कश्मीर की खूबसूरत वादियों में अपना घर अब सपना नहीं हकीकत है। आपको अब सिर्फ अपना बजट देखना है। जम्मू कश्मीर में जमीन खरीदने के लिए बैंक लोन देने को भी तैयार बैठे हैं।
क्या किया सरकार ने
केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में भूमि स्वामित्व अधिनियम संबंधी कानूनों में संशोधन कर दिया है। देश का कोई भी नागरिक अब जम्मू कश्मीर में अपने मकान, दुकान और कारोबार के लिए जमीन खरीद सकता है। उस पर कोई पाबंदी नहीं होगी।
क्या थी पहले की व्यवस्था
पांच अगस्त 2019 से पूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य की अपनी एक अलग संवैधानिक व्यवस्था थी। उस व्यवस्था में सिर्फ जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिक जिनके पास राज्य का स्थायी नागरिकता प्रमाण पत्र जिसे स्टेट सब्जैक्ट कहा जाता है, हो, वहीं जमीन खरीद सकते थे। देश के किसी अन्य भाग का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में अपने मकान, दुकान, कारोबार या खेतीबाड़ी के लिए जमीन नहीं खरीद सकता था। वह सिर्फ कुछ कानूनी औपचारिकताओं को पूरा कर पट्टे के आधार पर जमीन प्राप्त कर सकता था या किराए पर ले सकता था।
कब लिया गया है फैसला
केंद्र सरकार का यह फैसला जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य के केंद्र शासित प्रदेश के रुप में पुनर्गठित होने की पहली सालगिरह से करीब चार दिन पहले आया है।
कैसे हुआ परिवर्तन
जम्मू-कश्मीर का संविधान और कानून समाप्त होने के बावजूद भूमि स्वामित्व अधिनियम संबंधी कानून में आवश्यक सुधार पर संशोधन की प्रक्रिया को अंतिम रूप नहीं दिया गया था। केंद्रीय गृहसचिव ने बीते दिन इस मामले में आवश्यक अधिसूचना जारी कर दी। इस अधिसूचना के मुताबिक, देश के किसी भी भाग कोई भी नागरिक अब बिना किसी मुश्किल मकान-दुकान बनाने या कारोबार के लिए जमीन खरीद सकता है। इसके लिए उसे कोई डोमिसाइल या स्टेट सब्जैक्ट की औपचारिकता को पूरा करने की जरूरत नहीं है। डोमिसाइल की आवश्यक्ता सिर्फ कृषि भूमि की खरीद के लिए होगी। अभी खेती की जमीन को लेकर रोक जारी रहेगी।
जम्मू-कश्मीर में लगेंगे उद्योग
केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बताया कि बाहर की इंडस्ट्री जम्मू-कश्मीर में लगें, इसलिए इंडस्ट्रियल लैंड में इन्वेस्ट की जरूरत है। लेकिन खेती की जमीन सिर्फ फिलहाल राज्य के लोगों के लिए ही रहेगी।
क्या है ताजा स्थिति
जम्मू कश्मीर में पहले की व्यवस्थाओं में अब्दुल्ला परिवार और मुफ्ती परिवार और कांग्रेस के कई बड़े नेताओं के साथ साथ अन्य अलगाववादियों ने बेहद तगड़ा नेटवर्क बना रखा था। अगर कोई स्थानीय नागरिक भी कोई व्यवसाय या उद्योग धंधा शुरु करता था तो उसे इन लोगों को अपनी कमाई में कमीशन देना पड़ता था। चूंकि जम्मू कश्मीर में सिवाय पर्यटन के बाहरी व्यक्तियों आंदोरफ्त काफी सीमित थी इसलिए इन सभी हरकतों का पता जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35 ए हटने के बाद ही सामने आया।
लगभग एक साल तक अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार को नजरबंद रखने के बाद काफी हद तक केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में आतंक पर लगाम कसी है। लगभग एक साल में घाटी का माहौल बेहतर करने के बाद अब केंद्र सरकार ने देश के बाकी हिस्सों के आम लोगों, कारोबारियों, उद्योगपतियों के लिए जम्मू कश्मीर के द्वार खोल दिए हैं।
कश्मीरी पंडितो के लिए सुनहरा अवसर
देश के आम नागरिकों के अलावा केंद्र के इस फैसले का सबसे बड़ा असर उन कश्मीरी पंडितों पर पड़ेगा जिन्हें मुस्लिम कट्टरपथियों, जम्मू कश्मीर के अलगाववादियों ने मुफ्ती और अब्दुल्ला परिवार के साथ मिलकर रातोंरात घाटी छोड़ने पर विवश कर दिया था। हिंदू कश्मीर छोड़ दें इसके लिए बाकयदा मस्जिदों से ऐलान किया गया। कई हिंदू औरतों के साथ बलात्कार किया गया। कई हिंदू महिलाओं को जबरन आतंकियों और मुस्लिम कट्टरपंथियों ने बंधक बना लिया था। बरसों बीत गए। पीढ़ियां बदल गई लेकिन ये टीस आज भी हर हिंदुस्तानी के जहन में ताजा है।
अपना घर-द्वार छोड़ कर मुस्लिम आतंक के कारण पलायन करने को मजबूर हुए कश्मीरी पंडितों के पास ना सिर्फ घर वापसी का मौका है बल्कि अब अन्य हिंदू आबादी के लिए केंद्र सरकार ने जमीन खरीद कर कारोबार व्यापार करने का जो रास्ता बनाया है उससे जम्मू कश्मीर तरक्की की नई कहानियां भी गढ़ेगा।
चलो कश्मीर।
टीम स्टेट टुडे
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