एकता का महाकुम्भ
महाकुम्भ में पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ कल्पवास की शुरुआत
तुलसी,केला, जौं रोप कर लाखों श्रद्धालु महाकुम्भ में कर रहे कल्पवास
नियम,व्रत और संयम का पालन करते हुए पूरा होगा कल्पवास
13 जनवरी, महाकुम्भ नगर। सनातन आस्था के महापर्व महाकुम्भ की शुरुआत, तीर्थराज प्रयागराज के संगम तट पर पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ शुरू हो गई है। भारत की सांस्कृतिक विविधता में आध्यात्मिक एकता का मनोरम दृश्य संगम तट पर देखने को मिल रहा है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आस्था की डोर में बंधे गंगा, यमुना, सरस्वती के पवित्र त्रिवेणी संगम में अमृत स्नान करने करोड़ों की संख्या में आ रहे हैं। इसके साथ ही महाकुम्भ की विशिष्ट परंपरा कल्पवास की भी शुरुआत हो गई है। पद्म पुराण और महाभारत के अनुसार संगम तट पर माघ मास में कल्पवास करने से सौ वर्षों तक तपस्या करने के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। विधि-विधान के अनुसार लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने संगम तट पर केला,तुलसी और जौं रोपकर एक महा व्रत और संयम का पालन करते हुए कल्पवास की शुरुआत की।
महाकुम्भ में पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ कल्पवास की शुरुआत
तीर्थराज प्रयागराज में माघ मास में कल्पवास करने का विधान है, महाकुम्भ में कल्पवास करना विशेष फलदायी माना जाता है। इसलिये इस वर्ष अनुमान के मुताबिक 10 लाख से अधिक लोग संगम तट पर पूरे एक माह का कल्पवास करेंगे। कल्पवास के विधान और महात्म के बारे में तीर्थपुरोहित श्याम सुंदर पाण्डेय कहते हैं कि कल्पवास का शाब्दिक अर्थ है कि एक कल्प अर्थात एक निश्चित समयावधि में संगम तट पर निवास करना। पौराणिक मान्यता के अनुसार माघ मास में पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक कल्पवास करने का विधान है। श्रद्धालु अपनी शारीरिक और मानसिक स्थित के अनुरूप तीन दिन, पांच दिन, ग्यारह दिन आदि का संकल्प लेकर भी कल्पवास करते हैं। पूरी तरह विधि-विधान से कल्पवास करने वाले साधक बारह वर्ष लगातार कल्पवास कर महाकुम्भ के अवसर पर इसका पारण करते हैं, जो कि शास्त्रों में विशेष फलदायी और मोक्षदायक माना गया है।
पद्म पुराण में है कल्पवास के नियम
कल्पवास को हमारे शास्त्रों और पुराणों में मानव की आध्यात्मिक उन्नति का श्रेष्ठ मार्ग बताया गया है। वस्तुतः कल्पवास को सनातन परंपरा के अनुसार वानप्रस्थ आश्रम से संन्यास आश्रम में प्रवेश का द्वार माना गया है। एक माह संगम या गंगा तट पर विधिपूर्वक कल्पवास करने से मानव का आंतरिक एवं बाह्य कायाकल्प होता है। पद्मपुराण में भगवान दत्तात्रेय ने कल्पवास के 21 नियमों का उल्लेख किया है, जिसका पालन कल्पवासी संयम के साथ करते हैं। जिनमें से तीनों काल गंगा स्नान करना, दिन में एक समय फलाहार या सादा भोजन ही करना, मद्य,मांस,मदिरा आदि किसी भी प्रकार के दुर्व्यसनों का पूर्णतः त्याग करना, झूठ नहीं बोलना,अहिंसा, इन्द्रियों पर नियंत्रण, दयाभाव और ब्रह्मचर्य का पालन करना, ब्रह्म मुहूर्त में जागना,स्नान, दान, जप, सत्संग, संकीर्तन, भूमि शयन और श्रद्धापूर्वक देव पूजन करना शामिल है।
नियम, व्रत और संयम का पालन करते हुए पूरा होगा कल्पवास
