किसान आंदोलन के छह महीने बीतने पर राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि किसानों के ख़िलाफ़ बने तीनों क़ानून को वापस लेकर किसानों को वापस अपने गांव में लौटने दिया जाए।उन्होंने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि आंदोलन की वजह से अर्थवयवस्था पर एक नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है लेकिन केंद्र सरकार द्वारा मामले को न सुलझाना तथा किसानों के साथ वार्ता पूर्ण रूप से बंद कर देने से किसान बिरादरी पूरी तरह आहत है,जो देश की शान और रीढ़ की हड्डी है।
जयंत चौधरी ने कहा कि जिन किसानों ने कोरोना लोकडाउन में देश की जनता का पेट भरा और अर्थव्यवस्था को अपने कंधे पर थामे रखा, आज वही किसान अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने को मजबूर हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री के किसानों से एक फ़ोन कॉल दूर वाले बयान को याद दिलाते हुए कहा कि जब उन्होंने ऐसी सकारत्मक बात कही तो लगा कि समाधान किया जा सकता है लेकिन सरकार के नुमाइंदे और मंत्रियों ने किसानों के साथ संवाद को स्थगित कर दिया और ये सब देखते हुए भारत की जनता बहुत दुःखी है। अंत में उन्होंने अपने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि देश की अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए किसानों के ख़िलाफ़ बने तीनों क़ानून को वापस लिया जाए ताकि किसान अपने गांव लौटकर फिर से देश को मजबूत कर सकें।
राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता इंदरजीत सिंह टीटू का कहना है कि अभी रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने देश के अन्नदाता के दर्द को पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाया है। किसान आंदोलन जारी है। कृषि कानूनों की वापसी तक ये सिलसिला चलता रहेगा। आवश्यकता पड़ी तो जयंत चौधरी के नेतृत्व में बड़े कदमों से भी किसान पीछे नहीं हटेंगें।
टीम स्टेट टुडे
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