पुराने लखनऊ की तंग गलियों से निकल कर एक शख्स शख्सियत बन गया। मध्यप्रदेश के राज्यपाल लाल जी टंडन आज भले हमारे बीच नहीं है लेकिन उन्होंने लखनऊ के विकास की जो नींव डाली वो जरूर हमेशा चिरंजीवी रहेगी। लखनऊ के इंटिग्रेटेड डेवलपेमेंट से लेकर स्थानीय निकायों और ऊर्जा के क्षेत्र में टंडन जी ने ऐसे सराहनीय कार्यों की झड़ी लगा दी। जिससे वो लखनऊ के लाल कहे जाने लगे।
राजधानी के विकास की नींव समझने वाले लाल जी टंडन जब नगर विकास मंत्री बने तो मानों उनके मन की मुराद पूरी हो गई हो। क्योंकि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की वह सूरत शुरू से बदलना चाहते थे। अब उनके पास इससे अच्छा मौका नहीं था, शुरू हुआ शहर के इंटिग्रेटेड डेवलपेमेंट पर काम करना। गोमती नदी को स्वच्छ करने का बीड़ा उठाते हुए टंडन ने 125 करोड़ देने की घोषणा बजट में की थी। यही नहीं पुराने लखनऊ की सूरत बदल दी। सीसी रोड का जाल बिछाने के साथ ही चौड़ीकरण और पार्कों का सुंदरीकरण कराकर शहर को कई ओवर ब्रिज का तोहफा भी दिया।
दिवंगत मध्यप्रदेश के राज्य्पाल व लखनऊ के सच्चे सपूत लाल जी टंडन ने वर्ष 1991-1992 में ऊर्जा मंत्री रहते हुए लखनऊ सहित यूपी के कई जिलों में नए उपकेंद्रों व ट्रांसमिशन लाइनों का तोहफा देकर राजधानी में बिजली व्यवस्था के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने का काम किया। उन्हीं के समय बिजली बोर्ड का पुनर्गठन हुआ और बिजली चोरी करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाने की पहल की। नगर विकास मंत्री रहते हुए लाल जी टंडन ने हर वर्ग के लोगों का ध्यान रखा।वाल्मीकि अंबेडकर आवास योजना, भाऊराव देवरस योजना के तहत 5600 आश्रय व 32 हजार भूखंड व भवन देने का काम काम किया।
नगर विकास मंत्री बनते ही लाल जी टंडन ने लखनऊ सहित यूपी में विकास से जुड़े कार्यों की झंडी लगा दी। पार्कों का सुन्दरीकरण, पार्क बनवाना, गोमती को निर्मल व स्वच्छ करने के साथ ही 21 मई 2001 में प्रयाग राज में हुए कुंभ के लिए संगम को तैयार करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऐसे अद्भुत कार्यों के लिए लाल जी टंडन को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने पर्यावरण पुरुष का खिताब दिया था।
नगर विकास मंत्री रहते हुए लाल जी टंडन ने पांच रुपये प्रतिदिन के किराए पर कमजोर वर्ग के लिए घर की योजना शुरू की थी, जो बहुत ही सफल रही। वहीं बालिकाओं की शिक्षा के लिए महाविद्यालय बनवाकर शिक्षा के क्षेत्र में भी काम किया। लाल जी टंडन ने राजधानी लखनऊ में दो हजार क्षमता वाले साइंस सेंटर का निर्माण करवाया था। इससे पहले लखनऊ में इतना बड़ा कोई स्थान नहीं था, जहां कोई मीटिंग या कार्यक्रम हो सके। जब भी साइंस सेंटर की बात आती है तो लाल जी टंडन जरूर याद किए जाते हैं। टंडन के समय ही कूड़े के एकत्रीकरण व निस्तारण के प्रभावशाली कार्य किए गए।
लाल जी टंडन का सफर
लालजी टंडन का जन्म 12 अप्रैल, 1935 को लखनऊ में हुआ
साल 1960 में शुरू हुआ राजनीतिक सफर।
टंडन जी दो बार पार्षद चुने गए और दो बार विधान परिषद के सदस्य रहे।
इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ जेपी आंदोलन में भी बढ़-चढकर हिस्सा लिया था।
90 के दशक में प्रदेश में बीजेपी और बीएसपी की गठबंधन सरकार बनाने में भी उनका अहम योगदान रहा ।
1978 से 1984 तक और 1990 से 96 तक लालजी टंडन दो बार उत्तर प्रदेश विधानपरिषद के सदस्य रहे।
1991-92 की उत्तर प्रदेश सरकार में वह मंत्री भी रहे।
लालजी 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे।
1997 में वह नगर विकास मंत्री रहे।
साल 2009 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीति से दूर होने के बाद लखनऊ लोक सभा सीट बीजेपी ने लालजी टंडन को सौंपी।
लोकसभा चुनाव में लालजी टंडन ने लखनऊ लोकसभा सीट से आसानी से जीत हासिल की।
लालजी टंडन को साल 2018 में बिहार के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई थी ।
इस समय वे मध्यप्रेदश का राज्यपाल के पद पर कार्य कर रहे थे।
21 जुलाई 2020 को लखनऊ में लालजी टंडन ने अंतिम सांस ली।
टीम स्टेट टुडे
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