ये भी विडंबना से कम नहीं है कि शराब की लत वाले लोग कोरोनाकाल में जब बीमार पड़े तो कहते पाए गए कि दवा और दारु दोनों चलेगी। फिर कईयों की हालत बिगड़ी तो अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आ गई।
हालत ऐसी है कि दवाई, आक्सीनजन, अस्पताल, बेड की मारामारी और कालाबाजारी तो पहले से थी ही अब उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसला लिया है कि शराब के दाम भी बढ़ा दिए जाएं।
दरअसल शराब की बिक्री सरकार के राजस्व पर सीधा असर डालती है। साल 2020 में भी जब अनलॉक की प्रक्रिया शुरु हुई तो सबसे पहले शराब की दुकानें ही खोलीं गईं। इस बार कोरोना संक्रमण इतना भयावह है कि कई समझदार लोगों ने तो शराब से तौबा कर ली लेकिन कई ऐसे भी मिले जिन्हें दवा-दारु दोनों चाहिए थी। ऐसे लोगों का इलाज अब सरकार ने किया है।
आबकारी नीति 2021-22 में संशोधन करते हुए शासन ने रेगुलर कैटेगरी की शराब पर 10 रुपये प्रति 90 एमएल पर विशेष अतिरिक्त प्रतिफल शुल्क लगा दिया है। सरकार के इस कदम में अगर राजस्व में बढ़ात्तरी होती है तो ठीक अन्यथा लोगों के स्वास्थ्य पर शराब ना पीने का सकारात्मक प्रभाव तो पड़ेगा ही।
यूपी सरकार ने प्रीमियम कैटेगरी की शराब पर भी प्रति 90 एमएल पर 10 रुपये, सुपर प्रीमियर पर प्रति 90 एम एल 20 रुपये, स्कॉच पर प्रति 90 एमएल पर 30 रुपये और समुद्र पार आयातित शराब पर भी प्रति 90 एमएल 40 रुपये अतिरिक्त प्रतिफल शुल्क लगाया है।
शासनादेश में बताया गया है की प्रदेश में कांच की बोतलों के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए यूपी मेड लिकर की आपूर्ति टेट्रा पैक और कांच की बोतलों में किये जाने की अनुमति दी गई है। इसके लिए उत्पादक डिस्टैलरी को यूपी मेड लिकर की 25 प्रतिशत आपूर्ति कांच की बोतलों में करना होगा।
इसी तरह सेना व अन्य केंद्रीय अर्धसैनिक बल को दी जाने वाली पुरानी सुविधा को बहाल कर दिया है। अब प्रीमियम श्रेणी से उच्च श्रेणी की शराब की आपूर्ति पर निर्धारित प्रतिफल फीस का 60 प्रतिशत देना होगा। मौजूदा सत्र में यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई थी।
टीम स्टेट टुडे
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