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( लेख - विक्रम मित्तल : उद्यमी एवं राजनीतिक विश्लेषक)
दिल्ली की केजरीवाल सरकार का फ्री वाला मॉडल फेल हो गया हैं. इस मॉडल के फेल होने की सूची में एक और नया मामला सामने आया है. लिहाजा दिल्ली में फ्री बिजली को लेकर सब्सिडी के संदर्भ में नया और बचकाने वाला नियम 1 अक्टूबर से लागू किया है. यह नियम इस बात का संकेत हैं कि केजरीवाल के झूठे वादों की धीरे धीरे एक के बाद पोल खुलकर सामने आ रही हैं.
दरअसल, दिल्ली में एक अक्टूबर से बिजली बिल में छूट एक वैकल्पिक व्यवस्था होगी. यानी सिर्फ मांगने पर ही राहत मिलेगी. जबकि केजरीवाल के चुनावी वादे के मुताबिक पहले बिना मांगे ही छूट मिल रही थी. अब नए नियम के मुताबिक अगर दिल्ली के उपभोक्ताओं ने 30 सिंतबर को 12 बजे तक आवेदन नहीं किया है तो बिजली बिल पर मिल रही सब्सिडी बंद हो जाएगी. दिल्ली में वर्तमान में करीब 58 लाख घरेलू बिजली उपभोक्ता हैं, जिनमें 16 से 17 लाख उपभोक्ता ऐसे हैं जिनका बिजली बिल पहले भी आता रहा है.
मौजूदा वक्त में ना केवल दिल्ली बल्कि पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार अपने चुनावी वादे पूरे नहीं कर पा रही है. गौर करने वाला तथ्य यह है कि आर्थिक जानकारी यह कहते हैं कि केजरीवाल का फ्री वाला मॉडल आने वाले पीढ़ियों के लिए खतरनाक है. क्योंकि इस तरीके का मॉडल कुछ समय के लिए तो आकर्षक लगता है. लेकिन उसके दुष्परिणाम बेहद घातक होते हैं.
इससे पहले भी हमने देखा था दिल्ली से लेकर पंजाब तक आम आदमी पार्टी की सरकार यानी भगवंत मान और केजरीवाल मोदी जी से अतिरिक्त आर्थिक सहायता चाहते हैं. इसके लिए बार-बार केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं. कहने का मतलब यही है कि जब आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा किए गए वादे पूरे करना संभव नहीं है तो फिर अपने वादों को पूरा करने के लिए आर्थिक भार मोदी सरकार पर लादना कहां तक न्यायोचित है?
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हालांकि कोई पहला मौका नहीं है जब केजरीवाल के वादों का झूठ सामने आया है या फिर वह अपने वादों से पलट गए हैं. केजरीवाल सरकार को करीब 8 साल पूरे होने के बाद भी दिल्ली में पेयजल सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है. इसके अलावा फ्री वाई-फाई वाला मामला अधर में लटका हुआ है. 8 लाख नौकरियों का वादा धरा का धरा रह गया. आप के नेताओं के पास इसका कोई जवाब नहीं है. यमुना की सफाई से लेकर सीसीटीवी कैमरे लगाने का सच हर कोई जानता है. इसके अलावा जिस सबसे बड़े मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी दिल्ली में आई थी जैसे जन लोकपाल बिल से लेकर 5000 बसें और 500 नई सरकारी स्कूल आज भी यहाँ के लोगो को छलावा ही लगता है.
देर से ही सही लेकिन झूठे और दिखावटी वादे करने वाली केजरीवाल सरकार कि पोल अब धीरे-धीरे खुलने लगी है. क्योंकि अब आम आदमी पार्टी का फ्री वाला मॉडल फेल हो रहा है और केजरीवाल के झूठे वादों की मार से परेशान पब्लिक भी सब कुछ समझ रही है. आने वाली पीढ़ी सत्ता में बैठे लोगो से अपने टैक्स का हिसाब माँगने लगी है जिसका डर केजरीवाल के चेहरे पर भी साफ नजर आने लगा है. दूसरी तरफ केजरीवाल अपने वादों से लगातार पलटते जा रहे हैं. कुल मिलाकर फ्री वाला मॉडल दुनिया के किसी भी कोने में फिट नहीं हो सकता. हां कुछ समय के लिए इससे मन राजी किया जा सकता है. अंततोगत्वा फ्री वाले मॉडल फेल ही होते हैं.
( लेख - विक्रम मित्तल : उद्यमी एवं राजनीतिक विश्लेषक)
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(यह लेखक के निजी विचार हैं)
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