google.com, pub-3470501544538190, DIRECT, f08c47fec0942fa0
top of page

Mahakumbh 2025: गणतंत्र दिवस पर 'संगम की रेती' में दिखेगा देशभक्ति का भी नजारा

Writer's picture: statetodaytvstatetodaytv


न मंदिर, न मूर्ति, रामनाम ही है अवतार, रामनाम ही ले जाएगा भवसागर पार


रामनामी संप्रदाय के लोग पूरे शरीर पर गुदवाते हैं राम नाम


निर्गुण राम के उपासक हैं रामनामी, मंदिर और मूर्ति पूजा नहीं करते


छत्तीसगढ़ के जांजगीर चंपा से शुरू हुआ था रामनामी संप्रदाय


25 जनवरी, महाकुम्भ नगर। सनातन संस्कृति के महापर्व महाकुम्भ में सम्मिलित होने तरह-तरह के साधु, संन्यासी, जाति, पंथ, संप्रदाय के लोग देश के कोने-कोने से आते हैं। इस क्रम में महाकुम्भ में सम्मिलित होने छत्तीसगढ़ के रहने वाले रामनामी संप्रदाय के अनुयायी पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाने आये हैं। अपने पूरे शरीर में राम नाम गुदवाये हुए, सफेद वस्त्र और सिर पर मोरपंख का मुकुट धारण किये हुए रामनामी संप्रदाय के अनुयायी संगम की रेती पर राम भजन करते हुए महाकुम्भ में पवित्र स्नान को बेताब हैं।


रामनामी संप्रदाय के लोग पूरे शरीर पर गुदवाते हैं राम नाम

पौराणिक मान्यता और परंपरा के अनुसार महाकुम्भ में पवित्र संगम में स्नान करने सनातन आस्था से जुड़े सभी जाति, पंथ और संप्रदाय के लोग जरूर आते हैं। इसी में से एक हैं छत्तीसगढ़ के जांजगीर, भिलाई, दुर्ग, बालोदाबजार, सांरगगढ़ से आये हुए रामनामी संप्रदाय के लोग। 19वीं शताब्दी में जब सनातन संस्कृति के तथाकथित उच्च वर्ग के लोगों ने छत्तीगढ़ में कुछ जनजाति के लोगों को मंदिर में प्रवेश करने और मूर्ति पूजा से वंचित किया तो जनजाति के लोगों ने अपने पूरे शरीर पर ही राम नाम अंकित कर अपनी देह को राम का मंदिर बना लिया। रामनामी संप्रदाय की शुरूआत जांजगीर चंपा के परशुराम जी से मानी जाती है। इस पंथ के अनुयायी अपने पूरे शरीर पर रामनाम का टैटू या गोदना गोदवाते हैं। राम नाम लिखा हुआ सफेद वस्त्र और सिर पर मोरपंख से बना मुकुट धारण करते हैं। राम नाम का जाप और मानस की चौपाईयों का भजन करते हैं। रामनामी संप्रदाय के लोग मंदिर और मूर्ति पूजा नहीं करते वो निर्गुण राम के उपासक हैं। वर्तमान में रामनामी संप्रदाय के लगभग 10 लाख से अधिक अनुयायी मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के जिलों में रहते हैं।


राम नाम ही अवतार, राम नाम ही भवसागर की पतवार

रामनामी संप्रदाय के कौशल रामनामी का कहना है कि महाकुम्भ में पवित्र स्नान करने उनके पंथ के लोग जरूर आते हैं। मौनी अमावस्या की तिथि पर राम नाम का जाप करते हुए हम सब संगम में अमृत स्नान करेंगे। छत्तीसगढ़ के सारंगढ़ से आये कौशल रामनामी का कहना है पिछली पांच पीढ़ी से उनके पुरखे महाकुम्भ में सम्मिलित होने आते रहे हैं। आने वाले समय में हमारे बच्चे भी परंपरा जारी रखेंगे। उन्होंने बताया कि सारंगढ़, भिलाई, बालोद बाजार और जांजगीर से लगभग 200 रामनामी हमारे साथ आये हैं। अभी और भी लोग मौनी अमावस्या से पहले प्रयागराज आ रहे हैं। हम लोग परंपरा के मुताबिक मौनी अमावस्या के दिन राम नाम का जाप करते हुए त्रिवेणी संगम में स्नान करेंगे। राम भजन करते हुए महाकुम्भ से अपने क्षेत्रों में लौट जाएंगे। उन्होंने बताया कि वो रामनाम को ही अवतार और भवसागर की पतवार मानते हैं। वो मंदिर नहीं जाते और मूर्ति पूजा नहीं करते। केवल राम नाम का जाप ही उनका भजन है और रामनाम लिखी देह ही मंदिर।