पौराणिक मान्यता और शास्त्रों के अनुसार पौष पूर्णिमा के दिन श्रद्धालुओं ने ब्रह्म मुहूर्त में संगम स्नान कर, भगवान शालिग्रमा और तुलसी की स्थापना कर, उनका पूजन किया। सभी कल्पवासियों को उनके तीर्थपुरोहितों ने पूजन करवा कर हाथ में गंगा जल और कुशा लेकर कल्पवास का संकल्प करवाया। इसके साथ ही कल्पवासियों ने अपने टेंट के पास विधिपूर्वक जौं और केला को भी रोंपा। सनातन परंपरा में केले को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। कल्पवासी पूरे माघ मास केला और तुलसी का पूजन करेंगे। तीनों काल में सभी कल्पवासी नियम पूर्वक गंगा स्नान, जप, तप, ध्यान, सत्संग और पूजन करेंगे। कल्पवास के काल में साधु-संन्यसियों के सत्संग और भजन-कीर्तन करने का विधान है। कल्पवासी अपने मन को सांसरिक मोह से विरक्त कर आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग की ओर ले जाता है।
14 जनवरी महाकुम्भ मेला 2025 में अखाड़ों के परंपरा गत पूर्व से निर्धारित क्रम के अनुसार अमृत स्नान से संबंधित समय सारिणी
संन्यासी
1. श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी एवं श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा – 06:15
2. श्री तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा, एवं श्री पंचायती अखाड़ा आनन्द – 07:05
3. श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा एवं श्रीपंचदशनाम आवाहन अखाड़ा तथा श्री पंचाग्नि अखाड़ा – 08:00
बैरागी
1. अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा – 10:40
2. अखिल भारतीय श्री पंच दिगम्बर अनी अखाड़ा – 11:20
3. अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा – 12:20
उदासीन
1. श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा – 13:15
2. श्री पंचायती अखाड़ा, बङा उदासीन, निर्वाण – 14:20
3. श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा – 15:40
एकता का महाकुम्भ
संगम पर स्पेनिश, जर्मन, रशियन और फ्रेंच में गूंजे जय श्री राम, हर हर गंगे के जयकारे
विश्व की आस्था का केंद्र और विश्व एकता का प्रतीक बना महाकुम्भ
सनातन संस्कृति से अभिभूत हजारों विदेशी श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में डुबकी
धर्म और आध्यात्म को लेकर अभिभूत हैं विदेशी, सनातन से ले रहे प्रेरणा
महाकुम्भनगर, 13 जनवरी : महाकुम्भनगर भारत ही नहीं, विश्व की आस्था का केंद्र बन गया है। यहां देश के विभिन्न राज्यों के साथ ही अमेरिका, रूस, जर्मनी, इटली, इक्वाडोर समेत तमाम देशों के लोग सनातन संस्कृति से अभिभूत नजर आए। सभी ने संगम में डुबकी लगाई और माथे पर तिलक लगाकर संगम की रेती पर निकल पड़े। इस दौरान स्पेनिश, जर्मन, रशियन और फ्रेंच समेत कई विदेशी भाषाओं में जय श्री राम और हर हर गंगे के जयकारों से संगम का वातावरण गूंज उठा।
संगम घाट बना वर्ल्ड हॉटस्पॉट
महाकुम्भ का संगम घाट इस बार दुनिया के लिए बड़ा आकर्षण का केंद्र बना गया है। देश के साथ ही विदेशी श्रद्धालुओं ने भी इसे आध्यात्मिक अनुभव का केंद्र बताया है। जर्मनी की रहने वाली क्रिस्टीना ने बताया कि यहां आकर आत्मा को शांति मिलती है। मैंने महाकुम्भ के बारे में सुना जरूर था, लेकिन यहां आकर ऐसा लगा कि यह अनुभव अविस्मरणीय है। क्रिस्टीना का जन्म इक्वाडोर में हुआ था। बाद में इनके माता पिता जर्मनी में बस गए। इक्वाडोर के निवासी उनके साथी भी भारत की आध्यात्मिकता से अभिभूत नजर आए। उनका कहना था कि गंगा में डुबकी लगाकर ऐसा महसूस हुआ, जैसे सभी पाप धुल गए हों।
न्यूयॉर्क के हेल्परिन ने समझी भारतीय संस्कृति की गहराई
न्यूयॉर्क से आए फैशन डिजाइनर कॉबी हेल्परिन ने कहा, भारत की संस्कृति और परंपराओं को इतने भव्य रूप में देखना मेरे लिए एक नया अनुभव है। महाकुम्भ ने मुझे भारतीय संस्कृति को गहराई से समझने का अवसर दिया। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी प्रेरणादायक है। यहां आकर उन्हें गौरव का अहसास हो रहा है।
