लखनऊ, 30 अप्रैल 2022 : किंग जार्ज मेडिकलयूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के मानसिकरोग विभाग के 51वें स्थापना दिवसपर शनिवार कोप्रौद्योगिकी की लतऔर इसके मनोसामाजिकसह संबंध विषयपर चर्चा कीगई। मुख्य अतिथिनेशनल इंस्टीट्यूट आफमेंटल हेल्थ एंडन्यूरो साइंसेज (निमहेंस) बेंगलुरुके क्लीनिकल साइकोलाजिस्टडा. मनोज कुमारशर्मा ने कहाकि आज केसमय में लोगएम्प्टी इनबाक्स सिंड्रोम केशिकार हो रहेहैं। जैसे हीकोई मैसेज याई-मेल आताहै, उसे तुरंतचेक करने केलिए बेचैन रहतेहैं। ऐसा नहींकरने पर तनावमहसूस करते हैं।
डा. मनोजशर्मा ने बतायाकि फेसबुक केउपयोग से डिप्रेशनके मामले बढ़गए हैं। 90 प्रतिशतसे अधिक लोगइंटरनेट मीडिया का इस्तेमालकर रहे हैं।इसको देखते-देखतेवह अपने जीवनकी तुलना दूसरोंसे करने लगतेहैं। उनको लगताहै कि उनकीजिंदगी में सबकुछ खराब चलरहा है। ऐसेमें टेक्नोलाजी एडिक्शन (प्रौद्योगिकी व्यसन) बड़ी समस्याबन गई है।
गैजेट हाईजीन कोअपनाना होगा : फैमिली मेंडिवाइस को लेकररूल्स बनाने चाहिए, जो सभी केलिए एक हो।रात को टीवीऔर मोबाइल स्क्रीनदेखने का समयतय करे। सुबहउठने के एक-दो घंटेतक स्क्रीन नहींदेखना चाहिए। यहहेल्थ पर ज्यादाअसर डालता है।पांच फीसदी लोगोंमें यह समस्याबेहद गंभीर स्तरपर देखने कोमिलती है।
बच्चोंको मोबाइल सेरखें दूर : इससेस्वास्थ्य संबंधी समस्या, परिवारमें नोकझोंक, बच्चोंके भविष्य परबुरा असर पड़रहा है। इससेबचाव के लिएस्क्रीन का एक्सपोजरकम करने कीआवश्यकता है। तीनसाल तक बच्चोंको मोबाइल औरटीवी की लतनहीं लगानी चाहिए।इससे उनके स्वास्थ्यपर बुरा असरपड़ सकता है।खाने के समयस्क्रीन का इस्तेमालन करें। कार्यक्रममें सीएमएस डा. एसएन शंखवार, विभागाध्यक्षडा. विवेक अग्रवाल, डीन डा. उमासिंह, प्रो. वीसीडा. विनीत शर्माव अन्य मौजूदरहे।
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