 

अध्यात्म और भारतीय संस्कृति संग देशभक्ति की त्रिवेणी में भी लगेगी डुबकी



महाकुम्भ-2025


गणतंत्र दिवस पर 'संगम की रेती' में दिखेगा देशभक्ति का भी नजारा


सांस्कृतिक महाकुम्भ के 11वें दिन बॉलीवुड सिंगर साधना सरगम गंगा पंडाल पर देंगी प्रस्तुति


शास्त्रीय-उपशास्त्रीय विधा के कलाकारों की प्रस्तुति से आनंद गंगा में डुबकी लगाएंगे श्रोता


महाकुम्भ नगर, 25 जनवरीः योगी सरकार के नेतृत्व में महाकुम्भ-2025 में 16 जनवरी से 'संस्कृति का महाकुम्भ' प्रारंभ हो चुका है। इसके 11वें दिन गणतंत्र दिवस पर अध्यात्म व भारतीय संस्कृति के साथ देशभक्ति की त्रिवेणी में भी श्रोता डुबकी लगाएंगे। संस्कृति विभाग की तरफ से 26 जनवरी को भी चारों पंडाल (गंगा, यमुना, सरस्वती व त्रिवेणी) में प्रस्तुतियां होंगी। गंगा पंडाल पर मुख्य कार्यक्रम बॉलीवुड सिंगर साधना सरगम का होगा, जिनके गीतों का आनंद दर्शक उठाएंगे।


गणतंत्र दिवस पर होंगे विविध आयोजन

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर महाकुम्भ में देशभक्ति से जुड़े भी विविध आयोजन होंगे। एक तरफ जहां फरुआही, बिरहा, आल्हा के जरिए उत्तर प्रदेश की ग्रामीण संस्कृति से देश-विदेश के श्रद्धालु परिचित होंगे तो वहीं कुचुपुड़ी, वायलिन, शास्त्रीय गायन-वादन-नृत्य की आनंद गंगा में भी गोते लगाएंगे। गणतंत्र दिवस पर होने वाले आयोजन को अविस्मरणीय बनाने की तैयारी संस्कृति विभाग ने कर ली है।



गणतंत्र दिवस पर होने वाले मुख्य आयोजन


गंगा पंडाल

साधना सरगम- बॉलीवुड सिंगर

दीपिका रेड्डी (हैदराबाद)- कुचुपुड़ी

श्री कला रामनाथ (महाराष्ट्र)- वायलिन- संगीत अकादमी अवार्डी


त्रिवेणी पंडाल

स्नेहलता मिश्रा (दिल्ली)- शास्त्रीय/उपशास्त्रीय गायन

रविशंकर उपाध्याय (दिल्ली) - शास्त्रीय/उपशास्त्रीय वादन (पखावज वाद्यवृंद)

कांतिका मिश्रा (लखनऊ) शास्त्रीय/उपशास्त्रीय नृत्य (कथक)

आशुतोष पांडेय (कानपुर)- भजन


यमुना पंडाल

आभा-विभा चौरसिया (मध्य प्रदेश)- हिंदुस्तानी वोकल

सुश्री प्रिय वेंकटरामन (दिल्ली)-भरतनाट्यम

संदीप मलिक-कथक

राजन तिवारी (बनारस)- भजन

ओमकार नाथ अवस्थी (उन्नाव)- आल्हा

सुदर्शन यादव (चंदौली)- बिरहा

प्रतिमा यादव (अंबेडकरनगर)- अवधी गायन

रामहित (गोरखपुर)- फरुवाही

रजनीश (पीलीभीत)- थारू जनजाति


सरस्वती पंडाल

अशोक भांतिया (मुंबई)- माधव नाटक का मंच

मनोज यादव (लखनऊ)- भजन

अखिलेश मिश्र (लखनऊ)- भजन


 

Commentaires


bottom of page
google.com, pub-3470501544538190, DIRECT, f08c47fec0942fa0