रूस के मिखाइल के लिए जीवन का सबसे खूबसूरत मौका
रूस से आए मिखाइल और उनके दोस्तों ने संगम घाट पर गंगा स्नान कर हर हर गंगे के जयकारे लगाए। उन्होंने कहा, मैंने महाकुम्भ के बारे में पढ़ा था, लेकिन यहां आकर इसकी विशालता और दिव्यता को महसूस करना मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत अनुभव है। यह हम सभी के लिए कभी न भूलने वाला क्षण है।
इटली और ऑस्ट्रेलिया से आए श्रद्धालु बोले, दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन
इटली से आए पाउलो ने अपने 12 सदस्यीय दल के साथ महाकुम्भ में संगम स्नान कर पावन पुण्य कमाया। उन्होंने योगी सरकार की व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कहा, दुनिया में इतना बड़ा सांस्कृतिक आयोजन कहीं और संभव नहीं है। यह भारत की महानता को दर्शाता है। उत्तर प्रदेश में यह आयोजन हो रहा है, इसके लिए यहां के शासक (सीएम योगी) भी बधाई के पात्र हैं। इसी तरह, ऑस्ट्रेलिया से आए एलेक्स ने बताया कि जर्मनी में उनके दोस्तों ने उन्हें महाकुम्भ के बारे में बताया था। भारत आकर उन्होंने इस अद्वितीय आयोजन का अनुभव किया और इसे अपने जीवन का सबसे यादगार पल बताया।
सनातन संस्कृति का विश्वव्यापी आकर्षण
महाकुम्भ इस बार न केवल भारतीय श्रद्धालुओं के लिए, बल्कि विदेशी पर्यटकों और भक्तों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण बन गया है। विभिन्न देशों से आए श्रद्धालु भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और गंगा के महत्व को समझने और अनुभव करने के लिए उमड़ पड़े। यह आयोजन न केवल भारतीय परंपराओं का प्रतीक है, बल्कि विश्व एकता और आध्यात्मिकता का संगम भी है। महाकुम्भ एक ऐसा आयोजन है जिसने पूरी दुनिया का ध्यान भारत की ओर खींचा।
महाकुम्भ में उमड़ी भीड़ में मोदी और योगी के कट आउट संग सेल्फी लेने का दिखा क्रेज
देश के अलग-अलग शहरों से आए लोगों में दिखी मोदी और योगी के प्रति दीवानगी
नंदी द्वार पर लगी पीएम मोदी और सीएम योगी के कट आउट संग लोगों ने कैद की तस्वीर
महाकुम्भ स्नान करने आए लोगों ने की व्यवस्थाओं की तारीफ
13 जनवरी, महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ प्रयागराज के पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा स्नान पर सोमवार को संगम तट पर उमड़ी भीड़ में पीएम मोदी और सीएम योगी की तस्वीरों संग सेल्फी लेने और फोटो खिंचाने की होड़ दिखाई दी। नंदी द्वार पर लगे कट आउट के साथ तस्वीरें खिंचाने और सेल्फी लेने के लिए लोगों की भीड़ जमा दिखाई दी। भीड़ में महिलाओं और युवकों की भी संख्या सेल्फी और फोटो की होड़ में दिखाई दी।
मध्य प्रदेश के उज्जैन से आए ब्रजेश शर्मा ने कहा कि वे मोदी और योगी दोनों के प्रशंसक हैं। इस तस्वीर ने उन्हें आकर्षित किया। पूरे परिवार ने सेल्फी ली और फोटो खिंचाई है। यहां महाकुम्भ मेले में अच्छी व्यवस्थाएं की गई हैं।
महाराष्ट्र के पूना से महाकुम्भ मेला में स्नान करने आईं सुगंमा ढिप्पो ने कहा कि यहां महाकुम्भ मेले में काफी अच्छी व्यवस्थाएं हैं। नंदी द्वार पर हमने मोदी जी और योगी जी की काफी आकर्षक तस्वीर देखी तो उनके संग सेल्फी ली। हमारा पूरा परिवार इन दोनों नेताओं का फैन है।
दिल्ली से आई सुनीता स्वामी ने कहा कि हमें किस्मत से ये दोनों नेता मिले हैं। महाकुम्भ मेले में हमें इन नेताओं की इतनी आकर्षक तस्वीर दिखाई दी तो हमने इनके साथ सेल्फी ली। हमारा पूरा परिवार इन नेताओं की कार्यशैली का मुरीद है।
