तैयार हुई है उससे साफ है कि देवबंद समेत देश के तमाम मुस्लिम संगठन ना सिर्फ आतंकियों के मददगार बनने को तैयार हैं बल्कि जानकार कह रहे हैं कि ये सब एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं।
जमीयत उलमा ए हिंद ने आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त आरोपियों के बचाव में एडवोकेट फुरकान खान को नियुक्त किया गया है और उन्हें निर्देश दिया गया है कि वह अदालत से मुकदमे से संबधित दस्तावेजों को निकालें जिसमें रिमांड रिपोर्ट, एफआईआर की प्रति व अन्य कागजात शामिल हैं।
इसके साथ ही लखनऊ के प्रसिद्ध और वरिष्ठ एडवोकेट मुहम्मद शुऐब ने भी जमीयत उलमा से आरोपियों का मुक़दमा लड़ने का अनुरोध किया था।
जमीयत उलमा ए हिंद और मौलाना सैयद अरशद मदनी की एक पहचान आतंकवाद के आरोपों में पकड़े गए युवकों को छुड़ाने की भी रही है। दरअसल भारत विरोधी गतिविधियों में कौम के नाम पर बरगलाने वाले इसी प्रकार के लोग ना सिर्फ सीधे साधे मुसलमान युवकों का ब्रेन वाश कर उन्हें आतंकवाद के रास्ते पर ढकलते हैं बल्कि जब वो पकड़े जाते हैं तो मुस्लिम कौम के नाम पर कट्टरता को बढ़ाते हुए तरह तरह के फंड विदेशी मुल्कों से भी हासिल करते हैं।
दरअसल विदेशों में बैठे इनके आका जब प्लान बनाते हैं तो हर पहलू पर विचार करते हैं। चूंकि अब भारत में स्लीपर सेल के रुप में मुस्लिम जमात के कई युवक गुमराही के रास्ते पर ढकेले जा चुके हैं इसलिए उनका रक्षा कवच जमीयत उलमा ए हिंद जैसे संगठनों के रुप में तैयार किया गया है। जो भारत में अपनी सफेदपोश बनकर रहते हैं।
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कड़ी दर कड़ी जोड़ रही एटीएस
एटीएस की ताबड़तोड़ धरपकड़ जारी है। चार दिन में पांच आतंकी और उनके मददगार पकड़े गए हैं। अलकायदा से जुड़े पांच संदिग्ध आतंकियों मिनहाज, मसीरूद्दीन, मुस्तकीम, मुईद और शकील इस समय एटीएस के कब्जे में हैं। मिनहाज अहमद इनका लीडर था। वहीं अन्य चारों को आतंक फैलाने के लिए बरगला रहा था। ये सभी मिनहाज की खदरा स्थित बैटरी की दुकान बैठक करते थे। जब दुकान में पांचों एक साथ होते थे तो वहां काम करने वाले कर्मचारियों को यह निर्देश होता था कि किसी को अंदर न आने दिया जाए। पांचों की बैठक खत्म होने के बाद ही दुकान में किसी को अंदर आने दिया जाता था।
एटीएस की गिरफ्त में आए लखनऊ के पांचों संदिग्ध आतंकी एक-दूसरे से सीधे जुड़े थे। ये लोग खदरा में मिनहाज की बैटरी की दुकान पर आतंकी वारदात के बारे में चर्चा करते थे। असलहों और विस्फोटक की सप्लाई को लेकर यहीं से संपर्क भी किया गया था। यह खुलासा इन संदिग्धों ने एटीएस की पूछताछ में किया है।
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आतंकियों का मीटिंग प्वाइंट
मिनहाज ने एटीएस को बताया कि खदरा मिश्रित आबादी वाला इलाका है और यहां संकरी गलियों के कारण सर्वाधिक ई-रिक्शा का प्रयोग होता है। मिनहाज को पता था कि यहां निम्न आय वर्ग वाले लोगों की संख्या अधिक है। जिन्हें आसानी से अपने जाल में फंसाया जा सकता है। वह किस्तों पर बैटरी देकर लोगों से रिश्ते बनाता था। फिर अपनी आतंकी गतिविधियों को बारे में बातचीत करता था।
एटीएस के मुताबिक मिनहाज ने शकील, मुस्तकीम और मुईद से असलहे की बात की थी। तीनों की गिरफ्तारी के बाद एटीएस की पूछताछ में सामने आया कि बड़े पैमाने पर असलहा मंगाने की तैयारी थी। इसके लिए तीनों को काम पर लगा दिया गया था। शकील ने कानपुर के असलहा व विस्फोटक सप्लायर से बात कराई थी। मिनहाज ने वहीं से एक पिस्तौल और कुछ विस्फोटक सामग्री मंगाई थी। साथ ही उसने कानपुर के असलहा कारोबारी को भविष्य में और भी सामान मंगाने का आश्वासन दिया था।
एटीएस ने इनके तीन और साथी शकील, मोहम्मद मुस्तकीन और मोहम्मद मईद को भी खनऊ से ही गिरफ्तार किया है। शकील लखनऊ के बांसमंडी एलाके का रहने वाला है। मोहम्मद मईद लखनऊ के ही न्यू हैदरगंज कैंपल रोड का निवासी है। वहीं मोहम्मद मुस्तकीन मूल रूप से मुजफ्फरनगर का रहने वाला है और लखनऊ में सीतपुर रोड स्थित मदेय गंज में रह रहा है। आतंकी मिनहाज का घर केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर के घर से कुछ दूरी पर ही है।
मिनहाज ने चालीस हजार रुपये में पिस्टल खरीदी थी, जिसमें शकील की भी अहम भूमिका थी। एटीएस अधिकारियों का कहना है कि हालांकि अभी यह साफ नहीं हो सका है कि पिस्टल कहां से और किससे खरीदी गई थी।
राजधानी लखनऊ में आतंकवादी हनुमान सेतु मंदिर और अमीनाबाद में बम प्लांट करने की तैयारी कर चुके थे।
टीम स्टेट टुडे
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