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कोरोना महामारी से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया। बावजूद इसके कोरोना के मामले एक सीमा तक घटने के बाद फिर से बढ़ने लगते हैं। हैरानी की बात तो ये है कि कोरोना की पहली लहर रही हो, दूसरी लहर रही हो या आज वर्तमान की स्थिति हो सबसे ज्यादा और सबसे पहले मामले केरल से ही शुरु होते हैं।
आज पूरे देश में कोरोना के जितने मामले हैं उसमें से आधे केरल राज्य से हैं। अगर आप को लगता है कि ये सामान्य सी घटना है तो आप गलत हैं। इसमें कोई दोराय नहीं है कि कोरोना वायरस प्राकृतिक नहीं है। कोरोना वायरस का दुनिया भर में फैलना चीन की गहरी साजिश है। पूरी दुनिया इस बात को जानती है फिर भी वैश्विक औपचारिकता और विवशता के कारण आरोप और जांच तक बात को सीमित हो जाती है।
अब आप पूछेंगे कि जो महामारी दुनिया भर में फैल रही है जिस कोरोना वायरस से अमेरिका अभी भी हजार- पंद्रह सौ मौते रोज झेल रहा है उसमें भारत के किसी एक राज्य का मुख्यमंत्री किस तरह और क्यों भारत के ही खिलाफ साजिश करेगा और उस पर अपने ही राज्य की जनता को मौत के मुंह मे क्यों ढकेलेगा।
ये पूरा मामला समझने के लिए आपको थोड़ा विस्तार में जाना पड़ेगा और सरकार की मानसिकता को समझना पड़ेगा।
कम्युनिस्ट शासन की क्रूर सोच
केरल में कम्युनिस्ट पार्टी का शासन है और पी. विजयन मुख्यमंत्री हैं। केरल भारत का इकलौता राज्य है जहां वामपंथियों का शासन है। चीन में भी कम्युनिस्ट पार्टी की ही सरकार है। कम्युनिस्ट शासक राज्य या देशों की सीमाओं को नहीं मानते। जहां भी कम्युनिस्ट शासन होता है उसके कैडर ऊपर तक जुड़े होते हैं।
भारत में भी ऐसा ही है। याद कीजिए वो समय जब पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार हुआ करती थी। तब भारत में जुमला मशहूर था कि बारिश अगर चीन में हो तो कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार छतरी कोलकाता में खोल लेती है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि केरल की वामपंथी सरकार किस गहराई तक चीन के वामपंथी कैडर से जुड़ी है।
कोरोना की पहली लहर दुनिया के लिए त्रासदी थी। जिसमें दुनिया भर में लोग बीमार हुए, लोगों की मौते हुईं, व्यवस्थाएं चरमराई, लॉकडाउन लगे और अर्थव्यवस्थाएं चरमरा गईं।
लेकिन, दूसरी लहर मे कोरोना दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों, लोगों और सरकारों लिए धंधा बन गया। जिसकी पर्ते हर दिन खुल रही हैं।
सवा अरब की आबादी वाले भारत देश में कोरोना की मार के बावजूद त्रासदी उतनी बड़े पैमाने पर नहीं हुई जैसा अमेरिका समेत अन्य यूरोपीय देशों और अफ्रीकी महाद्वीप में देखा जा रहा है।
साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों ने कोरोना से निपटने के लिए ना सिर्फ हर संभव प्रयास किए बल्कि थोड़ी बहुत राजनीति के साथ साथ अपने राज्य की जनता की जान की हिफाजत की।
क्या हुआ केरल में
केरल में ऐसा नहीं हुआ। जबकि केरल की शत-प्रतिशत आबादी साक्षर है। देश ही नहीं दुनिया भर में केरल की पैरामेडिकल सेवाओं की तूती बोलती है। लगभग हर अस्पताल में आपको केरल की नर्स मिल जाएंगी। कोरोना की वैक्सीन के महा अभियान भी देश में रोजाना रिकार्ड बना रहे हैं। कई राज्य और ज्यादातर जनता ऐसी है जिसे वैक्सीन लगी है और वो कोविड गाइडलाइंस के साथ अपने रोजमर्रा के काम सतर्कता से पूरे कर रहे हैं। अलग अलग राज्य कोरोना के मामले बढ़ने के साथ ही कोरोना कर्फ्यू और लॉकडाउन से गुरेज नहीं करते। बावजूद इसके केरल में मामले थम नहीं रहे। सिर्फ इतना ही नहीं कोरोना के नए वैरियंट भी केरल से ही देश में फैल रहे हैं।
