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बिक गया दिल्ली का कनॉट प्लेस लखनऊ में, घाटे में शान-ए-अवध, सवालों में घिरा एलडीए



समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस बार एलडीए पर सवाल खड़े किये हैं। योगी सरकार में पूर्व वीसी प्रभु नारायण सिंह ने शान ऐ अवध को कौड़ियों के भाव बेचा था। जिससे एलडीए को अरबों की आय हो सकती थी। इसका निर्माण पूर्ववर्ती सपा सरकार में हुआ था। फिलहाल शासन ने एलडीए से रिपोर्ट मांगी है।


पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शान ए अवध की बिक्री पर सवाल उठा दिया है। उनके सोशल मीडिया पर ये सवाल उठाने के बाद एलडीए ने अपनी फाइलें निकालना शुरू कर दी हैं। यही नहीं आगरा के डीएम और तत्कालीन एलडीए उपाध्यक्ष प्रभु एन सिंह ने भी अपना पक्ष रखा है। उनका कहना है कि शान ए अवध को निजी क्षेत्र में बेचने से एलडीए को बहुत फायदा हुआ है। इसके लिए कुल 565 करोड़ रुपए के खर्च की योजना थी मगर केवल 167 करोड़ ही खर्च किया गया। जमीन और एलडीए के प्रशासनिक व्यय मिला कर जितना बजट बना था उससे एक करोड़ से अधिक एलडीए को प्राप्त हुआ था। ऐसे अनेक कामर्शियल कांप्लेक्स हैं जिनको एलडीए ने खुद संचालन की कोशिश की मगर प्राधिकरण कुछ नहीं कर सका।


दिल्ली के कनॉट प्लेस की तर्ज पर बने लखनऊ का शान- ए- अवध 18 मई 2016 को बिक गया था। इसे 428.17 करोड़ रुपये में डेस्टिनी हॉस्पिटैलिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने खरीदा था। इसकी ई- नीलामी करवाई थी। इसमें मुंबई और कोलकाता की दो कंपनियों ने बोली लगाई थी। गोमतीनगर विस्तार में इकाना स्टेडियम के पास एलडीए ने कनॉट प्लेस की तर्ज पर शॉन- ए- अवध प्रॉजेक्ट को बनाना शुरू किया था। 12 एकड़ में बन रहे इस परियोजना की कीमत जमीन मिला कर 565 करोड़ रुपये आंकी गई थी। इसमें करीब 167 करोड़ रुपये एलडीए खर्च किया था। करीब दो सौ करोड़ जमीन की कीमत थी। शान- ए- अवध का काम पूरा करवाने के लिए एलडीए ने इन्वेस्टर्स समिट के दौरान इसे निवेशकों के बीच में उतरा था।


एलडीए के पूर्व वीसी का जवाब

तत्कालीन वीसी लविप्रा व डीएम आगरा प्रभु एन सिंह ने कहा कि कोई धोखा और एलडीए का कोई नुकसान नहीं हुआ था। इस परियोजना का भारी भरकम बजट था। एलडीए को शापिंग माल संचालन का कोई अनुभव नहीं है। अनेक कामर्शियल कांप्लेक्स में करोड़ों रुपए का नुकसान एलडीए उठा चुका है। इसलिए इस पर अधिक खर्च न कर के कुल हुए खर्च और जमीन की कीमत मिलाई गई। करीब एक करोड़ रुपए अधिक प्राप्त किए कोई नुकसान नहीं हुआ। पिछली सरकार का भी प्लान अंतोगत्वा निजी हाथों में ही बेचने की तैयारी थी। इसलिए केवल 12 एकड़ जमीन में बने परिसर को नीलाम किया गया था।


टीम स्टेट टुडे



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