कौशांबी उत्तर प्रदेश से आए मनोज कुमार सिंह ने दोनों नेताओं के कट आउट के साथ सेल्फी ली। मनोज ने मेले और स्नान की व्यवस्थाओं की तारीफ की। मनोज ने कहा कि योगी जी और मोदी जी ने कुम्भ की काफी अच्छी व्यवस्था की है।
सोशल मीडिया पर नंबर वन ट्रेंड बना #एकता_का_महाकुम्भ
महाकुम्भ के पहले दिन पौष पूर्णिमा स्नान पर्व पर सोशल मीडिया पर छाया एकता का महाकुम्भ हैशटैग
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर हजारों लोगों ने #एकता_का_महाकुम्भ का उपयोग कर किया पोस्ट
पीएम मोदी और सीएम योगी ने इस महाकुम्भ को सबसे पहले बताया था एकता का महाकुम्भ
महाकुम्भ नगर, 13 जनवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीर्थराज प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुम्भ को एकता का महाकुम्भ करार दिया है। पीएम मोदी और सीएम योगी के इस कथन को सोशल मीडिया में भी खूब सराहा जा रहा है। सोमवार को महाकुम्भ के पहले दिन पौष पूर्णिमा स्नान पर्व पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एकता का महाकुम्भ हैशटैग टॉप ट्रेंड में शुमार हो गया। सोमवार की सुबह से ही लोगों ने एक्स पर #एकता_का_महाकुम्भ को लेकर अपने विचार प्रकट करने शुरू कर दिए और देखते ही देखते पहले यह हैशटैग टॉप ट्रेंड्स में शुमार हुआ और दोपहर को नंबर वन पर ट्रेंड करने लगा।
दिन भर टॉप ट्रेंड्स में शुमार रहा #एकता_का_महाकुम्भ
पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ शुरू हुए महाकुम्भ को लेकर सुबह से ही सोशल मीडिया पर चर्चाएं शुरू हो गई थीं। बड़ी संख्या में यूजर्स महाकुम्भ के वीडियोज, फोटोज और सूचनाएं अन्य लोगों तक पहुंचा रहे थे। यूजर्स कई हैशटैग के जरिए महाकुम्भ पर चर्चा कर रहे थे, जिसमें #एकता_का_महाकुम्भ भी एक था। हालांकि, देखते ही देखते यह हैशटैग सबकी पसंद बन गया और शाम साढ़े तीन बजे तक करीब 70 हजार यूजर्स ने इस हैशटैग का उपयोग करते हुए महाकुम्भ में भारी भीड़, संगम स्नान और सनातन आस्था को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी। प्रतिक्रिया देने वालों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सम्मिलित रहे। सीएम योगी द्वारा हैशटैग का उपयोग करने के बाद इस पर प्रतिक्रिया देने वालों की बाढ़ आ गई और देखते ही देखते यह हैशटैग नंबर वन पर पहुंच गया।
बड़े नेताओं और संस्थानों ने भी किया हैशटैग का उपयोग
अमेठी की पूर्व सांसद और भाजपा की नेता स्मृति ईरानी, भारत सरकार के हैंडल MyGovIndia,नमामि गंगे, गोरखपुर के सांसद रवि किशन, यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, संदीप सिंह समेत प्रमुख लोगो और संस्थाओं की ओर से भी इस हैशटैग का उपयोग किया गया। उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी और सीएम योगी ने इस महाकुम्भ को एकता का महाकुम्भ कहा था। सीएम योगी ने हाल ही में पत्रकार वार्ता में कहा था कि जो लोग सनातन आस्था का सम्मान नहीं करते हैं, उन्हें महाकुम्भ में आकर देखना चाहिए कि यहां पंत, जाति और संप्रदाय का कोई भेदभाव नहीं है। यहां सब एक हैं और सब सनातन हैं।
कई और हैशटैग भी हुए ट्रेंड्स में शुमार
#एकता_का_महाकुम्भ के साथ ही महाकुम्भ को लेकर पूरे दिन कई और भी हैशटैग वायरल होते रहे। इनमें #MahaKumbh2025, #पौष पूर्णिमा, #पवित्र संगम, #प्रथम अमृत और #संगम जैसे हैशटैग शामिल रहे। इन सभी हैशटैग के माध्यम से सोशल मीडिया यूजर्स ने महाकुम्भ को लेकर अपनी श्रद्धा का भाव प्रकट किया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बधाई व शुभकामनाएं दीं, जिन्होंने इस महाकुम्भ को भव्य और दिव्य बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
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