स्पष्ट है कि केरल में कोरोना एक सुनियोजित साजिश के तहत पनप रहा है। जिसे खत्म होने ही नहीं दिया जा रहा। केरल से ही दक्षिण भारत के अन्य राज्यों और फिर वहां से देश के अन्य राज्यों में कोरोना वायरस रह-रह कर पांव पसार रहा है।
क्या चाहता है चीन
दरअसल चीन नहीं चाहता कि भारत में कोरोना का कहर कम हो। जिस तरह केंद्र की मोदी सरकार ने भारत में कोरोना की रोकथाम के ना सिर्फ गंभीर प्रयास किए बल्कि वैक्सीन के आविष्कार के साथ साथ दुनिया भर में उसकी सप्लाई की और भारत की स्थिति को संभाल कर मजबूत किया उससे चीन को तगड़ा झटका लगा है।
कोरोना की दूसरी लहर में कई ऐसे ऑक्सीजन प्लांट और अन्य उपकरण देश के अलग अलग कोनों में व्यापारियों ने चीन से ही मंगाए थे। बार-बार कोरोना के लौटने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा और पड़ रहा है। चीन अपने वर्चस्व के लिए ऐसा चाहता है।
केरल सरकार खुद लाती है त्रासदी
सिर्फ इतना ही नहीं अगर अब भी आपको लगता है कि केरल की सरकार अपनी ही जनता के साथ भला ऐसा क्यों करेगी तो आपको याद दिला दें कि केंद्र सरकार से रकम हासिल करने के लिए विजयन की अगुवाई वाली वामपंथी सरकार ने बीते मानसून में डैम के फाटक ही नहीं खोले थे। बरसात होते ही डैम ओवरफ्लो कर गए। केरल बाढ़ मे डूब गया। जनता त्राहिमाम त्राहिमाम कर उठी तब इसी वामपंथी सरकार ने इसे आपदा बता कर केंद्र से ना सिर्फ मदद के नाम पर रकम ऐंठी बल्कि दबाव बनाया कि इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए ताकि विदेशों से फंड हासिल किए जा सकें। हांलाकि मोदी सरकार ने केरल सरकार की पूरी पोल-पट्टी खोल कर रख दी थी।
अब एक बार फिर केरल सरकार वैसा ही खेल कोरोना की आड़ में खेल रही है। जिसमें ना सिर्फ केरल के लोगों की जान जा रही है बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी गंभीर खतरा बना हुआ है।
बीते 24 घंटो का हाल
देश में पिछले 24 घंटे में देश में मिले कुल 33 हजार नए मामलों में से 25 हजार केस अकेले केरल में पाए गए हैं। यही नहीं 308 मौतों में से केरल में 177 मौतें हुई हैं। ये हालात तब है जब राज्य में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए तमाम पाबंदियां लगाई गई हैं। अगर पूरे देश की बात करें तो महाराष्ट्र और दक्षिण भारतीय राज्यों को छोड़ दें तो हालात नियंत्रण में हैं।
संदेहास्पद शासन चला रहे विजयन
आपको बताते चलें कि पी. विजयन ने अपनी बेटी की शादी एक मुस्लिम युवक से की है जो केरल सरकार में मंत्री भी है। सिर्फ इतना ही नहीं उत्तरी केरल जो दरअसल मिनी अरब कहा जाता है वहां कोरोना की मार उतनी नहीं है जितनी दक्षिण केरल में जहां मलियाली और इसाई बहुतायत में हैं।
हैरानी की बात तो ये भी है कि कोरोना से बचाव के लिए पूरे देश में जो गरम-मसाले और काढ़े के जरिए देसी इलाज किए गए उसकी सबसे बड़ी पैदावार केरल में ही होती है। बावजूद इसके केरल में बढ़ते कोरोना के मामले ना सिर्फ राज्य सरकार पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं बल्कि वामपंथी मुख्यमंत्री की नीयत साजिश और संदेह के घेरे में हैं।
टीम स्टेट टुडे
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